परिचय
परिभाषा: संसाधन वे वस्तुएँ या पदार्थ हैं जिनकी उपयोगिता होती है और जो मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। उदाहरण: पानी, बिजली, साइकिल, बस, पुस्तक, कुर्सी।
आप अपने दैनिक जीवन में घर और आसपास पानी, रिक्शा, साइकिल, बस, पुस्तक, कुर्सी, घरों में बिजली, पंखा आदि अवश्य देखते होंगे। ये सभी संसाधन हैं। दूसरे शब्दों में, संसाधन प्रकृति में उपलब्ध वस्तुओं को मनुष्य अपने ज्ञान और तकनीकी के उपयोग से उपयोगी बनाता है। उदाहरण: कोयला लाखों वर्षों से पृथ्वी पर था, लेकिन जब मनुष्य ने उससे आग उत्पन्न करने की क्षमता खोजी, तब यह संसाधन बना।
आर्थिक मूल्य: कुछ संसाधनों का आर्थिक मूल्य होता है (जैसे धातुएँ, फसलें), जबकि कुछ का नहीं (जैसे पर्वतीय दृश्य, मरुस्थलीय सौंदर्य), फिर भी ये संसाधन हैं।
1. संसाधनों के प्रकार
परिभाषा: संसाधनों को सामान्यतः तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: प्राकृतिक, मानव निर्मित, और मानव संसाधन।
प्रकार | उदाहरण |
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प्राकृतिक संसाधन | जल, सूर्य प्रकाश, खनिज |
मानव निर्मित संसाधन | घर, सड़क, पुल, बाँध |
मानव संसाधन | जनसंख्या, कौशल, तकनीकी |
1.1. प्राकृतिक संसाधन
परिभाषा: प्राकृतिक संसाधन वे हैं जो प्रकृति से उपहार स्वरूप प्राप्त होते हैं और बिना संशोधन के उपयोग किए जाते हैं। उदाहरण: जल, हवा, सूर्य प्रकाश।
ये संसाधन पर्यावरण से सरलता से प्राप्त किए जा सकते हैं। प्राकृतिक संसाधनों को दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:
- नवीकरणीय संसाधन (Renewable Resources): ये संसाधन प्रकृति में असीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और प्राकृतिक प्रक्रियाओं या मानव प्रयासों से पुनः पूरित हो सकते हैं। उदाहरण: सूर्य प्रकाश, पवन, वायु। इन्हें अक्षयशील संसाधन भी कहते हैं।
- विशेषता: इनकी मात्रा पर उपयोग का विशेष प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन प्रदूषण से प्रभावित हो सकते हैं। उदाहरण: वायु प्रदूषण से सांस लेने में कठिनाई।
- मानव प्रयास: पौधे लगाकर वन संसाधन बढ़ाए जा सकते हैं।
- अनवीकरणीय संसाधन (Non-Renewable Resources): ये संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और भूतकाल में निर्मित हुए हैं। उदाहरण: कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस।
- विशेषता: इनका भंडार समाप्त हो सकता है। उदाहरण: कोयले का अत्यधिक उपयोग भंडार को कम करता है।
सर्वव्यापक और स्थानिक संसाधन:
- सर्वव्यापक संसाधन: सभी जगह उपलब्ध। उदाहरण: सूर्य प्रकाश, वायु।
- स्थानिक संसाधन: विशिष्ट क्षेत्रों में पाए जाते हैं। उदाहरण: लौह खनिज, हीरे।
1.2. मानव निर्मित संसाधन
परिभाषा: मानव द्वारा निर्मित संसाधन वे हैं जो प्रकृति से प्राप्त संसाधनों को तकनीकी और ज्ञान के उपयोग से उपयोगी बनाया जाता है। उदाहरण: लौह खनिज से बना लोहा, जिससे पुल, बाँध, सड़क, वाहन आदि बनाए जाते हैं।
उदाहरण: लौह खनिज तब तक संसाधन नहीं था जब तक मनुष्य ने उससे लोहा बनाना नहीं सीखा। अब लोहे से बनी वस्तुएँ मानव निर्मित संसाधन हैं। अन्य उदाहरण: घर, सड़क, मशीनें।
तकनीकी: तकनीकी भी एक मानव निर्मित संसाधन है, जैसे सॉफ्टवेयर, मशीनरी डिज़ाइन।
1.3. मानव संसाधन
परिभाषा: मनुष्य स्वयं एक संसाधन है, क्योंकि उनके ज्ञान, कौशल, और तकनीकी से प्रकृति का बेहतर उपयोग होता है। उदाहरण: डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक।
महत्त्व: स्वास्थ्य और शिक्षा लोगों को बहुमूल्य संसाधन बनाते हैं। उदाहरण: एक शिक्षित इंजीनियर बाँध डिज़ाइन करता है।
क्या आप जानते हैं? स्वतंत्रता के बाद भारत ने शिक्षा मंत्रालय बनाया, जिसे 1985 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय और 2020 में पुनः शिक्षा मंत्रालय नाम दिया गया। इसका उद्देश्य लोगों के कौशल को बढ़ाना है।
2. संसाधन संरक्षण
परिभाषा: संसाधन संरक्षण का अर्थ है संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग ताकि वे भविष्य के लिए सुरक्षित रहें। उदाहरण: जल संरक्षण, वृक्षारोपण।
महत्त्व: बिना जल के जीवन असंभव है। यदि वृक्ष कट जाएँ या जल सूख जाए, तो जीव-जंतु, वनस्पति, और मानव जीवन प्रभावित होगा। उदाहरण: वायु प्रदूषण से सांस लेने में कठिनाई।
उद्देश्य:
- समुदाय को पर्यावरण की देखभाल करने योग्य बनाना।
- मानव जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना।
क्या आप जानते हैं? संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) ने 25 सितंबर 2015 को सतत् पोषणीय विकास के लिए 2030 तक 17 लक्ष्य निर्धारित किए, जिनमें 5-P (लोग, ग्रह, समृद्धि, शांति, भागीदारी) पर बल दिया गया। भारत ने 2 अक्टूबर 2015 को 'जलवायु पहल योजना' में 2030 तक 40% ऊर्जा गैर-जीवाश्मी स्रोतों (सौर, पवन, जल विद्युत, बायोमास, परमाणु) से प्राप्त करने का वचन दिया।