परिचय
परिभाषा: कृषि वह प्रक्रिया है जिसमें फसलों की खेती और पशुओं का पालन-पोषण किया जाता है ताकि भोजन, रेशे, और अन्य उत्पाद प्राप्त हों। उदाहरण: चावल की खेती, गाय-भैंस का पालन।
कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का आधार है और राष्ट्रीय आय में इसका प्रमुख योगदान है। यह न केवल भोजन प्रदान करती है, बल्कि कच्चा माल (जैसे कपास, जूट) और रोजगार भी उत्पन्न करती है।
1. कृषि और संबंधित गतिविधियाँ
1.1. पशुपालन
परिभाषा: पशुपालन वह प्रक्रिया है जिसमें पशुओं (जैसे गाय, भैंस, बकरी) का पालन दूध, मांस, ऊन, और अन्य उत्पादों के लिए किया जाता है। उदाहरण: पंजाब में दूध उत्पादन।
महत्त्व: भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन महत्त्वपूर्ण है। यह किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान करता है।
1.2. वानिकी
परिभाषा: वानिकी वह प्रक्रिया है जिसमें वनों का प्रबंधन, संरक्षण, और वृक्षारोपण किया जाता है ताकि लकड़ी, ईंधन, और पर्यावरणीय लाभ प्राप्त हों। उदाहरण: मध्य प्रदेश में सागौन के वन।
महत्त्व: वानिकी पर्यावरण संतुलन, मृदा संरक्षण, और जैव विविधता में योगदान देती है।
1.3. मत्स्य पालन (पिसी कल्चर)
परिभाषा: मत्स्य पालन मछलियों और अन्य जलीय जीवों का पालन और कटाई है। उदाहरण: आंध्र प्रदेश में मछली पालन।
महत्त्व: यह प्रोटीन का स्रोत है और तटीय क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करता है।
2. कृषि के प्रकार
2.1. निर्वाह कृषि
परिभाषा: निर्वाह कृषि वह है जिसमें किसान अपने और अपने परिवार के लिए भोजन उत्पादन करता है। उदाहरण: झारखंड में आदिवासी समुदायों द्वारा चावल की खेती।
विशेषता: छोटे खेत, कम तकनीकी, और स्थानीय उपभोग।
2.2. व्यापारिक कृषि
परिभाषा: व्यापारिक कृषि वह है जिसमें फसलों को बाजार में बिक्री के लिए उत्पादित किया जाता है। उदाहरण: महाराष्ट्र में गन्ना उत्पादन।
विशेषता: बड़े खेत, उन्नत तकनीकी, और लाभ के लिए उत्पादन।
3. फसलों का वर्गीकरण
फसलों को उनके उपयोग और मौसम के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है:
- उपयोग के आधार पर:
- खाद्य फसलें: भोजन के लिए, जैसे चावल, गेहूँ।
- नगदी फसलें: बिक्री के लिए, जैसे गन्ना, कपास।
- बागानी फसलें: बागानों में, जैसे चाय, कॉफी।
- मौसम के आधार पर:
- रबी फसलें: जाड़े के प्रारंभ में बोई जाती हैं और ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ में काटी जाती हैं। उदाहरण: गेहूँ, चना, जौ, मटर, सरसों, अलसी, राई।
- खरीफ फसलें: वर्षा ऋतु के प्रारंभ में बोई जाती हैं और शीत ऋतु के प्रारंभ में काटी जाती हैं। उदाहरण: धान (चावल), मक्का, ज्वार, मूँग, जूट, मूँगफली।
- जायद फसलें: मार्च-अप्रैल में बोई जाती हैं और परिपक्वता पर काटी जाती हैं। उदाहरण: तरबूज, खरबूज, ककड़ी, सब्जियाँ।
4. प्रमुख फसलें, उत्पादक क्षेत्र, और आवश्यक दशाएँ
भारत की प्रमुख फसलों, उनके उत्पादक क्षेत्रों, और आवश्यक दशाओं को निम्न तालिका में दर्शाया गया है:
फसल | प्रमुख उत्पादक क्षेत्र | आवश्यक दशाएँ |
---|---|---|
चावल (खरीफ) | पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश | उच्च तापमान (20-35°C), अधिक वर्षा (100-200 सेमी), दोमट मिट्टी |
गेहूँ (रबी) | पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश | मध्यम तापमान (15-25°C), कम वर्षा (50-75 सेमी), उपजाऊ दोमट मिट्टी |
मक्का (खरीफ) | कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र | मध्यम तापमान (21-27°C), मध्यम वर्षा (50-100 सेमी), अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी |
बाजरा (खरीफ) | राजस्थान, गुजरात, हरियाणा | उच्च तापमान (25-35°C), कम वर्षा (25-50 सेमी), रेतीली मिट्टी |
गन्ना (खरीफ) | उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक | उच्च तापमान (21-27°C), अधिक वर्षा (75-150 सेमी), उपजाऊ मिट्टी |
चाय (बागानी) | असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु | गर्म और आर्द्र जलवायु (20-30°C), अधिक वर्षा (150-300 सेमी), अच्छी जल निकासी वाली ढलानी मिट्टी |
कॉफी (बागानी) | कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु | गर्म और आर्द्र जलवायु (15-28°C), मध्यम वर्षा (100-200 सेमी), अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी |
कपास (खरीफ) | गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश | उच्च तापमान (21-30°C), मध्यम वर्षा (50-100 सेमी), काली मिट्टी |
जूट (खरीफ) | पश्चिम बंगाल, बिहार, असम | उच्च तापमान (24-35°C), अधिक वर्षा (150-250 सेमी), जलोढ़ मिट्टी |
5. प्रमुख फसलें और उनके प्रमुख देश
विश्व में प्रमुख फसलों के शीर्ष 5 उत्पादक देश:
फसल | प्रमुख देश |
---|---|
चावल | चीन, भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, वियतनाम |
गेहूँ | चीन, भारत, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा |
मक्का | संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, ब्राजील, अर्जेंटीना, भारत |
6. प्रमुख दलहनी फसलें
परिभाषा: दलहनी फसलें वे हैं जो प्रोटीन प्रदान करती हैं और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती हैं।
प्रमुख दलहनी फसलें (रबी और खरीफ):
- चना (Gram, रबी): मध्य प्रदेश, राजस्थान।
- तुअर/अरहर (Tur, खरीफ): महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश।
- उड़द (Urad, खरीफ): मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश।
- मूंग (Moong, खरीफ): राजस्थान, महाराष्ट्र।
7. नगदी फसलें
परिभाषा: नगदी फसलें वे हैं जो बिक्री और लाभ के लिए उगाई जाती हैं। उदाहरण: गन्ना, चाय, कॉफी, कपास, जूट।
इनके उत्पादक क्षेत्र और आवश्यक दशाएँ उपरोक्त तालिका में दी गई हैं।
8. राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान
परिभाषा: राष्ट्रीय आय वह कुल आय है जो देश की आर्थिक गतिविधियों से प्राप्त होती है।
कृषि का योगदान: भारत में कृषि राष्ट्रीय आय का एक प्रमुख स्रोत है, जो ग्रामीण रोजगार और खाद्य सुरक्षा प्रदान करता है। उदाहरण: चावल और गेहूँ का निर्यात।
9. अन्य कृषि गतिविधियाँ
- पिसी कल्चर (मत्स्य पालन): मछली पालन। उदाहरण: आंध्र प्रदेश में तालाब मत्स्य पालन।
- विटी कल्चर: अंगूर की खेती। उदाहरण: महाराष्ट्र में नासिक।
- सेरी कल्चर: रेशम उत्पादन। उदाहरण: कर्नाटक में रेशम कीट पालन।
- फ्लोरी कल्चर: फूलों की खेती। उदाहरण: तमिलनाडु में गुलाब।
- एपी कल्चर: मधुमक्खी पालन। उदाहरण: हिमाचल प्रदेश में शहद उत्पादन।
- ओलेरी कल्चर: सब्जियों की खेती। उदाहरण: उत्तर प्रदेश में आलू।
10. राष्ट्रीय कृषि नीति
परिभाषा: राष्ट्रीय कृषि नीति सरकार की वह नीति है जो कृषि उत्पादकता, स्थिरता, और किसानों की आय बढ़ाने पर केंद्रित है।
उद्देश्य:
- कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना।
- किसानों की आय में वृद्धि।
- सतत् कृषि और पर्यावरण संरक्षण।
उदाहरण: फसल बीमा योजना, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)।
11. सिंचाई
परिभाषा: सिंचाई वह प्रक्रिया है जिसमें फसलों को कृत्रिम रूप से पानी उपलब्ध कराया जाता है। उदाहरण: नहर, ट्यूबवेल।
प्रकार:
- नहर सिंचाई: नदियों से पानी। उदाहरण: इंदिरा गांधी नहर, राजस्थान।
- ट्यूबवेल: भूजल। उदाहरण: पंजाब।
- कूप: छोटे पैमाने पर।
- ड्रिप और स्प्रिंकलर: जल संरक्षण। उदाहरण: महाराष्ट्र में ड्रिप सिंचाई।
महत्त्व: सिंचाई फसल उत्पादन बढ़ाती है और सूखे के प्रभाव को कम करती है।
12. कृषि से संबंधित क्रांतियाँ
कृषि क्रांतियाँ विशिष्ट उत्पादों के उत्पादन को बढ़ाने वाली योजनाएँ हैं।
प्रमुख क्रांतियाँ:
- हरित क्रांति: खाद्य फसलों (विशेष रूप से गेहूँ, चावल) का उत्पादन बढ़ाना।
- श्वेत क्रांति: दूध उत्पादन। उदाहरण: ऑपरेशन फ्लड।
- नीली क्रांति: मत्स्य पालन।
- पीली क्रांति: तिलहन उत्पादन।
- गुलाबी क्रांति: झींगा मछली।
13. हरित क्रांति की प्रमुख बातें
हरित क्रांति 1960 के दशक में शुरू हुई एक पहल थी जिसने उच्च उपज वाली किस्मों (HYV) और आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर खाद्य उत्पादन बढ़ाया।
प्रमुख बातें:
- उच्च उपज वाली किस्में (HYV): गेहूँ और चावल की नई प्रजातियाँ। उदाहरण: पंजाब में गेहूँ।
- रासायनिक उर्वरक: उत्पादन बढ़ाने के लिए।
- सिंचाई सुविधाएँ: नहर और ट्यूबवेल का उपयोग।
- आधुनिक मशीनरी: ट्रैक्टर, हार्वेस्टर।
- प्रभाव: भारत खाद्य आयात से आत्मनिर्भर बना।
- चुनौतियाँ: मृदा उर्वरता हानि, जल संकट।