1. परिचय: मौयोत्तर काल
विवरण: मौर्य साम्राज्य के पतन (185 ई.पू.) के बाद भारत में विभिन्न वंशों और विदेशी शासकों का उदय हुआ, जिसने सांस्कृतिक और व्यापारिक सम्पर्क को बढ़ावा दिया।
विशेषताएँ:
- काल: लगभग 185 ई.पू. से 300 ई. तक।
- प्रमुख वंश: शुंग, कण्व, सातवाहन, हिन्द-यूनानी, शक, पहलव, कुषाण।
- प्रतियोगी तथ्य: मौयोत्तर काल में भारत में विदेशी संस्कृतियों का मिश्रण हुआ, विशेषकर गंधार और मथुरा कला में।
2. शुंग वंश
विवरण: शुंग वंश की स्थापना पुष्यमित्र शुंग ने 185 ई.पू. में की।
विशेषताएँ:
- संस्थापक: पुष्यमित्र शुंग, जिन्होंने अंतिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ की हत्या की।
- उपलब्धियाँ: वैदिक धर्म का पुनरुत्थान, यज्ञ और बलि प्रथा को बढ़ावा।
- प्रतियोगी तथ्य: पुष्यमित्र ने बौद्ध धर्म को दबाने का प्रयास किया।
3. कण्व वंश
विवरण: कण्व वंश ने शुंग वंश के बाद शासन किया।
विशेषताएँ:
- संस्थापक: वासुदेव कण्व (75 ई.पू.)।
- काल: 75-30 ई.पू., मगध में सीमित शासन।
- प्रतियोगी तथ्य: कण्व वंश का शासन कमजोर था और सातवाहनों ने इसे समाप्त किया।
4. सातवाहन वंश
विवरण: सातवाहन दक्षिण भारत का प्रमुख वंश था।
विशेषताएँ:
- संस्थापक: सिमुक (लगभग 1 शताब्दी ई.पू.)।
- प्रमुख शासक: गौतमीपुत्र सातकर्णि।
- प्रतियोगी तथ्य: सातवाहनों ने शकों को हराया और अमरावती स्तूप का निर्माण करवाया।
5. हिन्द-यूनानी शासक मिनाण्डर
विवरण: हिन्द-यूनानी शासक उत्तर-पश्चिम भारत में शासन करते थे।
विशेषताएँ:
- प्रमुख शासक: मिनाण्डर (मिलिंद), जो बौद्ध धर्म में रुचि रखता था।
- ग्रंथ: मिलिंदपन्हो, जिसमें मिनाण्डर और नागसेन के संवाद हैं।
- प्रतियोगी तथ्य: मिनाण्डर ने बौद्ध धर्म अपनाया और गंधार कला को बढ़ावा दिया।
6. शक
विवरण: शक (Scythians) मध्य एशिया से भारत आए।
विशेषताएँ:
- शासन क्षेत्र: पश्चिमी भारत (गुजरात, मालवा)।
- प्रमुख शासक: रुद्रदामन।
- प्रतियोगी तथ्य: रुद्रदामन ने जूनागढ़ शिलालेख बनवाया और सुदर्शन झील की मरम्मत की।
7. पहलव (पार्थियन)
विवरण: पहलव ईरानी मूल के शासक थे।
विशेषताएँ:
- शासन क्षेत्र: उत्तर-पश्चिम भारत।
- प्रमुख शासक: गोंदोफर्नेस।
- प्रतियोगी तथ्य: गोंदोफर्नेस के समय ईसाई धर्म के प्रचारक सेंट थॉमस भारत आए।
8. कुषाण
विवरण: कुषाण मध्य एशिया से आए और भारत में शक्तिशाली साम्राज्य स्थापित किया।
विशेषताएँ:
- प्रमुख शासक: कनिष्क।
- उपलब्धियाँ: बौद्ध धर्म का प्रचार, गंधार और मथुरा कला का विकास।
- प्रतियोगी तथ्य: कनिष्क ने चतुर्थ बौद्ध संगीति आयोजित की।
9. पारस्परिक आदान-प्रदान
विवरण: विदेशी शासकों के साथ भारत का सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान हुआ।
विशेषताएँ:
- तकनीकी: यूनानी खगोल विज्ञान और सिक्का निर्माण।
- पहनावा: यूनानी ट्यूनिक और शक पतलून का प्रभाव।
- व्यापार: रोम, मध्य एशिया, और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ व्यापार।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी: ज्योतिष और स्थापत्य में प्रगति।
- मूर्तीकला: गंधार (यूनानी-बौद्ध) और मथुरा कला का विकास।
- प्रतियोगी तथ्य: गंधार कला में बुद्ध की मूर्तियाँ यूनानी शैली में बनाई गईं।
10. राजव्यवस्था
विवरण: मौयोत्तर काल में विभिन्न प्रकार की राजव्यवस्थाएँ थीं।
विशेषताएँ:
- प्रकार: राजतंत्र (शुंग, सातवाहन), साम्राज्य (कुषाण)।
- प्रशासन: केंद्रीकृत और स्थानीय शासन।
- प्रतियोगी तथ्य: कुषाणों ने शाहानुशाही व्यवस्था अपनाई।
11. शाहानुशाही
विवरण: शाहानुशाही एक साम्राज्यिक व्यवस्था थी, जिसमें सम्राट को 'शाहों का शाह' कहा जाता था।
विशेषताएँ:
- उदाहरण: कुषाण और शक शासक।
- विशेषता: केंद्रीकृत शासन और विदेशी प्रभाव।
- प्रतियोगी तथ्य: कनिष्क ने 'देवपुत्र' की उपाधि धारण की।
12. समय रेखा
विवरण: मौयोत्तर काल की प्रमुख घटनाएँ।
विशेषताएँ:
- 185 ई.पू.: शुंग वंश की स्थापना।
- 75 ई.पू.: कण्व वंश की स्थापना।
- 1 शताब्दी ई.पू.: सातवाहन वंश का उदय।
- 100 ई.: कनिष्क का शासन।
- प्रतियोगी तथ्य: कनिष्क के समय चतुर्थ बौद्ध संगीति हुई।