जिले का प्रशासन: जिला स्थानीय प्रशासन की मूल इकाई है।
जिला कलेक्टर जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है।
जिला कलेक्टर: जिले का मुख्य प्रशासक, राजस्व और कानून व्यवस्था देखता है।
जिला कलेक्टर की नियुक्ति ब्रिटिश काल से होती है (18वीं सदी)।
जिला पुलिस अधीक्षक (SP): जिले की कानून व्यवस्था का प्रभारी होता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO): जिले के स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन करता है।
जिला शिक्षा अधिकारी (DEO): जिले में शिक्षा का संचालन करता है।
जिला विकास अधिकारी (DDO): ग्रामीण विकास योजनाओं को लागू करता है।
जिला मजिस्ट्रेट (DM) और कलेक्टर का पद अक्सर एक ही व्यक्ति संभालता है।
जिला प्रशासन को राज्य सरकार नियंत्रित करती है।
जिला स्तर: जिला कलेक्टर सभी विभागों का समन्वय करता है।
जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन कलेक्टर की जिम्मेदारी है।
तहसील स्तर: तहसीलदार राजस्व संग्रह और भूमि रिकॉर्ड देखता है।
तहसीलदार पटवारी की सहायता से कार्य करता है।
ब्लॉक स्तर: ब्लॉक विकास अधिकारी (BDO) विकास योजनाओं को लागू करता है।
ब्लॉक स्तर पर मनरेगा (2005) का संचालन BDO करता है।
ग्राम स्तर: ग्राम सचिव पंचायत के कार्यों में सहायता करता है।
ग्राम पटवारी भूमि रिकॉर्ड और कर संग्रह करता है।
ग्राम स्तर पर पुलिस चौकी कानून व्यवस्था बनाए रखती है।
73वाँ संशोधन (24 अप्रैल 1993) ने ग्राम प्रशासन को मजबूत किया।
पटवारी गाँव में भूमि का नक्शा और रिकॉर्ड रखता है।
लेखपाल तहसील में राजस्व संग्रह की सहायता करता है।
थानाध्यक्ष (SHO) ग्राम और तहसील स्तर पर पुलिस का नेतृत्व करता है।
स्वास्थ्य कार्यकर्ता (ANM) ग्राम स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएँ देता है।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता बच्चों और महिलाओं के पोषण का ध्यान रखती है।
BDO ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति के साथ कार्य करता है।
जिला आपूर्ति अधिकारी (DSO) राशन वितरण का प्रबंध करता है।
जिला निर्वाचन अधिकारी मतदान प्रक्रिया का संचालन करता है।
जिला सूचना अधिकारी जनसंपर्क और सूचना प्रसार करता है।
जिला प्रशासन का ढाँचा ब्रिटिश काल से विकसित हुआ (1858 के बाद)।
74वाँ संशोधन (1 जून 1993) ने नगरीय प्रशासन को प्रभावित किया।
मनरेगा (13 सितंबर 2005) ने ग्रामीण प्रशासन को रोजगार से जोड़ा।
जिला कलेक्टर आपात स्थिति में धारा 144 लागू करता है।
भारत में 700 से अधिक जिले हैं (2023 तक)।
तहसीलदार भूमि विवादों का निपटारा करता है।
ग्राम पटवारी का रिकॉर्ड डिजिटल हुआ (21वीं सदी)।
जिला प्रशासन केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को लागू करता है।
पुलिस और प्रशासन का समन्वय कानून व्यवस्था के लिए जरूरी है।
स्वच्छ भारत मिशन (2014) ने ग्राम प्रशासन को स्वच्छता से जोड़ा।
उत्तर प्रदेश में 2023 तक 75 जिले हैं।
जिला प्रशासन का मुखिया जिलाधिकारी (DM या कलेक्टर) होता है।
जिले में न्याय और विवादों का फैसला जिला न्यायाधीश करता है।
जिले में विकास योजनाओं की देखरेख मुख्य विकास अधिकारी (CDO) करता है।
परिवार कल्याण और टीकाकरण मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) का कार्य है।
जिले के माध्यमिक विद्यालयों की व्यवस्था जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) देखता है।
प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की व्यवस्था बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) देखता है।
जिले में कानून व्यवस्था पुलिस अधीक्षक (SP) बनाए रखता है।
उपजिला अधिकारी (SDM) भूमि व्यवस्था और लगान वसूली का कार्य करता है।
जिलाधिकारी जिले का सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी होता है।
जिला प्रशासन राज्य और स्थानीय सरकार के बीच समन्वय करता है।
पुलिस अधीक्षक जिले में अपराध नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्वास्थ्य सेवाओं का प्रबंधन करता है।
जिला न्यायाधीश जिला स्तर पर सिविल और आपराधिक मामलों की सुनवाई करता है।
मुख्य विकास अधिकारी ग्रामीण और शहरी विकास परियोजनाओं की निगरानी करता है।
जिला प्रशासन कानून और विकास का संतुलन बनाए रखता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी महामारी नियंत्रण में भूमिका निभाता है।
बेसिक शिक्षा अधिकारी बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करता है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहरी स्वच्छता पर जोर दिया गया।
जिला प्रशासन ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समन्वय करता है।
जिला प्रशासन शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देता है।
जिला प्रशासन आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई करता है।
जिला प्रशासन और नगरीय निकाय मिलकर विकास करते हैं।
जिला न्यायाधीश कानूनी विवाद सुलझाता है।
पुलिस अधीक्षक भीड़ प्रबंधन में सहायता करता है।
मुख्य विकास अधिकारी ग्रामीण रोजगार योजनाओं को देखता है।
जिलाधिकारी जिले में कर संग्रह की निगरानी करता है।