परिचय
: यूरोपीय शक्तियों का भारत में आगमन 15वीं सदी के अंत में शुरू हुआ, जब यूरोपीय देशों (पुर्तगाल, डच, अंग्रेज, फ्रेंच) ने भारत के साथ व्यापारिक और उपनिवेशवादी हितों को बढ़ावा देने के लिए समुद्री मार्गों की खोज की।
महत्व: यह काल भारत में यूरोपीय उपनिवेशवाद की नींव और बाद में ब्रिटिश शासन की स्थापना का आधार बना।
प्रतियोगी तथ्य: यूरोपीय व्यापार भारत की मसालों, रेशम, और सूती वस्त्रों की माँग के कारण शुरू हुआ, जिसने विश्व व्यापार को बदल दिया।
1. व्यापारिक मार्ग
: व्यापारिक मार्ग वे रास्ते थे जिनके माध्यम से यूरोप और एशिया के बीच माल का आदान-प्रदान होता था।
प्रमुख मार्ग:
- प्रथम मार्ग (स्थलीय मार्ग):
- विवरण: मध्य एशिया और तुर्की के माध्यम से यूरोप से भारत तक माल पहुँचाया जाता था।
- विशेषताएँ: रेशम मार्ग (Silk Route), जो चीन, भारत, और यूरोप को जोड़ता था।
- प्रतियोगी तथ्य: रेशम मार्ग पर मसाले, रेशम, और कीमती पत्थरों का व्यापार होता था।
- द्वितीय मार्ग (लाल सागर मार्ग):
- विवरण: लाल सागर और मिस्र के माध्यम से भारत से यूरोप तक व्यापार।
- विशेषताएँ: अरब व्यापारी माल को लाल सागर तक लाते, फिर यूरोप भेजा जाता।
- प्रतियोगी तथ्य: इस मार्ग पर मिस्र और वेनिस प्रमुख व्यापारिक केंद्र थे।
- तीसरा मार्ग (समुद्री मार्ग):
- विवरण: 1498 में वास्कोडिगामा द्वारा केप ऑफ गुड होप के रास्ते भारत तक समुद्री मार्ग की खोज।
- विशेषताएँ: यह मार्ग तेज, सस्ता, और सुरक्षित था।
- प्रतियोगी तथ्य: समुद्री मार्ग की खोज ने यूरोपीय व्यापार को क्रांतिकारी बनाया।
2. समुद्री मार्ग की खोज
: समुद्री मार्ग की खोज यूरोपीय नाविकों द्वारा भारत और एशिया तक पहुँचने के लिए नए समुद्री रास्तों की खोज थी।
प्रमुख खोजकर्ता:
- कोलम्बस:
- विवरण: क्रिस्टोफर कोलम्बस (1492) ने पश्चिम की ओर नौकायन कर भारत पहुँचने का प्रयास किया, लेकिन अमेरिका खोज लिया।
- प्रतियोगी तथ्य: कोलम्बस की खोज ने यूरोपीय उपनिवेशवाद को नई दिशा दी।
- वास्कोडिगामा:
- विवरण: पुर्तगाली नाविक वास्कोडिगामा ने 1498 में केप ऑफ गुड होप के रास्ते कालीकट (कोझिकोड) पहुँचा।
- प्रतियोगी तथ्य: वास्कोडिगामा भारत पहुँचने वाला पहला यूरोपीय नाविक था।
कुतबनुमा (कम्पास):
- : कुतबनुमा एक नौवहन उपकरण है जो दिशा निर्धारित करने में मदद करता है।
- महत्व: समुद्री मार्गों की खोज में कुतबनुमा ने नाविकों को सटीक दिशा प्रदान की।
- प्रतियोगी तथ्य: कुतबनुमा का उपयोग 12वीं सदी से शुरू हुआ और यूरोपीय नौवहन में क्रांति लाई।
3. यूरोपीय व्यापार
: यूरोपीय व्यापार में भारत से मसाले, रेशम, सूती वस्त्र, और कीमती धातुओं का निर्यात शामिल था।
विशेषताएँ:
- भारत के मसाले (काली मिर्च, दालचीनी, लौंग) और रेशम यूरोप में अत्यधिक माँग में थे।
- यूरोपीय देशों ने व्यापारिक कम्पनियाँ स्थापित कीं।
- प्रतियोगी तथ्य: मसालों को “काला सोना” कहा जाता था।
4. भारत में यूरोपीय व्यापारियों की होड़
: यूरोपीय देशों (पुर्तगाल, डच, अंग्रेज, फ्रेंच) के बीच भारत में व्यापारिक और राजनीतिक प्रभुत्व के लिए प्रतिस्पर्धा।
विशेषताएँ:
- पुर्तगालियों ने सबसे पहले भारत में व्यापार शुरू किया।
- अंग्रेजों ने अंततः भारत में उपनिवेश स्थापित किया।
- प्रतियोगी तथ्य: कर्नाटक युद्ध (1746-1763) में अंग्रेजों ने फ्रेंच को हराया।
5. व्यापारिक कम्पनियाँ
: व्यापारिक कम्पनियाँ यूरोपीय सरकारों द्वारा प्रायोजित संगठन थीं जो भारत और अन्य क्षेत्रों में व्यापार करती थीं।
प्रमुख कम्पनियाँ:
- पुर्तगाली ईस्ट इंडिया कम्पनी: 1498 में वास्कोडिगामा के आगमन के बाद स्थापित।
- डच ईस्ट इंडिया कम्पनी (VOC): 1602 में स्थापित, मसालों पर केंद्रित।
- अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी: 1600 में स्थापित, भारत में सबसे प्रभावशाली।
- फ्रेंच ईस्ट इंडिया कम्पनी: 1664 में स्थापित, दक्षिण भारत में सक्रिय।
प्रतियोगी तथ्य:
- अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी को 1600 में क्वीन एलिजाबेथ प्रथम ने चार्टर प्रदान किया।
- डच VOC विश्व की पहली बहुराष्ट्रीय कम्पनी थी।
6. फैक्ट्री (कोठी)
: फैक्ट्रियाँ यूरोपीय व्यापारियों द्वारा स्थापित व्यापारिक केंद्र थे, जहाँ माल एकत्र और भंडारित किया जाता था।
विशेषताएँ:
- फैक्ट्रियाँ बंदरगाहों के निकट स्थापित की जाती थीं।
- ये सैन्य और प्रशासनिक केंद्र भी बन गए।
प्रमुख फैक्ट्रियाँ:
- पुर्तगाली: गोवा (1510), दीव, दमन, कोचीन।
- डच: पुलिकट (1610), मसूलिपट्टनम, नेगापट्टनम, कोचीन।
- अंग्रेज: सूरत (1612), मद्रास (1639), बम्बई (1668), कलकत्ता (1690)।
- फ्रेंच: पॉन्डिचेरी (1674), चंद्रनगर, माहे।
प्रतियोगी तथ्य:
- गोवा पुर्तगालियों की भारत में पहली फैक्ट्री थी।
- पॉन्डिचेरी फ्रेंच शक्ति का केंद्र था।
7. विदेशी कंपनियों ने व्यापार में लाभ कमाने के तरीके
: यूरोपीय कम्पनियों ने भारत में सस्ते माल की खरीद, एकाधिकार, और सैन्य शक्ति का उपयोग कर लाभ कमाया।
तरीके:
- सस्ती खरीद: भारतीय माल (मसाले, कपड़ा) सस्ते में खरीदकर यूरोप में महँगे दामों पर बेचना।
- एकाधिकार: स्थानीय व्यापारियों को बाहर कर व्यापार पर नियंत्रण।
- सैन्य बल: स्थानीय शासकों पर दबाव बनाकर विशेषाधिकार प्राप्त करना।
- नौवहन: उन्नत जहाजों और कुतबनुमा का उपयोग।
प्रतियोगी तथ्य:
- अंग्रेजों ने 1615 में जहांगीर से व्यापार की अनुमति प्राप्त की।
- प्लासी युद्ध (1757) ने अंग्रेजों को बंगाल में एकाधिकार दिया।
8. कैप्टन हॉकिन्स
: कैप्टन विलियम हॉकिन्स एक अंग्रेजी नाविक थे, जिन्होंने मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार में व्यापारिक अनुमति माँगी।
विवरण:
- हॉकिन्स 1608 में सूरत पहुँचे।
- उन्होंने जहांगीर से व्यापार की अनुमति माँगी, लेकिन पुर्तगालियों के दबाव के कारण असफल रहे।
- प्रतियोगी तथ्य: हॉकिन्स की यात्रा ने अंग्रेजी व्यापार की नींव रखी।