4. वैदिक काल

अति विस्तृत नोट्स

1. प्रारंभिक जीवन

विवरण: वैदिक काल (1500-600 ईसा पूर्व) में आर्य मध्य एशिया के यूरेशियन स्टेपी क्षेत्र से भारत आए, जो संभवतः बैक्ट्रिया-मार्गियाना पुरातात्विक परिसर (BMAC) से संबंधित थे। वे उत्तर-पश्चिम भारत, विशेष रूप से सप्त सैन्धव क्षेत्र में बसे।

विशेषताएँ:

  • प्रवास: आर्य इंडो-ईरानी समूह का हिस्सा थे, जो कांस्य युग में मध्य एशिया से भारत आए।
  • जीवनशैली: प्रारंभ में खानाबदोश, पशुपालक, और युद्धप्रिय; बाद में स्थायी बस्तियों और कृषि आधारित जीवन की ओर अग्रसर।
  • सामाजिक संरचना: संयुक्त परिवार (कुल) आधारित समाज, जिसमें कुलपति परिवार का मुखिया था।
  • सांस्कृतिक पहचान: घोड़ा और रथ का उपयोग, अग्निकुंडों के साथ यज्ञ, और वैदिक मंत्रों की रचना।
  • प्रतियोगी तथ्य: पुरातात्विक साक्ष्य जैसे राखीगढ़ी और भिर्राना में अग्निकुंड और घोड़ा-रथ आर्य उपस्थिति की पुष्टि करते हैं। आर्यों ने स्थानीय हड़प्पा सभ्यता के साथ सांस्कृतिक मिश्रण किया, जिससे वैदिक संस्कृति का विकास हुआ।

2. आर्य सभ्यता का प्रसार

विवरण: आर्य सभ्यता का प्रसार उत्तर-पश्चिम भारत से गंगा-यमुना दोआब और पूर्वी भारत तक हुआ, जिसने वैदिक संस्कृति को व्यापक आधार प्रदान किया।

विशेषताएँ:

  • प्रारंभिक क्षेत्र: सप्त सैन्धव (सात नदियों का क्षेत्र) में प्रारंभिक बस्तियाँ।
  • विस्तार: उत्तर वैदिक काल में कुरु, पांचाल, कोशल, और विदेह जनपदों तक विस्तार।
  • सांस्कृतिक मिश्रण: स्थानीय द्रविड़ और अन्य गैर-आर्य जनजातियों (दास, दस्यु) के साथ संपर्क।
  • प्रतियोगी तथ्य: ऋग्वेद में दास और दस्यु का उल्लेख गैर-आर्य जनजातियों के साथ संघर्ष को दर्शाता है। लौह प्रौद्योगिकी और जंगल कटाई ने गंगा मैदान में बस्तियों को बढ़ावा दिया।

3. सप्त सैन्धव

विवरण: सप्त सैन्धव सात नदियों का क्षेत्र था, जो वर्तमान पंजाब, हरियाणा, और उत्तर-पश्चिम भारत में स्थित था। यह आर्यों का प्रारंभिक निवास स्थान था।

विशेषताएँ:

  • नदियाँ: सिंधु, विपाशा (ब्यास), शतुद्री (सतलज), परुष्णी (रावी), सरस्वती, दृषद्वती, आसिक्नी (चेनाब)।
  • महत्व: सरस्वती नदी को ऋग्वेद में 'नदियों की माता' और पवित्र नदी माना गया।
  • प्रतियोगी तथ्य: सरस्वती नदी को पुरातात्विक रूप से घग्घर-हकरा नदी से जोड़ा जाता है। सप्त सैन्धव क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता के अवशेष जैसे राखीगढ़ी और कालीबंगा मिले हैं, जो आर्य-हड़प्पा संपर्क की संभावना दर्शाते हैं।

4. ब्रह्मवर्त

विवरण: ब्रह्मवर्त सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच का पवित्र क्षेत्र था, जो वैदिक सभ्यता का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र था।

विशेषताएँ:

  • स्थान: वर्तमान हरियाणा और पंजाब का हिस्सा।
  • महत्व: यज्ञ, तप, और वैदिक शिक्षा का केंद्र।
  • प्रतियोगी तथ्य: मनुस्मृति में ब्रह्मवर्त को 'देवों की भूमि' कहा गया। ब्रह्मवर्त में पुरातात्विक रूप से यज्ञ वेदियाँ और अग्निकुंड मिले हैं।

5. ब्रह्मारिषी

विवरण: ब्रह्मारिषी उच्च कोटि के ऋषि थे, जिन्होंने वैदिक ग्रंथों, दर्शन, और यज्ञ परंपराओं का विकास किया।

विशेषताएँ:

  • प्रमुख ब्रह्मारिषी: विश्वामित्र, वशिष्ठ, याज्ञवल्क्य, गर्ग, कण्व, भृगु।
  • योगदान: वेदों, उपनिषदों, और ब्राह्मण ग्रंथों की रचना; गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का विकास।
  • प्रतियोगी तथ्य: विश्वामित्र ने ऋग्वेद के तृतीय मंडल की रचना की, जिसमें गायत्री मंत्र शामिल है। याज्ञवल्क्य ने शतपथ ब्राह्मण और बृहदारण्यक उपनिषद् में योगदान दिया।

6. आर्यावर्त

विवरण: आर्यावर्त उत्तर भारत का वह क्षेत्र था, जहाँ वैदिक संस्कृति और धर्म का विकास हुआ।

विशेषताएँ:

  • सीमा: हिमालय से विंध्य पर्वत और पश्चिम से पूर्वी भारत तक।
  • महत्व: वैदिक साहित्य, यज्ञ, और शासन व्यवस्था का केंद्र।
  • प्रतियोगी तथ्य: मनुस्मृति में आर्यावर्त को 'कर्मभूमि' कहा गया। कुरु, पांचाल, और कोशल जैसे जनपद आर्यावर्त के प्रमुख केंद्र थे।

7. दक्षिणापथ

विवरण: दक्षिणापथ विंध्य पर्वत से दक्षिण भारत तक का व्यापारिक और सांस्कृतिक मार्ग था।

विशेषताएँ:

  • मार्ग: मध्य भारत से दक्कन और दक्षिणी प्रायद्वीप तक।
  • महत्व: व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, और दक्षिणी जनजातियों के साथ संपर्क।
  • प्रतियोगी तथ्य: दक्षिणापथ बाद में मौर्य और गुप्त काल में प्रमुख व्यापारिक मार्ग बना। दक्षिणापथ ने दक्षिणी भारत में वैदिक संस्कृति के प्रसार में योगदान दिया।

8. वैदिक सभ्यता के काल

विवरण: वैदिक सभ्यता को दो कालों में बाँटा गया: ऋग्वैदिक (1500-1000 ईसा पूर्व) और उत्तर वैदिक (1000-600 ईसा पूर्व)।

विशेषताएँ:

  • ऋग्वैदिक काल: पशुपालन, युद्ध, और साधारण सामाजिक संरचना।
  • उत्तर वैदिक काल: कृषि, जटिल शासन, और वर्ण-आश्रम व्यवस्था का विकास।
  • प्रतियोगी तथ्य: उत्तर वैदिक काल में कुरु और पांचाल जनपद प्रमुख शक्ति केंद्र थे। लौह प्रौद्योगिकी ने उत्तर वैदिक काल में कृषि और शिल्प को बढ़ावा दिया।

9. ऋग्वैदिक काल

विवरण: ऋग्वैदिक काल में आर्य मुख्य रूप से खानाबदोश और पशुपालक थे, जो सप्त सैन्धव क्षेत्र में बसे।

विशेषताएँ:

  • जीवनशैली: रथ-आधारित युद्ध, पशुपालन, और सीमित कृषि।
  • ग्रंथ: ऋग्वेद, जिसमें 10 मंडल, 1028 सूक्त, और 10,600 मंत्र हैं।
  • प्रतियोगी तथ्य: ऋग्वेद विश्व का प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथ है, जिसमें 33 प्रमुख देवताओं का उल्लेख है। दशराज्ञ युद्ध (Battle of Ten Kings) ऋग्वेद में वर्णित है, जिसमें सुदास की जीत हुई।

10. उत्तर वैदिक काल

विवरण: उत्तर वैदिक काल में आर्य गंगा-यमुना दोआब में बसे और कृषि आधारित स्थायी समाज विकसित हुआ।

विशेषताएँ:

  • ग्रंथ: यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण ग्रंथ, उपनिषद्।
  • सामाजिक परिवर्तन: वर्ण व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था, और जनपदों का उदय।
  • प्रतियोगी तथ्य: उत्तर वैदिक काल में लोहे (श्याम आयस) का उपयोग शुरू हुआ, जिसने कृषि और युद्ध को बदल दिया। कुरुक्षेत्र उत्तर वैदिक काल का प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र था।

11. आर्यों के जन

विवरण: आर्य समाज जन (कबीले) आधारित था, जो सामूहिक रूप से युद्ध, शासन, और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेता था।

विशेषताएँ:

  • संरचना: जन (कबीला) → विश (उप-कबीला) → ग्राम (गाँव) → कुल (परिवार)।
  • प्रमुख: ग्रामणी (ग्राम का मुखिया), विशपति (विश का मुखिया), राजन (जन का नेता)।
  • प्रतियोगी तथ्य: भरत, पुरु, और यदु प्रमुख वैदिक जन थे। दशराज्ञ युद्ध में सुदास ने 10 जनों को हराया, जो ऋग्वेद में वर्णित है।

12. राजा का शासन

विवरण: वैदिक काल में राजा जन का सैन्य, धार्मिक, और प्रशासनिक नेता था।

विशेषताएँ:

  • कर्तव्य: युद्ध, सुरक्षा, यज्ञ आयोजन, और कर संग्रह (बलि)।
  • सहायता: सभा, समिति, पुरोहित, और सेनानी (सेनापति)।
  • प्रतियोगी तथ्य: राजसूय यज्ञ राजा की सत्ता को वैधता प्रदान करता था। राजा को 'विशामपति' (विश का स्वामी) भी कहा जाता था।

13. युद्ध के बाद सभा

विवरण: युद्ध के बाद सभा और समिति सामाजिक, शासकीय, और न्यायिक निर्णय लेती थीं।

विशेषताएँ:

  • सभा: कुलीनों, ब्रह्मारिषियों, और बुद्धिजीवियों की सलाहकार सभा।
  • समिति: जन की व्यापक सभा, जिसमें सामान्य लोग शामिल थे।
  • प्रतियोगी तथ्य: सभा और समिति प्रारंभिक लोकतांत्रिक संस्थाएँ थीं। ऋग्वेद में सभा को 'नारी' और समिति को 'सभा की बेटी' कहा गया।

14. धर्म एवं यज्ञ

विवरण: वैदिक धर्म प्रकृति पूजा, यज्ञ, और देवताओं की पूजा पर आधारित था।

विशेषताएँ:

  • देवता: इंद्र (युद्ध और वर्षा), अग्नि (यज्ञ), वरुण (नैतिकता), सोम (ऋषि पेय), सूर्य, विष्णु।
  • यज्ञ: अश्वमेध (साम्राज्य विस्तार), राजसूय (राज्याभिषेक), वाजपेय (शक्ति प्रदर्शन), अग्निहोत्र (दैनिक यज्ञ)।
  • प्रतियोगी तथ्य: सोम यज्ञ में सोमरस (पौधे से बना पेय) का उपयोग होता था। यज्ञों में हवि (घी, दूध, अनाज) अर्पित की जाती थी।

15. वैदिक कालीन समाज

विवरण: वैदिक समाज में वर्ण व्यवस्था प्रारंभ हुई, जो उत्तर वैदिक काल में अधिक जटिल और कठोर हुई।

विशेषताएँ:

  • वर्ण: ब्राह्मण (पुजारी/शिक्षक), क्षत्रिय (योद्धा/शासक), वैश्य (व्यापारी/कृषक), शूद्र (सेवक)।
  • लिंग भूमिका: महिलाएँ यज्ञों में भाग लेती थीं; गार्गी और मैत्रेयी जैसी विदुषियाँ दर्शनशास्त्र में प्रसिद्ध थीं।
  • प्रतियोगी तथ्य: ऋग्वेद के पुरुष सूक्त में वर्ण व्यवस्था का प्रारंभिक उल्लेख है। उत्तर वैदिक काल में जति (जाति) की अवधारणा उभरी, जो बाद में जाति व्यवस्था का आधार बनी।

16. आश्रम व्यवस्था

विवरण: आश्रम व्यवस्था ने जीवन को चार चरणों में बाँटा, जो उत्तर वैदिक काल में व्यवस्थित हुई।

विशेषताएँ:

  • चरण: ब्रह्मचर्य (शिक्षा और आत्मसंयम), गृहस्थ (पारिवारिक जीवन), वानप्रस्थ (वनवास), संन्यास (त्याग और मोक्ष)।
  • महत्व: सामाजिक और आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखना।
  • प्रतियोगी तथ्य: आश्रम व्यवस्था का वर्णन छांदोग्य और बृहदारण्यक उपनिषद् में मिलता है। यह व्यवस्था मुख्य रूप से ब्राह्मण और क्षत्रिय वर्णों पर लागू थी।

17. आर्यों की भाषा

विवरण: आर्यों की भाषा वैदिक संस्कृत थी, जो बाद में लौकिक संस्कृत में विकसित हुई।

विशेषताएँ:

  • प्रकार: वैदिक संस्कृत (ऋग्वेद, यजुर्वेद), लौकिक संस्कृत (पाणिनि के बाद)।
  • लिपि: प्रारंभ में मौखिक (श्रुति परंपरा), बाद में ब्राह्मी लिपि।
  • प्रतियोगी तथ्य: संस्कृत इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार की सबसे प्राचीन भाषा है। पाणिनि की अष्टाध्यायी (400 ईसा पूर्व) ने संस्कृत व्याकरण को व्यवस्थित किया।

18. शिक्षा

विवरण: वैदिक काल में गुरुकुल प्रणाली के तहत शिक्षा दी जाती थी, जिसमें शिष्य गुरु के साथ रहते थे।

विशेषताएँ:

  • विषय: वेद, वेदांग (ज्योतिष, छंद, व्याकरण, निरुक्त, शिक्षा, कल्प), दर्शन, युद्धकला, और नैतिक शिक्षा।
  • प्रणाली: शिष्य ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए गुरु के आश्रम में रहते थे।
  • प्रतियोगी तथ्य: गार्गी और याज्ञवल्क्य गुरुकुल शिक्षा के प्रतीक थे। शिक्षा मौखिक थी, और वेदों का संरक्षण श्रुति परंपरा के माध्यम से हुआ।

19. पशु पालन

विवरण: पशुपालन वैदिक अर्थव्यवस्था का आधार था, विशेष रूप से ऋग्वैदिक काल में।

विशेषताएँ:

  • पशु: गाय, घोड़ा, भेड़, बकरी, गधा।
  • महत्व: गाय को 'गोधन' और यज्ञ का प्रतीक माना जाता था; घोड़ा युद्ध और रथ के लिए महत्वपूर्ण था।
  • प्रतियोगी तथ्य: ऋग्वेद में गाय को 'अघन्या' (न मारने योग्य) कहा गया। पशुधन की चोरी के लिए युद्ध (गविश्टि) आम थे।

20. खेती का महत्व

विवरण: उत्तर वैदिक काल में खेती प्रमुख व्यवसाय बन गया, जिसने स्थायी बस्तियों और सामाजिक जटिलता को बढ़ावा दिया।

विशेषताएँ:

  • फसलें: गेहूँ, जौ, चावल (व्रीहि), दालें, तिल, और गन्ना।
  • उपकरण: लकड़ी का हल (ऋग्वैदिक), लौह हल (उत्तर वैदिक)।
  • प्रतियोगी तथ्य: अथर्ववेद में कृषि अनुष्ठानों और हल की पूजा का उल्लेख है। लौह हल ने जंगल कटाई और कृषि भूमि विस्तार में योगदान दिया।

21. शिल्प

विवरण: वैदिक काल में शिल्पकार विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करते थे, जो अर्थव्यवस्था का हिस्सा थे।

विशेषताएँ:

  • शिल्प: लकड़ी के रथ, धातु के हथियार, मिट्टी के बर्तन, कपड़े (सूत, ऊन)।
  • प्रौद्योगिकी: उत्तर वैदिक काल में लोहे का उपयोग (हथियार, हल)।
  • प्रतियोगी तथ्य: ऋग्वेद में रथकार (रथ निर्माता) का उल्लेख है। तक्षक (बढ़ई) और कर्मकार (लोहार) प्रमुख शिल्पी थे।

22. विज्ञान और प्रौद्योगिकी

विवरण: वैदिक काल में गणित, खगोलशास्त्र, और चिकित्सा का प्रारंभिक विकास हुआ।

विशेषताएँ:

  • वेदांग: ज्योतिष (खगोलशास्त्र), छंद (काव्य), व्याकरण, निरुक्त (शब्द व्युत्पत्ति), शिक्षा (उच्चारण), कल्प (कर्मकांड)।
  • प्रतियोगी तथ्य: ज्योतिष वेदांग में नक्षत्रों और ग्रहों की गणना का उल्लेख है। अथर्ववेद में औषधियों और चिकित्सा का वर्णन है।

23. रामायण

विवरण: रामायण एक महाकाव्य है, जो राम के जीवन और आदर्श शासन की कहानी कहता है।

विशेषताएँ:

  • रचयिता: वाल्मीकि।
  • काल: उत्तर वैदिक काल के बाद (लगभग 500 ईसा पूर्व)।
  • प्रतियोगी तथ्य: रामायण में सात कांड हैं, जैसे बालकांड, अयोध्याकांड। रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का आदर्श चरित्र वर्णित है।

24. महाभारत

विवरण: महाभारत कुरु और पांडवों के युद्ध की गाथा है, जो वैदिक काल के बाद का महाकाव्य है।

विशेषताएँ:

  • रचयिता: वेदव्यास।
  • भाग: 18 पर्व, जिसमें भगवद्गीता शामिल है।
  • प्रतियोगी तथ्य: महाभारत विश्व का सबसे लंबा महाकाव्य है, जिसमें 100,000 श्लोक हैं।

25. ब्राह्मण ग्रंथ

विवरण: ब्राह्मण ग्रंथ यज्ञों और कर्मकांडों की व्याख्या करते हैं।

विशेषताएँ:

  • उदाहरण: ऐतरेय ब्राह्मण (ऋग्वेद), शतपथ ब्राह्मण (यजुर्वेद), गोपथ ब्राह्मण (अथर्ववेद)।
  • प्रतियोगी तथ्य: शतपथ ब्राह्मण सबसे विस्तृत ब्राह्मण ग्रंथ है।

26. उपनिषद्

विवरण: उपनिषद् दार्शनिक ग्रंथ हैं, जो आत्मा, ब्रह्म, और मोक्ष की अवधारणाओं पर चर्चा करते हैं।

विशेषताएँ:

  • प्रमुख उपनिषद्: ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुंडक, मांडूक्य, छांदोग्य, बृहदारण्यक।
  • प्रतियोगी तथ्य: उपनिषद् वेदांत दर्शन का आधार हैं। उपनिषद् में 'तत्त्वमसि' और 'अहम् ब्रह्मास्मि' जैसे महावाक्य हैं।

27. मुंडक उपनिषद्

विवरण: मुंडक उपनिषद् परा (आध्यात्मिक) और अपरा (लौकिक) विद्या की तुलना करता है।

विशेषताएँ:

  • विषय: आत्मा और ब्रह्म का ज्ञान; कर्म और ज्ञान का अंतर।
  • प्रतियोगी तथ्य: मुंडक उपनिषद् अथर्ववेद से संबंधित है।
  • अतिरिक्त जानकारी: इसमें 'सत्यमेव जयते' (सत्य की ही विजय होती है) का उल्लेख है।

28. समय रेखा

विवरण: समय रेखा वैदिक काल की घटनाओं को क्रमबद्ध करती है।

विशेषताएँ:

  • ऋग्वैदिक काल: 1500-1000 ईसा पूर्व।
  • उत्तर वैदिक काल: 1000-600 ईसा पूर्व।
  • प्रतियोगी तथ्य: समय रेखा ईसा पूर्व (BC) और ईसा पश्चात (AD) में विभाजित होती है। उत्तर वैदिक काल में महाजनपदों का उदय शुरू हुआ।

सारांश (एक पंक्ति के तथ्य)

  1. वैदिक काल में आर्य मध्य एशिया से भारत आए।
  2. आर्य सभ्यता का प्रसार 1500-600 ईसा पूर्व हुआ।
  3. सप्त सैन्धव सात नदियों का क्षेत्र था।
  4. सप्त सैन्धव में सिंधु, सरस्वती, रावी आदि नदियाँ थीं।
  5. ब्रह्मवर्त सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच था।
  6. ब्रह्मारिषी जैसे विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की।
  7. आर्यावर्त हिमालय से विंध्य तक का क्षेत्र था।
  8. दक्षिणापथ दक्षिण भारत का व्यापारिक मार्ग था।
  9. वैदिक सभ्यता दो कालों में बँटी: ऋग्वैदिक और उत्तर वैदिक।
  10. ऋग्वैदिक काल 1500-1000 ईसा पूर्व था।
  11. उत्तर वैदिक काल 1000-600 ईसा पूर्व था।
  12. ऋग्वेद विश्व का प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथ है।
  13. ऋग्वेद में 10 मंडल और 1028 सूक्त हैं।
  14. उत्तर वैदिक काल में यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद बने।
  15. आर्य समाज जन, विश, ग्राम, और कुल पर आधारित था।
  16. ग्रामणी ग्राम का मुखिया था।
  17. विशपति विश का नेता था।
  18. भरत और पुरु प्रमुख वैदिक जन थे।
  19. दशराज्ञ युद्ध ऋग्वेद में वर्णित है।
  20. राजा वैदिक काल में जन का नेता था।
  21. राजसूय यज्ञ राजा की सत्ता को वैधता देता था।
  22. सभा और समिति शासन में सहायता करती थीं।
  23. सभा कुलीनों की सलाहकार सभा थी।
  24. समिति जन की सभा थी।
  25. वैदिक धर्म प्रकृति पूजा और यज्ञ पर आधारित था।
  26. प्रमुख देवता: इंद्र, अग्नि, वरुण, सोम।
  27. अश्वमेध और राजसूय प्रमुख यज्ञ थे।
  28. सोम यज्ञ में सोमरस का उपयोग होता था।
  29. वैदिक समाज में वर्ण व्यवस्था प्रारंभ हुई।
  30. वर्ण: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
  31. पुरुष सूक्त में वर्ण व्यवस्था का उल्लेख है।
  32. आश्रम व्यवस्था में चार चरण थे: ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ, संन्यास।
  33. आश्रम व्यवस्था का वर्णन छांदोग्य उपनिषद् में है।
  34. आर्यों की भाषा वैदिक संस्कृत थी।
  35. संस्कृत इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार से संबंधित है।
  36. पाणिनि की अष्टाध्यायी ने संस्कृत व्याकरण को व्यवस्थित किया।
  37. गुरुकुल शिक्षा प्रणाली वैदिक काल में प्रचलित थी।
  38. गार्गी और याज्ञवल्क्य गुरुकुल शिक्षा के प्रतीक थे।
  39. पशुपालन वैदिक अर्थव्यवस्था का आधार था।
  40. गाय को 'अघन्या' और धन का प्रतीक माना जाता था।
  41. उत्तर वैदिक काल में खेती प्रमुख व्यवसाय बना।
  42. लौह हल ने कृषि उत्पादकता बढ़ाई।
  43. ऋग्वेद में रथकार का उल्लेख है।
  44. उत्तर वैदिक काल में लोहे का उपयोग शिल्प में बढ़ा।
  45. ज्योतिष वेदांग में नक्षत्रों की गणना थी।
  46. रामायण के रचयिता वाल्मीकि थे।
  47. रामायण में सात कांड हैं।
  48. महाभारत के रचयिता वेदव्यास थे।
  49. महाभारत में 18 पर्व और 100,000 श्लोक हैं।
  50. भगवद्गीता महाभारत का हिस्सा है।
  51. शतपथ ब्राह्मण सबसे विस्तृत ब्राह्मण ग्रंथ है।
  52. उपनिषद् वेदांत दर्शन का आधार हैं।
  53. मुंडक उपनिषद् अथर्ववेद से संबंधित है।
  54. मुंडक उपनिषद् में 'सत्यं एव जयति' का उल्लेख है।
  55. समय रेखा ईसा पूर्व और ईसा पश्चात में बँटी है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. वैदिक काल में आर्य कहाँ से आए?





2. सप्त सैन्धव में कौन सी नदी शामिल थी?





3. ब्रह्मवर्त का क्षेत्र किन नदियों के बीच था?





4. निम्नलिखित में से कौन ब्रह्मारिषी था?





5. आर्यावर्त की सीमा क्या थी?





6. दक्षिणापथ का महत्व क्या था?





7. ऋग्वैदिक काल का समय क्या था?





8. उत्तर वैदिक काल में कौन सा ग्रंथ नहीं बना?





9. आर्य समाज की सबसे छोटी इकाई क्या थी?





10. ग्राम का मुखिया कौन था?





11. सभा का कार्य क्या था?





12. वैदिक काल के प्रमुख देवता कौन थे?





13. अश्वमेध यज्ञ का उद्देश्य क्या था?





14. वैदिक समाज में कितने वर्ण थे?





15. आश्रम व्यवस्था के कितने चरण थे?





16. आर्यों की भाषा क्या थी?





17. वैदिक काल में शिक्षा प्रणाली क्या थी?





18. वैदिक काल में प्रमुख पशु कौन सा था?





19. उत्तर वैदिक काल में कौन सा हल उपयोग हुआ?





20. वैदिक शिल्प में किस धातु का उपयोग बढ़ा?





21. ज्योतिष वेदांग का विषय क्या था?





22. रामायण के रचयिता कौन थे?





23. महाभारत का हिस्सा कौन सा ग्रंथ है?





24. सबसे विस्तृत ब्राह्मण ग्रंथ कौन सा है?





25. उपनिषद् का मुख्य विषय क्या है?





26. मुंडक उपनिषद् किस वेद से संबंधित है?





27. समय रेखा को कैसे विभाजित किया जाता है?





28. वैदिक काल में प्रमुख फसल क्या थी?





29. वैदिक काल में सभा और समिति क्या थीं?





30. महाभारत के रचयिता कौन थे?