पृथ्वी के स्थल रूप

विस्तृत नोट्स

परिचय

पृथ्वी की सतह पर विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियाँ पाई जाती हैं, जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं जैसे अपक्षय, अपरदन, और टेक्टोनिक गतिविधियों के परिणामस्वरूप बनती हैं। ये स्थलाकृतियाँ पृथ्वी के भौगोलिक स्वरूप को परिभाषित करती हैं और मानव जीवन को प्रभावित करती हैं।

1. स्थलाकृति

परिभाषा: स्थलाकृति पृथ्वी की सतह की प्राकृतिक भौतिक विशेषताएँ हैं, जैसे पर्वत, पठार, मैदान, और घाटियाँ।

विशेषताएँ:

  • स्थलाकृतियाँ पृथ्वी की सतह का आकार और बनावट दर्शाती हैं।
  • ये अपक्षय, अपरदन, और टेक्टोनिक प्रक्रियाओं से बनती हैं।
  • इनका अध्ययन भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology) में किया जाता है।
  • स्थलाकृतियाँ जलवायु, कृषि, और मानव बस्तियों को प्रभावित करती हैं।

उदाहरण: हिमालय पर्वत, दक्कन पठार, और गंगा का मैदान।

2. उच्चावच

परिभाषा: उच्चावच पृथ्वी की सतह पर ऊँचाई और गहराई में भिन्नता को दर्शाता है, जो स्थलाकृतियों का आधार है।

विशेषताएँ:

  • उच्चावच को तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है: प्रथम, द्वितीय, और तृतीय।
  • ये भू-आकृतियों की ऊँचाई और संरचना पर आधारित हैं।
  • टेक्टोनिक गतिविधियाँ और अपरदन उच्चावच को प्रभावित करते हैं।

उदाहरण: हिमालय (प्रथम श्रेणी), दक्कन पठार (द्वितीय श्रेणी), और गंगा का मैदान (तृतीय श्रेणी)।

3. प्रथम श्रेणी के उच्चावच

परिभाषा: प्रथम श्रेणी के उच्चावच सबसे बड़े और सबसे ऊँचे स्थलरूप हैं, जो टेक्टोनिक प्रक्रियाओं से बनते हैं।

विशेषताएँ:

  • ये पर्वत और महाद्वीप जैसे बड़े स्थलरूप हैं।
  • ऊँचाई समुद्र तल से 2,000 मीटर से अधिक।
  • टेक्टोनिक प्लेटों की टक्कर से बनते हैं।
  • जलवायु और जैव विविधता को प्रभावित करते हैं।

उदाहरण: हिमालय, आल्प्स, और एंडीज़ पर्वत।

4. द्वितीय श्रेणी के उच्चावच

परिभाषा: द्वितीय श्रेणी के उच्चावच मध्यम ऊँचाई के स्थलरूप हैं, जो अपरदन और टेक्टोनिक प्रक्रियाओं से बनते हैं।

विशेषताएँ:

  • ये पठार, पहाड़ियाँ, और घाटियाँ हैं।
  • ऊँचाई समुद्र तल से 600-2,000 मीटर।
  • अपक्षय और अपरदन से आकार लेते हैं।
  • कृषि और खनन के लिए उपयोगी।

उदाहरण: दक्कन पठार, अरावली पहाड़ियाँ, और मालवा पठार।

5. तृतीय श्रेणी के उच्चावच

परिभाषा: तृतीय श्रेणी के उच्चावच सबसे निचले और समतल स्थलरूप हैं, जो अवसादों के जमाव से बनते हैं।

विशेषताएँ:

  • ये मैदान और नदी घाटियाँ हैं।
  • ऊँचाई समुद्र तल से 0-600 मीटर।
  • अवसादी निक्षेप से बनते हैं।
  • कृषि और बस्तियों के लिए उपयुक्त।

उदाहरण: गंगा का मैदान, सिंधु का मैदान, और अमेज़न बेसिन।

6. पर्वत एवं पहाड़ी

परिभाषा: पर्वत उच्च, खड़ी ढलानों वाले स्थलरूप हैं, जो समुद्र तल से 2,000 मीटर से अधिक ऊँचे होते हैं, जबकि पहाड़ियाँ कम ऊँची (600-2,000 मीटर) होती हैं।

विशेषताएँ:

  • पर्वत टेक्टोनिक गतिविधियों से बनते हैं।
  • पहाड़ियाँ अपरदन और अवशिष्ट प्रक्रियाओं से बनती हैं।
  • जलवायु और जैव विविधता को प्रभावित करते हैं।
  • पर्यटन और खनन के लिए महत्वपूर्ण।

उदाहरण: पर्वत - हिमालय, रॉकी; पहाड़ी - अरावली, नीलगिरी।

7. बलित या मोड़दार पर्वत

परिभाषा: बलित या मोड़दार पर्वत टेक्टोनिक प्लेटों की टक्कर से भूपर्पटी के मोड़ने (Folding) के कारण बनते हैं।

विशेषताएँ:

  • लंबी श्रृंखलाएँ और ऊँची चोटियाँ।
  • परतों में मोड़ (Folds) दिखाई देते हैं।
  • युवा पर्वत, जैसे हिमालय, इस श्रेणी में आते हैं।
  • भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियों से संबंधित।

उदाहरण: हिमालय, आल्प्स, और हिमाद्रि।

8. खंड या भ्रंश पर्वत

परिभाषा: खंड या भ्रंश पर्वत भूपर्पटी में भ्रंश (Faulting) के कारण बनते हैं, जब चट्टानें टूटकर ऊपर या नीचे खिसकती हैं।

विशेषताएँ:

  • खड़ी ढलानें और समतल शिखर।
  • भ्रंश रेखाएँ दिखाई देती हैं।
  • कठोर चट्टानों से बने होते हैं।
  • अपरदन के बाद बचे अवशिष्ट पर्वत।

उदाहरण: सिएरा नेवादा, विन्ध्याचल, और सतपुड़ा।

9. ज्वालामुखी पर्वत

परिभाषा: ज्वालामुखी पर्वत मैग्मा, लावा, और राख के ज्वालामुखी विस्फोट से बनते हैं।

विशेषताएँ:

  • शंक्वाकार आकृति।
  • लावा और राख की परतों से निर्मित।
  • सक्रिय, सुप्त, या मृत हो सकते हैं।
  • ज्वालामुखी गतिविधियों से मिट्टी उपजाऊ होती है।

उदाहरण: माउंट फुजी (जापान), माउंट विसुवियस (इटली), और बारन द्वीप (भारत)।

10. पठार

परिभाषा: पठार समतल शीर्ष और खड़ी ढलानों वाले ऊँचे स्थलरूप हैं, जो समुद्र तल से 600-2,000 मीटर ऊँचे होते हैं।

विशेषताएँ:

  • टेक्टोनिक गतिविधियों, अपरदन, या लावा प्रवाह से बनते हैं।
  • खनिज संसाधनों से समृद्ध।
  • कृषि और पशुपालन के लिए उपयुक्त।
  • प्राकृतिक संसाधनों का भंडार।

उदाहरण: दक्कन पठार, तिब्बत पठार, और कोलंबिया पठार।

11. मैदान

परिभाषा: मैदान समतल और निचले क्षेत्र हैं, जो अवसादों के जमाव से बनते हैं।

विशेषताएँ:

  • ऊँचाई समुद्र तल से 0-600 मीटर।
  • नदियों, हवाओं, और समुद्र द्वारा अवसादों का निक्षेप।
  • कृषि, उद्योग, और बस्तियों के लिए आदर्श।
  • उपजाऊ मिट्टी, जैसे जलोढ़ मिट्टी।

उदाहरण: गंगा का मैदान, अमेज़न बेसिन, और इंडस का मैदान।

सारांश (एक पंक्ति के तथ्य)

  1. स्थलाकृति पृथ्वी की सतह की भौतिक विशेषताएँ हैं।
  2. उच्चावच पृथ्वी की सतह पर ऊँचाई और गहराई की भिन्नता है।
  3. प्रथम श्रेणी के उच्चावच सबसे ऊँचे स्थलरूप हैं।
  4. द्वितीय श्रेणी के उच्चावच मध्यम ऊँचाई के स्थलरूप हैं।
  5. तृतीय श्रेणी के उच्चावच सबसे निचले और समतल स्थलरूप हैं।
  6. पर्वत समुद्र तल से 2,000 मीटर से अधिक ऊँचे होते हैं।
  7. पहाड़ियाँ 600-2,000 मीटर ऊँची होती हैं।
  8. बलित पर्वत टेक्टोनिक प्लेटों की टक्कर से बनते हैं।
  9. खंड पर्वत भ्रंश के कारण बनते हैं।
  10. ज्वालामुखी पर्वत लावा और राख से बनते हैं।
  11. पठार समतल शीर्ष और खड़ी ढलानों वाले स्थलरूप हैं।
  12. मैदान समतल और उपजाऊ क्षेत्र हैं।
  13. हिमालय एक बलित पर्वत है।
  14. सिएरा नेवादा एक खंड पर्वत है।
  15. माउंट फुजी एक ज्वालामुखी पर्वत है।
  16. दक्कन पठार भारत में स्थित है।
  17. गंगा का मैदान जलोढ़ मिट्टी से बना है।
  18. स्थलाकृतियाँ अपक्षय और अपरदन से बनती हैं।
  19. प्रथम श्रेणी के उच्चावच में हिमालय शामिल है।
  20. द्वितीय श्रेणी के उच्चावच में दक्कन पठार शामिल है।
  21. तृतीय श्रेणी के उच्चावच में गंगा का मैदान शामिल है।
  22. पर्वत जलवायु को प्रभावित करते हैं।
  23. पहाड़ियाँ अपरदन से बनती हैं।
  24. बलित पर्वतों में परतों में मोड़ दिखाई देते हैं।
  25. खंड पर्वतों में भ्रंश रेखाएँ होती हैं।
  26. ज्वालामुखी पर्वत शंक्वाकार होते हैं।
  27. पठार खनिज संसाधनों से समृद्ध होते हैं।
  28. मैदान कृषि के लिए उपयुक्त हैं।
  29. हिमालय की ऊँचाई 8,848 मीटर (एवरेस्ट) है।
  30. आल्प्स यूरोप में बलित पर्वत हैं।
  31. विन्ध्याचल एक खंड पर्वत है।
  32. बारन द्वीप भारत का सक्रिय ज्वालामुखी है।
  33. तिब्बत पठार विश्व का सबसे ऊँचा पठार है।
  34. अमेज़न बेसिन एक मैदान है।
  35. स्थलाकृतियाँ टेक्टोनिक गतिविधियों से बनती हैं।
  36. पर्वत पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  37. पठार पशुपालन के लिए उपयुक्त हैं।
  38. मैदान बस्तियों के लिए आदर्श हैं।
  39. बलित पर्वत भूकंप से संबंधित हैं।
  40. खंड पर्वत कठोर चट्टानों से बने होते हैं।
  41. ज्वालामुखी पर्वत उपजाऊ मिट्टी बनाते हैं।
  42. पठार लावा प्रवाह से बन सकते हैं।
  43. मैदान नदियों द्वारा अवसादों से बनते हैं।
  44. हिमालय भारत और नेपाल में है।
  45. अरावली भारत की प्राचीन पहाड़ी है।
  46. माउंट विसुवियस इटली में है।
  47. दक्कन पठार लावा प्रवाह से बना है।
  48. गंगा का मैदान भारत का सबसे उपजाऊ मैदान है।
  49. स्थलाकृतियाँ जैव विविधता को प्रभावित करती हैं।
  50. उच्चावच भू-आकृति विज्ञान का आधार हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. स्थलाकृति क्या है?





2. उच्चावच क्या दर्शाता है?





3. प्रथम श्रेणी के उच्चावच की ऊँचाई कितनी होती है?





4. द्वितीय श्रेणी के उच्चावच में क्या शामिल है?





5. तृतीय श्रेणी के उच्चावच की विशेषता क्या है?





6. पर्वत की न्यूनतम ऊँचाई कितनी होती है?





7. बलित पर्वत कैसे बनते हैं?





8. हिमालय किस प्रकार का पर्वत है?





9. खंड पर्वत की विशेषता क्या है?





10. ज्वालामुखी पर्वत कैसे बनते हैं?





11. माउंट फुजी किस प्रकार का पर्वत है?





12. दक्कन पठार की विशेषता क्या है?





13. गंगा का मैदान कैसे बना है?





14. पहाड़ियों की ऊँचाई कितनी होती है?





15. सिएरा नेवादा किस प्रकार का पर्वत है?





16. तिब्बत पठार की विशेषता क्या है?





17. मैदान की ऊँचाई कितनी होती है?





18. ज्वालामुखी पर्वत की आकृति कैसी होती है?





19. बलित पर्वतों की विशेषता क्या है?





20. खंड पर्वत कैसे बनते हैं?





21. दक्कन पठार कैसे बना है?





22. गंगा का मैदान किसके लिए उपयुक्त है?





23. अरावली किस प्रकार का स्थलरूप है?





24. ज्वालामुखी पर्वत की मिट्टी कैसी होती है?





25. पठार की ऊँचाई कितनी होती है?





26. विन्ध्याचल किस प्रकार का पर्वत है?





27. स्थलाकृतियों का अध्ययन किस विज्ञान में किया जाता है?





28. मैदान में कौन-सी मिट्टी पाई जाती है?





29. हिमालय की सबसे ऊँची चोटी कौन-सी है?





30. पठार किसके लिए उपयुक्त हैं?