परिचय
दिल्ली सल्तनत की स्थापना 1206 ई. में मुहम्मद गोरी की मृत्यु के बाद हुई, जिसके तहत तुर्क शासकों ने भारत में इस्लामी शासन की नींव रखी। गुलाम वंश (1206-1290) दिल्ली सल्तनत का प्रथम वंश था, जिसने शासन, प्रशासन, और संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
प्रतियोगी तथ्य: दिल्ली सल्तनत की स्थापना कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 ई. में की।
1. प्रारंभिक तुर्क शासक
विवरण: तुर्क शासकों ने भारत में इस्लामी शासन की स्थापना की और दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया।
विशेषताएँ:
- तुर्कों ने उन्नत सैन्य रणनीति और प्रशासनिक व्यवस्था लागू की।
- प्रमुख शासक: कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश, रजिया सुल्तान, बलबन।
- प्रतियोगी तथ्य: दिल्ली सल्तनत पाँच वंशों (गुलाम, खिलजी, तुगलक, सैयद, लोदी) तक चली।
2. राज्य विस्तार एवं उपलब्धियाँ
विवरण: दिल्ली सल्तनत ने उत्तरी भारत में अपने साम्राज्य का विस्तार किया और कई क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित किया।
विशेषताएँ:
- कुतुबुद्दीन ऐबक ने पंजाब और सिंध को सल्तनत में शामिल किया।
- इल्तुतमिश ने बंगाल और बिहार पर कब्जा किया।
- बलबन ने मंगोल आक्रमणों का सफलतापूर्वक मुकाबला किया।
- प्रतियोगी तथ्य: दिल्ली सल्तनत ने 1206-1526 ई. तक भारत पर शासन किया।
3. सल्तनत काल की शुरुआत: चुनौतियाँ
विवरण: सल्तनत की स्थापना के समय कई चुनौतियाँ थीं, जैसे स्थानीय राजाओं का विरोध और मंगोल आक्रमण।
विशेषताएँ:
- राजपूत राजाओं का प्रतिरोध।
- मंगोल आक्रमणों का खतरा।
- आंतरिक विद्रोह और उत्तराधिकार विवाद।
- प्रतियोगी तथ्य: मंगोल आक्रमणों ने सल्तनत को उत्तर-पश्चिमी सीमा पर सतर्क रखा।
4. गुलाम वंश (1206-1290)
विवरण: गुलाम वंश दिल्ली सल्तनत का प्रथम वंश था, जिसे ममलूक वंश भी कहा जाता है।
विशेषताएँ:
- शासक तुर्क गुलाम थे, जो मूल रूप से दास थे।
- प्रमुख शासक: कुतुबुद्दीन ऐबक, इल्तुतमिश, रजिया, बलबन।
- प्रतियोगी तथ्य: गुलाम वंश का अंत 1290 ई. में जलालुद्दीन खिलजी द्वारा हुआ।
5. कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210)
विवरण: कुतुबुद्दीन ऐबक गुलाम वंश का संस्थापक और दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था।
विशेषताएँ:
- मुहम्मद गोरी का गुलाम था, जिसे बाद में आजाद किया गया।
- उपाधि: लखबख्श (लाखों दान देने वाला)।
- निर्माण कार्य: कुतुब मीनार (शुरुआत), कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद (दिल्ली), अढाई दिन का झोपड़ा (अजमेर)।
- प्रतियोगी तथ्य: कुतुबुद्दीन 1210 ई. में पोलो खेलते समय घोड़े से गिरकर मरा।
6. इल्तुतमिश (1210-1236)
विवरण: इल्तुतमिश ने दिल्ली सल्तनत को मजबूत किया और इसे संगठित शासन व्यवस्था दी।
विशेषताएँ:
- उपाधि: सुल्तान-ए-आजम।
- चाँदी का टंका और ताँबे का जीतल सिक्के चलाए।
- इक्ता प्रणाली शुरू की (जागीर प्रथा)।
- चालीस गुलामों का समूह (चहलगानी) बनाया।
- निर्माण कार्य: कुतुब मीनार का निर्माण पूरा, हौज-ए-शम्सी, सुल्तान गढ़ी।
- प्रतियोगी तथ्य: इल्तुतमिश ने रजिया को अपनी उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
7. रजिया सुल्तान (1236-1240)
विवरण: रजिया दिल्ली सल्तनत की पहली और एकमात्र महिला शासक थी।
विशेषताएँ:
- उपाधि: सुल्तान (न कि सुल्ताना)।
- नकाब हटाकर पुरुष वेश में शासन किया।
- तुर्क अमीरों के विरोध के कारण 1240 में हार और मृत्यु।
- प्रतियोगी तथ्य: रजिया ने याकूत को हबशी अमीर बनाया, जिससे तुर्कों में असंतोष फैला।
8. नासिरुद्दीन महमूद (1246-1265)
विवरण: नासिरुद्दीन महमूद एक कमजोर शासक था, जिसका शासन बलबन ने संभाला।
विशेषताएँ:
- वास्तविक शक्ति बलबन के हाथ में थी।
- शांतिपूर्ण शासन, कोई बड़े युद्ध नहीं।
- प्रतियोगी तथ्य: नासिरुद्दीन ने कोई महत्वपूर्ण निर्माण कार्य नहीं करवाया।
9. बलबन (1265-1287)
विवरण: बलबन ने सल्तनत को मजबूत करने के लिए कठोर नीतियाँ अपनाईं।
विशेषताएँ:
- रक्त और लौह की नीति: विद्रोहियों को कठोर दंड।
- सिजदा (सजदा) और पायबोस (चरण चूमन) की प्रथा शुरू की।
- मंगोल आक्रमणों का सफलतापूर्वक मुकाबला किया।
- निर्माण कार्य: बलबन का मकबरा (दिल्ली)।
- प्रतियोगी तथ्य: बलबन ने चहलगानी व्यवस्था समाप्त की।
10. सिजदा और पायबोस
विवरण: बलबन ने सुल्तान की शक्ति और सम्मान बढ़ाने के लिए ये प्रथाएँ शुरू कीं।
विशेषताएँ:
- सिजदा: सुल्तान के सामने सिर झुकाना।
- पायबोस: सुल्तान के पैर चूमना।
- इन प्रथाओं ने सुल्तान को ईश्वर समान दर्जा दिया।
- प्रतियोगी तथ्य: ये प्रथाएँ बलबन ने फारसी शाही परंपराओं से लीं।
11. मंगोल आक्रमण और चंगेज खाँ
विवरण: मंगोलों ने 13वीं शताब्दी में भारत पर कई आक्रमण किए।
विशेषताएँ:
- चंगेज खाँ ने 1221 ई. में भारत की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर आक्रमण किया।
- इल्तुतमिश ने मंगोलों को भारत में प्रवेश से रोका।
- बलबन ने मंगोल आक्रमणों को रोकने के लिए सीमा पर सैन्य चौकियाँ बनाईं।
- प्रतियोगी तथ्य: चंगेज खाँ का जन्म 1162 ई. में हुआ।
12. महत्वपूर्ण निर्माण कार्य और उपलब्धियाँ
विवरण: गुलाम वंश के शासकों ने कई स्थापत्य और प्रशासनिक उपलब्धियाँ हासिल कीं।
विशेषताएँ:
- कुतुबुद्दीन ऐबक: कुतुब मीनार (शुरुआत), कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, अढाई दिन का झोपड़ा।
- इल्तुतमिश: कुतुब मीनार (पूरा), हौज-ए-शम्सी, सुल्तान गढ़ी।
- रजिया: कोई बड़ा निर्माण कार्य नहीं।
- बलबन: बलबन का मकबरा।
- प्रतियोगी तथ्य: कुतुब मीनार यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।