परिचय
पाषाणकाल की परिभाषा: पाषाणकाल मानव इतिहास का वह प्रारंभिक काल है जब मानव ने पत्थरों से बने औज़ारों का उपयोग किया, जो मानव विकास और सांस्कृतिक प्रगति का आधार बना।
महत्व: यह काल मानव के शिकारी-संघटक जीवन से कृषि और स्थायी बस्तियों तक की यात्रा को दर्शाता है, जो सभ्यता के विकास का प्रथम चरण है।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तथ्य: पाषाणकाल को पुरापाषाण, मध्य पाषाण, और नव पाषाण काल में विभाजित किया जाता है, और यह काल लगभग 2.5 मिलियन वर्ष पहले से 3000 ईसा पूर्व तक फैला है।
1. मानव का विकास क्रम
परिभाषा: मानव का विकास क्रम (होमिनिड से होमो सेपियन्स तक) जैविक और सांस्कृतिक विकास की प्रक्रिया है, जो लाखों वर्षों में हुई।
प्रमुख चरण:
- होमिनिड: लगभग 6-7 मिलियन वर्ष पहले, मानव जैसे प्राणी (जैसे ऑस्ट्रेलोपिथेकस)।
- होमो हैबिलिस: 2.4-1.4 मिलियन वर्ष पहले, प्रारंभिक औज़ार निर्माता, "कुशल मानव"।
- होमो इरेक्टस: 1.9 मिलियन-110,000 वर्ष पहले, आग का उपयोग करने वाला पहला मानव।
- होमो सेपियन्स: लगभग 300,000 वर्ष पहले, आधुनिक मानव, जटिल औज़ार और भाषा का विकास।
प्रतियोगी तथ्य:
- मानव विकास का अध्ययन पुरातत्व, जीवाश्म, और डीएनए विश्लेषण पर आधारित है।
- अफ्रीका को मानव विकास का उद्गम स्थल माना जाता है।
- भारत में नर्मदा घाटी (हाथनोरा) से होमो इरेक्टस के जीवाश्म मिले हैं।
2. पाषाण कालीन मानव का जीवन
परिभाषा: पाषाण काल में मानव मुख्य रूप से पत्थर के औज़ारों का उपयोग करता था, और उसका जीवन शिकार, संग्रहण, और बाद में कृषि पर आधारित था।
प्रमुख काल:
- पुरापाषाण काल (Paleolithic Age):
- परिभाषा: पुरापाषाण काल (लगभग 2.5 मिलियन-10,000 ईसा पूर्व) मानव इतिहास का प्रारंभिक चरण है, जिसमें मानव शिकारी-संघटक था।
- विशेषताएँ:
- औज़ार: असंशोधित पत्थर के औज़ार जैसे हस्त-कुल्हाड़ी, खुरचनी।
- जीवनशैली: घुमक्कड़ जीवन, गुफाओं में निवास।
- खाद्य स्रोत: शिकार (हिरण, जंगली सुअर) और जंगली फल, जड़ें।
- कला: गुफा चित्रकला (जैसे भीमबेटका, मध्य प्रदेश)।
- प्रमुख स्थल: भीमबेटका (मध्य प्रदेश), सोहन घाटी (पंजाब), नर्मदा घाटी।
- प्रतियोगी तथ्य:
- भीमबेटका को UNESCO विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
- पुरापाषाण काल में आग का उपयोग शुरू हुआ (होमो इरेक्टस)।
- औज़ार मुख्य रूप से क्वार्टजाइट और चकमक पत्थर से बने थे।
- मध्य पाषाण काल (Mesolithic Age):
- परिभाषा: मध्य पाषाण काल (लगभग 10,000-6,000 ईसा पूर्व) एक संक्रमणकालीन काल था, जिसमें मानव ने छोटे और सूक्ष्म औज़ारों का उपयोग शुरू किया।
- विशेषताएँ:
- औज़ार: सूक्ष्म पाषाण (माइक्रोलिथ्स) जैसे तीर, भाले।
- जीवनशैली: अर्ध-घुमक्कड़, शिकार और मछली पकड़ना।
- खाद्य स्रोत: छोटे जानवर, मछली, और जंगली अनाज।
- प्रारंभिक कृषि: कुछ स्थानों पर प्रारंभिक खेती शुरू।
- प्रमुख स्थल: बागोर (राजस्थान), लंघनज (गुजरात), अडमगढ़ (मध्य प्रदेश)।
- प्रतियोगी तथ्य:
- मध्य पाषाण काल में पशुपालन की शुरुआत हुई।
- माइक्रोलिथ्स लकड़ी या हड्डी के साथ जोड़े जाते थे।
- भारत में मध्य पाषाण काल के स्थल विंध्य और सतपुड़ा क्षेत्रों में मिले।
- नव पाषाण काल (Neolithic Age):
- परिभाषा: नव पाषाण काल (लगभग 6,000-2,500 ईसा पूर्व) में मानव ने कृषि, पशुपालन, और स्थायी बस्तियों की शुरुआत की।
- विशेषताएँ:
- औज़ार: पॉलिश किए गए पत्थर के औज़ार (जैसे कुल्हाड़ी, हँसिया)।
- जीवनशैली: स्थायी बस्तियाँ, मिट्टी के घर।
- खाद्य स्रोत: गेहूँ, जौ, चावल की खेती; गाय, भेड़, बकरी का पालन।
- हस्तशिल्प: मिट्टी के बर्तन, बुनाई।
- प्रमुख स्थल: मेहरगढ़ (बलूचिस्तान), बुरज़होम (कश्मीर), चिरांद (बिहार)।
- प्रतियोगी तथ्य:
- मेहरगढ़ विश्व का सबसे प्राचीन कृषि स्थल है (7000 ईसा पूर्व)।
- नव पाषाण काल में पहिए का आविष्कार हुआ।
- चावल की खेती भारत में लहना (उत्तर प्रदेश) में शुरू हुई।
3. धातु काल
परिभाषा: धातु काल (लगभग 2,500 ईसा पूर्व से) वह काल है जब मानव ने ताँबे, कांस्य, और बाद में लोहे के औज़ारों का उपयोग शुरू किया।
प्रमुख चरण:
- ताम्र पाषाण काल (Chalcolithic Age): ताँबे और पत्थर के औज़ारों का उपयोग (लगभग 2,500-1,500 ईसा पूर्व)।
- कांस्य युग: कांस्य (ताँबा और टिन का मिश्रण) के औज़ार, हड़प्पा सभ्यता इसका उदाहरण।
- लौह युग: लोहे के औज़ार और हथियार (लगभग 1,000 ईसा पूर्व से)।
विशेषताएँ:
- औज़ार: ताँबे की कुल्हाड़ी, कांस्य के बर्तन, लोहे के हथियार।
- जीवनशैली: शहरी बस्तियाँ (हड़प्पा काल), ग्रामीण बस्तियाँ (लौह युग)।
- प्रमुख स्थल: आहड़ (राजस्थान), जोर्वे (महाराष्ट्र), हड़प्पा, मोहनजोदड़ो।
प्रतियोगी तथ्य:
- हड़प्पा सभ्यता ताम्र पाषाण काल की है।
- लौह युग में वैदिक सभ्यता का उदय हुआ।
- भारत में ताम्र पाषाण काल के स्थल दक्कन और राजस्थान में मिले।