परिचय
भारत में कम्पनी राज्य का विस्तार अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा 18वीं और 19वीं सदी में भारत के विभिन्न क्षेत्रों पर सैन्य, राजनीतिक, और प्रशासनिक नियंत्रण स्थापित करने की प्रक्रिया थी।
महत्व: इस काल में अंग्रेजों ने भारत के अधिकांश हिस्सों को अपने नियंत्रण में ले लिया, जिसने ब्रिटिश उपनिवेशवाद की नींव को मजबूत किया।
प्रतियोगी तथ्य: अंग्रेजों ने सैन्य शक्ति, कूटनीति, और नीतियों जैसे सहायक संधि और विलय नीति का उपयोग किया।
1. हैदर अली
हैदर अली मैसूर का शासक था, जिसने अंग्रेजों के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध किया।
विशेषताएँ:
- हैदर अली ने 1761 में मैसूर की सत्ता संभाली।
- उसने आधुनिक सैन्य तकनीकों और तोपखाने का उपयोग किया।
- प्रतियोगी तथ्य: हैदर अली ने फ्रांसीसी सहायता से अपनी सेना को मजबूत किया।
2. प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध (1767-1769)
यह युद्ध अंग्रेजों और हैदर अली के बीच लड़ा गया।
विवरण:
- कारण: मैसूर का विस्तार और अंग्रेजों के साथ व्यापारिक टकराव।
- परिणाम: मद्रास की संधि (1769) के तहत यथास्थिति बहाल।
- प्रतियोगी तथ्य: हैदर अली ने मद्रास शहर को घेर लिया था।
3. द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध (1780-1784)
हैदर अली और टीपू सुल्तान के नेतृत्व में मैसूर ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध लड़ा।
विवरण:
- कारण: अंग्रेजों द्वारा मराठों और निजाम के साथ गठबंधन।
- परिणाम: मंगलौर की संधि (1784) के तहत शांति स्थापित।
- प्रतियोगी तथ्य: हैदर अली की मृत्यु 1782 में युद्ध के दौरान हुई।
4. तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध (1790-1792)
टीपू सुल्तान और अंग्रेजों के बीच लड़ा गया युद्ध।
विवरण:
- कारण: टीपू का फ्रांसीसी समर्थन और त्रावणकोर पर हमला।
- परिणाम: श्रीरंगपट्टनम की संधि (1792), मैसूर का आधा क्षेत्र अंग्रेजों को मिला।
- प्रतियोगी तथ्य: टीपू ने अपने दो बेटों को अंग्रेजों को बंधक के रूप में दिया।
5. चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध (1799)
टीपू सुल्तान और अंग्रेजों के बीच अंतिम युद्ध।
विवरण:
- कारण: टीपू का फ्रांसीसी सहायता लेना।
- परिणाम: टीपू की मृत्यु, मैसूर पर अंग्रेजी नियंत्रण।
- प्रतियोगी तथ्य: लॉर्ड वेलेजली ने युद्ध का नेतृत्व किया।
6. सहायक संधि
लॉर्ड वेलेजली द्वारा शुरू की गई नीति, जिसमें भारतीय राज्य अंग्रेजी संरक्षण स्वीकार करते थे।
विशेषताएँ:
- 1798 में शुरू, हैदराबाद पहला राज्य।
- शर्तें: स्थानीय शासक को अंग्रेजी सेना रखनी थी, जिसका खर्च वहन करना था।
- प्रतियोगी तथ्य: अवध, मैसूर, और मराठों ने सहायक संधि स्वीकार की।
7. पानीपत का तृतीय युद्ध (1761)
मराठों और अहमद शाह अब्दाली के बीच लड़ा गया युद्ध।
विवरण:
- स्थान: पानीपत, 14 जनवरी 1761।
- परिणाम: मराठों की हार, उनकी शक्ति कमजोर।
- प्रतियोगी तथ्य: इस हार ने अंग्रेजों के लिए भारत में विस्तार का मार्ग खोला।
8. प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध (1775-1782)
अंग्रेजों और मराठों के बीच पहला युद्ध।
विवरण:
- कारण: रघुनाथ राव और मराठा पेशवाओं के बीच विवाद।
- परिणाम: सालबाई की संधि (1782), अंग्रेजों को सल्सेट मिला।
- प्रतियोगी तथ्य: वारेन हेस्टिंग्स ने युद्ध का नेतृत्व किया।
9. द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1803-1805)
अंग्रेजों और मराठा सरदारों (भोंसले, सिंधिया) के बीच युद्ध।
विवरण:
- कारण: मराठा एकता का कमजोर होना।
- परिणाम: सुरजी-अंजनगाँव की संधि (1803), मराठों की शक्ति कमजोर।
- प्रतियोगी तथ्य: लॉर्ड वेलेजली ने सहायक संधि को लागू किया।
10. तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध (1817-1818)
मराठों के खिलाफ अंतिम युद्ध।
विवरण:
- कारण: मराठा पेशवा बाजीराव द्वितीय का विद्रोह।
- परिणाम: मराठा शक्ति का अंत, पेशवाइ समाप्त।
- प्रतियोगी तथ्य: लॉर्ड हेस्टिंग्स ने युद्ध का नेतृत्व किया।
11. डलहौजी की विलय नीति
लॉर्ड डलहौजी द्वारा शुरू की गई नीति, जिसमें बिना उत्तराधिकारी वाले राज्य अंग्रेजी शासन में मिलाए गए।
विशेषताएँ:
- 1848-1856 में लागू।
- राज्य: सतारा (1848), झाँसी (1853), नागपुर (1854)।
- प्रतियोगी तथ्य: इस नीति ने 1857 के विद्रोह में असंतोष बढ़ाया।
12. अवध युद्ध (1856)
अवध का अंग्रेजी शासन में विलय।
विवरण:
- कारण: कुशासन का आरोप।
- परिणाम: अवध का विलय, नवाब वाजिद अली शाह को हटाया गया।
- प्रतियोगी तथ्य: विलय ने 1857 के विद्रोह को भड़काया।
13. रुहेलखण्ड युद्ध (1774)
अंग्रेजों और रुहेलों के बीच युद्ध।
विवरण:
- कारण: रुहेलों का अवध के साथ गठबंधन।
- परिणाम: अंग्रेजों की जीत, रुहेलखण्ड पर नियंत्रण।
- प्रतियोगी तथ्य: वारेन हेस्टिंग्स ने युद्ध का नेतृत्व किया।
14. बनारस युद्ध (1781)
अंग्रेजों और बनारस के राजा चेत सिंह के बीच युद्ध।
विवरण:
- कारण: चेत सिंह द्वारा अंग्रेजी करों का विरोध।
- परिणाम: चेत सिंह को हटाया गया, बनारस पर अंग्रेजी नियंत्रण।
- प्रतियोगी तथ्य: वारेन हेस्टिंग्स ने युद्ध का नेतृत्व किया।
15. नेपाल युद्ध (1814-1816)
अंग्रेजों और गोरखा शासकों के बीच युद्ध।
विवरण:
- कारण: गोरखा विस्तार और सीमा विवाद।
- परिणाम: सुगौली की संधि (1816), नेपाल ने क्षेत्र खोए।
- प्रतियोगी तथ्य: गोरखा सैनिकों की भर्ती अंग्रेजी सेना में शुरू हुई।
16. प्रथम बर्मा युद्ध (1824-1826)
: अंग्रेजों और बर्मी शासकों के बीच युद्ध।
विवरण:
- कारण: बर्मा का असम और मणिपुर पर हमला।
- परिणाम: यांडाबो की संधि (1826), असम अंग्रेजों को मिला।
- प्रतियोगी तथ्य: लॉर्ड एमहर्स्ट ने युद्ध का नेतृत्व किया।
17. द्वितीय बर्मा युद्ध (1852)
अंग्रेजों और बर्मा के बीच दूसरा युद्ध।
विवरण:
- कारण: व्यापारिक विवाद और बर्मी आक्रामकता।
- परिणाम: निचला बर्मा (पेगू) अंग्रेजों के नियंत्रण में।
- प्रतियोगी तथ्य: लॉर्ड डलहौजी ने युद्ध का नेतृत्व किया।
18. प्रथम अफगान युद्ध (1839-1842)
अंग्रेजों और अफगान शासकों के बीच युद्ध।
विवरण:
- कारण: रूसी प्रभाव के डर से अंग्रेजी हस्तक्षेप।
- परिणाम: अंग्रेजों की हार, दोस्त मोहम्मद को पुनर्स्थापित किया गया।
- प्रतियोगी तथ्य: लॉर्ड ऑकलैंड ने युद्ध शुरू किया।
19. प्रथम सिक्ख युद्ध (1845-1846)
: अंग्रेजों और सिख शासकों के बीच युद्ध।
विवरण:
- कारण: सिख सेना की आक्रामकता और सीमा विवाद।
- परिणाम: लाहौर की संधि (1846), सिख शक्ति कमजोर।
- प्रतियोगी तथ्य: लॉर्ड हार्डिंग ने युद्ध का नेतृत्व किया।
20. द्वितीय सिक्ख युद्ध (1848-1849)
अंग्रेजों और सिखों के बीच अंतिम युद्ध।
विवरण:
- कारण: सिख विद्रोह और मुलराज का विद्रोह।
- परिणाम: पंजाब का अंग्रेजी शासन में विलय।
- प्रतियोगी तथ्य: लॉर्ड डलहौजी ने युद्ध का नेतृत्व किया।
21. अंग्रेजों की सफलता के कारण
अंग्रेजों ने अपनी सैन्य, कूटनीतिक, और प्रशासनिक रणनीतियों से भारत में शासन स्थापित किया।
कारण:
- सैन्य: आधुनिक हथियार, तोपखाना, और अनुशासित सेना।
- कूटनीति: सहायक संधि और विलय नीति।
- राजनीतिक: भारतीय राज्यों की आपसी फूट।
- प्रतियोगी तथ्य: अंग्रेजों ने स्थानीय शासकों की कमजोरी और विश्वासघात का लाभ उठाया।