परिचय
औरंगजेब (1658-1707) मुगल साम्राज्य का अंतिम शक्तिशाली शासक था, जिसने साम्राज्य को दक्षिण भारत तक विस्तारित किया, लेकिन उसकी कट्टर नीतियों और लंबे सैन्य अभियानों ने साम्राज्य के पतन की नींव रखी।
प्रतियोगी तथ्य: औरंगजेब ने जजिया कर पुनः लागू किया, जिससे गैर-मुस्लिम समुदायों में असंतोष बढ़ा।
1. औरंगजेब का शासन (1658-1707)
विवरण: औरंगजेब, शाहजहाँ का तीसरा पुत्र, 1658 में सिंहासन पर बैठा और सादगी भरा जीवन अपनाया।
विशेषताएँ:
- जन्म: 3 नवंबर 1618, दाहोद, गुजरात।
- राज्याभिषेक: 1658, दिल्ली।
- उपाधि: आलमगीर (विश्व विजेता)।
- उत्तराधिकार युद्ध: दाराशिकोह, शाहशुजा, और मुराद को हराया।
- प्रतियोगी तथ्य: औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को आगरा के किले में नजरबंद किया।
2. प्रशासनिक और धार्मिक नीतियाँ
विवरण: औरंगजेब ने कठोर प्रशासनिक और धार्मिक नीतियाँ लागू कीं, जो विवादास्पद रहीं।
विशेषताएँ:
- जजिया कर: 1665 में गैर-मुस्लिमों पर पुनः लागू।
- मुहतस्सिब: नैतिकता और जन आचरण की निगरानी के लिए नियुक्त।
- प्रतिबंध: मदिरा, भाँग, और दरबारी नृत्य-संगीत पर रोक।
- सादगी: झरोखा दर्शन, नौरोज त्यौहार, और सिक्कों पर कलमा बंद।
- संगीत: व्यक्तिगत रूप से वीणा वादन में निपुण, लेकिन दरबारी संगीत सीमित।
- प्रतियोगी तथ्य: औरंगजेब ने लगभग 80 करों को हटाकर जनता को राहत दी।
3. सैन्य अभियान और साम्राज्य विस्तार
विवरण: औरंगजेब ने साम्राज्य को दक्षिण भारत तक विस्तारित किया, लेकिन यह खर्चीला साबित हुआ।
विशेषताएँ:
- अहोम (1663): असम में विजय।
- बीजापुर (1686): दक्षिण में मुगल साम्राज्य में शामिल।
- गोलकुंडा (1687): औरंगजेब की सेना ने कब्जा किया।
- चटगाँव (1666): पुर्तगालियों से जीता।
- प्रतियोगी तथ्य: औरंगजेब ने अपने शासन के लगभग 25 वर्ष दक्षिणी अभियानों में बिताए।
4. विद्रोह और संघर्ष
विवरण: औरंगजेब को जाटों, सतनामियों, सिखों, राजपूतों, मराठों, और पठानों के विद्रोहों का सामना करना पड़ा।
विशेषताएँ:
- जाट विद्रोह (1669-1691): मथुरा क्षेत्र में, पूर्ण रूप से दबा नहीं।
- सतनामी विद्रोह: मेवात और नारनौल में, 1672 में दबाया।
- पठान विद्रोह: 1678 तक कूटनीति और दमन से नियंत्रित।
- बुंदेला विद्रोह: चंपत राय और छत्रसाल के नेतृत्व में।
- प्रतियोगी तथ्य: औरंगजेब की कट्टर नीतियों ने विद्रोहों को बढ़ावा दिया।
5. सिखों के साथ संबंध
विवरण: औरंगजेब की नीतियों ने सिखों को मुगल विरोधी बनाया।
विशेषताएँ:
- गुरु तेग बहादुर (1675): इस्लाम न स्वीकारने पर दिल्ली में हत्या।
- गुरु गोविंद सिंह (1675-1708): खालसा पंथ (1699) की स्थापना, औरंगजेब से युद्ध।
- खालसा पंथ: सिखों को सैन्य संगठन में बदला।
- प्रतियोगी तथ्य: औरंगजेब ने गुरु गोविंद सिंह के दो पुत्रों को दीवार में चिनवाया।
6. राजपूतों के साथ संबंध
विवरण: औरंगजेब की नीतियों ने राजपूतों को शत्रु बना दिया।
विशेषताएँ:
- जसवंत सिंह की मृत्यु (1678): मारवाड़ उत्तराधिकार विवाद।
- मेवाड़ (1680): राठौड़ और सिसोदिया राजपूतों का विद्रोह।
- जयसिंह: औरंगजेब का विश्वसनीय सेनापति, दक्षिण अभियानों में सहयोग।
- प्रतियोगी तथ्य: राजपूत विद्रोह ने मुगल साम्राज्य को कमजोर किया।
7. मराठों के साथ संघर्ष
विवरण: शिवाजी और उनके उत्तराधिकारियों ने औरंगजेब को कड़ी चुनौती दी।
विशेषताएँ:
- शिवाजी (1670-1680): छापामार युद्ध तकनीक से मुगलों को हराया।
- संबाजी (1689): औरंगजेब ने पकड़कर हत्या की।
- मराठा प्रतिरोध: औरंगजेब के संसाधनों को क्षीण किया।
- प्रतियोगी तथ्य: शिवाजी की मृत्यु (1680) के बाद मराठों ने स्वतंत्रता की लड़ाई जारी रखी।
8. विदेशी शक्तियों के साथ संबंध
विवरण: औरंगजेब ने पुर्तगालियों और अंग्रेजों के उपद्रवों को नियंत्रित किया।
विशेषताएँ:
- पुर्तगाली: चटगाँव (1666) पर कब्जा, बंगाल की खाड़ी में लूटपाट रोकी।
- अंग्रेज: पश्चिमी तटों पर उपद्रव दबाया।
- प्रतियोगी तथ्य: औरंगजेब ने यूरोपीय शक्तियों के बढ़ते प्रभाव को सीमित करने का प्रयास किया।
9. मुगल साम्राज्य का पतन
विवरण: औरंगजेब की मृत्यु (1707) के बाद मुगल साम्राज्य का तेजी से पतन हुआ।
विशेषताएँ:
- नादिरशाह का आक्रमण (1739): कोहिनूर हीरा और तख्त-ए-ताउस लूटा।
- जागीरदारी संकट: भ्रष्टाचार और असंतोष बढ़ा।
- प्रांतीय स्वतंत्रता: हैदराबाद, बंगाल, और अवध स्वतंत्र।
- उत्तराधिकार युद्ध: कमजोर सम्राटों और सरदारों के झगड़े।
- प्रतियोगी तथ्य: औरंगजेब की कट्टर नीतियों और दक्षिणी अभियानों ने साम्राज्य को कमजोर किया।
10. स्थापत्य और साहित्य
विवरण: औरंगजेब ने कला और संगीत को सीमित किया, लेकिन कुछ स्थापत्य कार्य किए।
विशेषताएँ:
- मोती मस्जिद (1659-1660): दिल्ली के लाल किले में सफेद संगमरमर से निर्मित।
- बादशाही मस्जिद (1671-1673): लाहौर में निर्मित, मुगल स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण।
- प्रतियोगी तथ्य: औरंगजेब ने शाहजहाँ की तुलना में स्थापत्य पर कम ध्यान दिया।
11. सिख गुरुओं का अवलोकन
विवरण: सिख गुरुओं ने सिख धर्म को संगठित और सैन्य शक्ति में बदला।
विशेषताएँ:
- गुरु नानक (1469-1539): सिख धर्म के प्रवर्तक।
- गुरु अंगद (1539-1552): गुरुमुखी लिपि का आविष्कार।
- गुरु अमरदास (1552-1574): 22 गद्दियों की स्थापना।
- गुरु रामदास (1574-1581): अमृतसर की स्थापना।
- गुरु अर्जुन देव (1581-1606): आदिग्रंथ संकलन, स्वर्ण मंदिर की नींव।
- गुरु हरगोविंद (1606-1645): अकाल तख्त की स्थापना।
- गुरु हरराय (1645-1661): औरंगजेब के साथ तनाव।
- गुरु हरकिशन (1661-1664): चेचक से मृत्यु।
- गुरु तेग बहादुर (1664-1675): औरंगजेब की नीतियों का विरोध।
- गुरु गोविंद सिंह (1675-1708): खालसा पंथ की स्थापना।
- प्रतियोगी तथ्य: गुरु अर्जुन देव की फाँसी (1606) ने सिखों को मुगल विरोधी बनाया।
12. समय रेखा
विवरण: औरंगजेब के शासनकाल की प्रमुख घटनाएँ।
विशेषताएँ:
- 1658: औरंगजेब का राज्याभिषेक।
- 1663: अहोम पर विजय।
- 1665: जजिया कर पुनः लागू।
- 1666: चटगाँव पर कब्जा।
- 1669: जाट विद्रोह शुरू।
- 1675: गुरु तेग बहादुर की हत्या।
- 1678: पठान विद्रोह दबाया।
- 1680: राजपूत विद्रोह।
- 1686: बीजापुर पर विजय।
- 1687: गोलकुंडा पर विजय।
- 1699: खालसा पंथ की स्थापना।
- 1707: औरंगजेब की मृत्यु।
- 1739: नादिरशाह का आक्रमण।
- प्रतियोगी तथ्य: औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का तेजी से पतन हुआ।