5. छठी शताब्दी ई.पू. का भारत: धार्मिक आंदोलन

अति विस्तृत नोट्स

1. परिचय: छठी शताब्दी ई.पू. का भारत

विवरण: छठी शताब्दी ई.पू. में भारत में धार्मिक और सामाजिक परिवर्तनों का दौर था, जिसमें जैनधर्म और बौद्ध धर्म जैसे नए दर्शनों का उदय हुआ। यह काल वैदिक धर्म की जटिलता और कर्मकांडों के खिलाफ प्रतिक्रिया का समय था।

विशेषताएँ:

  • सामाजिक पृष्ठभूमि: महाजनपदों का उदय, शहरीकरण, और व्यापार का विकास।
  • धार्मिक परिवर्तन: वैदिक यज्ञों और ब्राह्मणवाद के खिलाफ सरल, नैतिकता-आधारित धर्मों का उदय।
  • प्रतियोगी तथ्य: इस काल में 16 महाजनपद थे, जैसे मगध, कोशल, और वज्जि। जैनधर्म और बौद्ध धर्म ने वर्ण व्यवस्था को चुनौती दी।

2. धार्मिक आंदोलन

विवरण: वैदिक धर्म की जटिलता और सामाजिक असमानता के खिलाफ कई धार्मिक आंदोलन शुरू हुए, जिनमें जैनधर्म और बौद्ध धर्म प्रमुख थे।

विशेषताएँ:

  • आंदोलन: जैनधर्म और बौद्ध धर्म ने अहिंसा, नैतिकता, और आत्म-संयम पर जोर दिया।
  • अन्य संप्रदाय: आजीवक, चार्वाक, और लोकायत जैसे दर्शन भी उभरे।
  • प्रतियोगी तथ्य: आजीवक संप्रदाय के संस्थापक मक्खलि गोशाल थे। जैनधर्म और बौद्ध धर्म ने क्षत्रिय वर्ग से समर्थन प्राप्त किया।

3. जैनधर्म

विवरण: जैनधर्म एक प्राचीन भारतीय धर्म है, जो अहिंसा, सत्य, और आत्म-संयम पर आधारित है।

विशेषताएँ:

  • संस्थापक: जैनधर्म के 24 तीर्थकरों में ऋषभनाथ प्रथम और महावीर स्वामी अंतिम थे।
  • सिद्धांत: अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, और अपरिग्रह।
  • प्रतियोगी तथ्य: जैनधर्म ने कर्म सिद्धांत और आत्मा की शुद्धि पर जोर दिया। यह वैदिक यज्ञों का विरोध करता था।

4. तीर्थकर

विवरण: तीर्थकर वे महान आत्माएँ हैं, जिन्होंने मोक्ष प्राप्त किया और दूसरों को मार्ग दिखाया।

विशेषताएँ:

  • संख्या: जैनधर्म में 24 तीर्थकर माने जाते हैं।
  • प्रमुख तीर्थकर: ऋषभनाथ (प्रथम), नेमिनाथ (22वें), पार्श्वनाथ (23वें), महावीर स्वामी (24वें)।
  • प्रतियोगी तथ्य: पार्श्वनाथ ने चार महाव्रत दिए, जिन्हें महावीर ने पाँचवें (ब्रह्मचर्य) के साथ पूर्ण किया।

5. महावीर स्वामी (वर्धमान)

विवरण: वर्धमान महावीर जैनधर्म के 24वें तीर्थकर थे, जिन्होंने जैनधर्म को व्यवस्थित और प्रचारित किया।

विशेषताएँ:

  • जन्म: 599 ई.पू., कुंडग्राम (वैशाली, बिहार) में।
  • परित्याग: 30 वर्ष की आयु में गृहत्याग, 12 वर्ष की तपस्या के बाद कैवल्य (मोक्ष) प्राप्ति।
  • प्रतियोगी तथ्य: महावीर को 'जिन' (विजेता) कहा गया। उनकी मृत्यु 527 ई.पू. में पावापुरी (बिहार) में हुई।

6. त्रिरत्न

विवरण: जैनधर्म में मोक्ष प्राप्ति के लिए तीन रत्नों का पालन आवश्यक है।

विशेषताएँ:

  • रत्न: सम्यक् दर्शन (सही विश्वास), सम्यक् ज्ञान (सही ज्ञान), सम्यक् चरित्र (सही आचरण)।
  • महत्व: ये तीनों रत्न आत्मा को कर्मों से मुक्त करने में सहायक हैं।
  • प्रतियोगी तथ्य: त्रिरत्न जैन दर्शन का मूल आधार हैं और नैतिक जीवन का मार्गदर्शन करते हैं।

7. पंच महाव्रत

विवरण: जैन साधुओं के लिए पाँच महाव्रत अनिवार्य हैं, जो नैतिक जीवन का आधार हैं।

विशेषताएँ:

  • व्रत: अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह (संपत्ति का त्याग)।
  • प्रतियोगी तथ्य: गृहस्थों के लिए इन व्रतों को अणुव्रत (छोटे व्रत) के रूप में पालन किया जाता है।

8. बौद्ध धर्म

विवरण: बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुद्ध ने की, जो दुख के कारणों और उनके निवारण पर आधारित है।

विशेषताएँ:

  • सिद्धांत: अहिंसा, करुणा, और मध्यम मार्ग।
  • प्रसार: मगध, कोशल, और अन्य महाजनपदों में व्यापक स्वीकृति।
  • प्रतियोगी तथ्य: बौद्ध धर्म ने वैदिक कर्मकांडों और वर्ण व्यवस्था को नकारा। सम्राट अशोक ने इसे विश्व स्तर पर प्रचारित किया।

9. महात्मा बुद्ध

विवरण: गौतम बुद्ध (सिद्धार्थ) बौद्ध धर्म के संस्थापक थे, जिन्होंने दुखों से मुक्ति का मार्ग दिखाया।

विशेषताएँ:

  • जन्म: 563 ई.पू., लुंबिनी (नेपाल) में शाक्य गणराज्य में।
  • परित्याग: 29 वर्ष की आयु में गृहत्याग (महाभिनिष्क्रमण)।
  • प्रतियोगी तथ्य: बुद्ध की मृत्यु 483 ई.पू. में कुशीनारा (उत्तर प्रदेश) में हुई। उन्हें 'शाक्यमुनि' कहा गया।

10. ज्ञान प्राप्ति

विवरण: बुद्ध ने 35 वर्ष की आयु में बोधगया (बिहार) में पीपल वृक्ष के नीचे समाधि में ज्ञान प्राप्त किया।

विशेषताएँ:

  • घटना: बुद्ध ने चार आर्य सत्यों को समझा और निर्वाण प्राप्त किया।
  • प्रतियोगी तथ्य: ज्ञान प्राप्ति को 'बोधि' कहा जाता है। बुद्ध ने पहला उपदेश सारनाथ में दिया (धर्मचक्र प्रवर्तन)।

11. चार आर्य सत्य

विवरण: बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांत, जो दुख और उसके निवारण को समझाते हैं।

विशेषताएँ:

  • सत्य: दुख, दुख का कारण (तृष्णा), दुख का निवारण, और निवारण का मार्ग (अष्टांगिक मार्ग)।
  • प्रतियोगी तथ्य: चार आर्य सत्य बौद्ध दर्शन का आधार हैं और जीवन की वास्तविकता को दर्शाते हैं।

12. अष्टांगिक मार्ग

विवरण: दुख से मुक्ति का आठ सूत्री मार्ग, जो नैतिक और मानसिक अनुशासन पर आधारित है।

विशेषताएँ:

  • मार्ग: सम्यक् दृष्टि, संकल्प, वाक्, कर्म, आजीविका, प्रयास, स्मृति, समाधि।
  • प्रतियोगी तथ्य: अष्टांगिक मार्ग को मध्यम मार्ग भी कहा जाता है, जो अतियों से बचने का रास्ता है।

13. निर्वाण

विवरण: निर्वाण दुखों और पुनर्जनन के चक्र से पूर्ण मुक्ति है।

विशेषताएँ:

  • अवधारणा: तृष्णा और अज्ञानता का अंत।
  • प्रतियोगी तथ्य: बुद्ध ने निर्वाण को 'शांति की स्थिति' बताया। यह बौद्ध धर्म का अंतिम लक्ष्य है।

14. बौद्ध धर्म के सम्प्रदाय

विवरण: बौद्ध धर्म में दो प्रमुख सम्प्रदाय विकसित हुए: हीनयान और महायान।

विशेषताएँ:

  • हीनयान: व्यक्तिगत मोक्ष पर जोर, मूल शिक्षाओं का पालन।
  • महायान: सभी के लिए मोक्ष, बुद्ध को दैवीय माना।
  • प्रतियोगी तथ्य: हीनयान को थेरवाद भी कहा जाता है। महायान ने बोधिसत्व की अवधारणा दी।

15. जातक कथाएँ

विवरण: जातक कथाएँ बुद्ध के पिछले जन्मों की कहानियाँ हैं, जो नैतिकता सिखाती हैं।

विशेषताएँ:

  • संख्या: 547 कथाएँ।
  • प्रतियोगी तथ्य: जातक कथाएँ त्रिपिटक के सुत्त पिटक का हिस्सा हैं। ये पाली भाषा में लिखी गई हैं।

16. समय रेखा

विवरण: समय रेखा छठी शताब्दी ई.पू. की प्रमुख घटनाओं को क्रमबद्ध करती है।

विशेषताएँ:

  • महावीर: जन्म (599 ई.पू.), कैवल्य (557 ई.पू.), मृत्यु (527 ई.पू.)।
  • बुद्ध: जन्म (563 ई.पू.), बोधि (528 ई.पू.), मृत्यु (483 ई.पू.)।
  • प्रतियोगी तथ्य: दूसरी बौद्ध संगीति (383 ई.पू.) में बौद्ध धर्म हीनयान और महायान में विभाजित हुआ।

सारांश (एक पंक्ति के तथ्य)

  1. छठी शताब्दी ई.पू. में भारत में जैनधर्म और बौद्ध धर्म का उदय हुआ।
  2. धार्मिक आंदोलन वैदिक कर्मकांडों के खिलाफ थे।
  3. जैनधर्म के प्रथम तीर्थकर ऋषभनाथ थे।
  4. महावीर स्वामी जैनधर्म के 24वें तीर्थकर थे।
  5. महावीर का जन्म 599 ई.पू. में कुंडग्राम (वैशाली) में हुआ।
  6. महावीर ने 30 वर्ष की आयु में गृहत्याग किया।
  7. महावीर को 12 वर्ष की तपस्या के बाद कैवल्य प्राप्त हुआ।
  8. महावीर की मृत्यु 527 ई.पू. में पावापुरी (बिहार) में हुई।
  9. जैनधर्म में त्रिरत्न हैं: सम्यक् दर्शन, ज्ञान, और चरित्र।
  10. पंच महाव्रत हैं: अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह।
  11. गृहस्थों के लिए पंच महाव्रत को अणुव्रत कहा जाता है।
  12. पार्श्वनाथ ने चार महाव्रत दिए थे।
  13. महावीर ने पाँचवाँ महाव्रत (ब्रह्मचर्य) जोड़ा।
  14. जैनधर्म ने कर्म सिद्धांत पर जोर दिया।
  15. बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुद्ध ने की।
  16. बुद्ध का जन्म 563 ई.पू. में लुंबिनी (नेपाल) में हुआ।
  17. बुद्ध ने 29 वर्ष की आयु में गृहत्याग किया (महाभिनिष्क्रमण)।
  18. बुद्ध को 35 वर्ष की आयु में बोधगया में बोधि प्राप्त हुई।
  19. बुद्ध ने पहला उपदेश सारनाथ में दिया (धर्मचक्र प्रवर्तन)।
  20. बुद्ध की मृत्यु 483 ई.पू. में कुशीनारा में हुई।
  21. बुद्ध को 'शाक्यमुनि' भी कहा जाता है।
  22. चार आर्य सत्य बौद्ध धर्म का आधार हैं।
  23. चार आर्य सत्य: दुख, दुख का कारण, दुख का निवारण, और मार्ग।
  24. अष्टांगिक मार्ग दुख से मुक्ति का रास्ता है।
  25. अष्टांगिक मार्ग को मध्यम मार्ग भी कहा जाता है।
  26. निर्वाण बौद्ध धर्म का अंतिम लक्ष्य है।
  27. निर्वाण तृष्णा और अज्ञानता का अंत है।
  28. बौद्ध धर्म दो सम्प्रदायों में बँटा: हीनयान और महायान।
  29. हीनयान व्यक्तिगत मोक्ष पर जोर देता है।
  30. महायान सभी के लिए मोक्ष पर जोर देता है।
  31. हीनयान को थेरवाद भी कहा जाता है।
  32. महायान ने बोधिसत्व की अवधारणा दी।
  33. जातक कथाएँ बुद्ध के पिछले जन्मों की कहानियाँ हैं।
  34. जातक कथाओं की संख्या 547 है।
  35. जातक कथाएँ त्रिपिटक के सुत्त पिटक का हिस्सा हैं।
  36. जातक कथाएँ पाली भाषा में लिखी गई हैं।
  37. बौद्ध धर्म ने वर्ण व्यवस्था को नकारा।
  38. सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को विश्व स्तर पर प्रचारित किया।
  39. आजीवक संप्रदाय के संस्थापक मक्खलि गोशाल थे।
  40. जैनधर्म और बौद्ध धर्म ने अहिंसा पर जोर दिया।
  41. महाजनपदों का उदय छठी शताब्दी ई.पू. में हुआ।
  42. मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद था।
  43. बौद्ध त्रिपिटक में विनय, सुत्त, और अभिधम्म पिटक शामिल हैं।
  44. जैनधर्म के आगम ग्रंथ पाली और प्राकृत में हैं।
  45. महावीर को 'जिन' (विजेता) कहा गया।
  46. बुद्ध ने मध्यम मार्ग का उपदेश दिया।
  47. दूसरी बौद्ध संगीति 383 ई.पू. में हुई।
  48. जैनधर्म ने वैदिक यज्ञों का विरोध किया।
  49. बौद्ध धर्म में करुणा और समता पर जोर दिया गया।
  50. छठी शताब्दी ई.पू. में शहरीकरण और व्यापार बढ़ा।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. छठी शताब्दी ई.पू. में कौन से धर्मों का उदय हुआ?





2. जैनधर्म के प्रथम तीर्थकर कौन थे?





3. महावीर स्वामी का जन्म कहाँ हुआ था?





4. जैनधर्म में त्रिरत्न में क्या शामिल नहीं है?





5. पंच महाव्रत में कौन सा व्रत शामिल है?





6. बौद्ध धर्म का संस्थापक कौन था?





7. बुद्ध ने ज्ञान कहाँ प्राप्त किया?





8. चार आर्य सत्यों में क्या शामिल नहीं है?





9. अष्टांगिक मार्ग को और क्या कहा जाता है?





10. निर्वाण का अर्थ क्या है?





11. हीनयान सम्प्रदाय का दूसरा नाम क्या है?





12. महायान सम्प्रदाय ने किस अवधारणा को बढ़ावा दिया?





13. जातक कथाएँ किससे संबंधित हैं?





14. जातक कथाएँ किस भाषा में लिखी गई हैं?





15. बुद्ध ने पहला उपदेश कहाँ दिया?





16. महावीर की मृत्यु कहाँ हुई थी?





17. बुद्ध को और क्या कहा जाता है?





18. जैनधर्म में कितने तीर्थकर हैं?





19. बौद्ध धर्म का अंतिम लक्ष्य क्या है?





20. आजीवक संप्रदाय के संस्थापक कौन थे?





21. बुद्ध की मृत्यु कहाँ हुई थी?





22. जैनधर्म ने किसका विरोध किया?





23. बौद्ध त्रिपिटक में क्या शामिल है?





24. महावीर को और क्या कहा जाता है?





25. बौद्ध धर्म में मध्यम मार्ग का क्या अर्थ है?





26. दूसरी बौद्ध संगीति कब हुई?





27. जैनधर्म के आगम ग्रंथ किस भाषा में हैं?





28. छठी शताब्दी ई.पू. में सबसे शक्तिशाली महाजनपद कौन सा था?





29. बौद्ध धर्म ने किसे नकारा?





30. सम्राट अशोक ने किस धर्म को प्रचारित किया?