परिचय
भारत का स्वाधीनता आंदोलन 19वीं और 20वीं सदी में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एक संगठित संघर्ष था, जिसमें अहिंसक और क्रांतिकारी दोनों तरह के आंदोलनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
महत्व: इसने भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता दिलाई और राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया।
प्रतियोगी तथ्य: स्वाधीनता आंदोलन ने विश्व स्तर पर अहिंसक प्रतिरोध को प्रेरित किया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (1885) की स्थापना इसका प्रारंभिक चरण था।
1. सत्याग्रह आंदोलन
विवरण: महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया सत्याग्रह, सत्य और अहिंसा पर आधारित एक प्रतिरोधी आंदोलन था, जिसका उद्देश्य अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध था।
विशेषताएँ:
- चंपारण सत्याग्रह (1917, बिहार): नील किसानों को ब्रिटिश जमींदारों के शोषण से मुक्ति दिलाने के लिए।
- खेड़ा सत्याग्रह (1918, गुजरात): सूखे के कारण किसानों की कर माफी की मांग।
- अहमदाबाद सत्याग्रह (1918): मिल मजदूरों के लिए बेहतर मजदूरी और कामकाजी परिस्थितियों की मांग।
- प्रतियोगी तथ्य: सत्याग्रह ने जनसामान्य को स्वाधीनता आंदोलन में शामिल किया और गांधीजी को राष्ट्रीय नेता बनाया।
2. जलियाँवाला बाग काँड
विवरण: 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में रॉलेट एक्ट के विरोध में एकत्रित भीड़ पर ब्रिटिश सेना ने गोलीबारी की।
विशेषताएँ:
- जनरल रेजिनाल्ड डायर ने बिना चेतावनी के गोली चलाने का आदेश दिया।
- आधिकारिक आंकड़ों में 379 मृत, अनौपचारिक में 1000+ मृत और 1200+ घायल।
- रॉलेट एक्ट (1919) ने बिना मुकदमे गिरफ्तारी की अनुमति दी, जिसका विरोध हो रहा था।
- प्रतियोगी तथ्य: इस घटना ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ देशव्यापी आक्रोश को भड़काया और स्वाधीनता आंदोलन को तीव्र किया।
3. असहयोग आंदोलन
विवरण: 1920 में महात्मा गांधी द्वारा शुरू, जलियाँवाला बाग और रॉलेट एक्ट के विरोध में।
विशेषताएँ:
- विदेशी वस्तुओं, स्कूलों, कॉलेजों, और सरकारी नौकरियों का बहिष्कार।
- स्वदेशी और खादी को बढ़ावा दिया गया।
- लाखों लोगों ने सरकारी उपाधियाँ और सम्मान लौटाए।
- प्रतियोगी तथ्य: आंदोलन ने राष्ट्रीय चेतना को जागृत किया, लेकिन 1922 में चौरी-चौरा के कारण स्थगित हुआ।
4. चौरी-चौरा काण्ड
विवरण: 5 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के चौरी-चौरा में असहयोग आंदोलन के दौरान हिंसक घटना।
विशेषताएँ:
- प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थाने पर हमला किया, 22 पुलिसकर्मी मारे गए।
- गांधीजी ने हिंसा के कारण असहयोग आंदोलन वापस लिया।
- प्रतियोगी तथ्य: इसने गांधीजी के अहिंसक दृष्टिकोण को और मजबूत किया।
5. काकोरी काण्ड
विवरण: 9 अगस्त 1925 को हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) द्वारा काकोरी में ट्रेन डकैती।
विशेषताएँ:
- रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, और अन्य क्रांतिकारियों ने नेतृत्व किया।
- क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए धन जुटाने हेतु सरकारी खजाना लूटा गया।
- चार क्रांतिकारियों (बिस्मिल, अशफाकउल्ला, रोशन सिंह, राजेंद्रनाथ लाहिरी) को फाँसी दी गई।
- प्रतियोगी तथ्य: इसने क्रांतिकारी आंदोलन को प्रेरणा दी और युवाओं को प्रभावित किया।
6. लाहौर काण्ड
विवरण: 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में बम विस्फोट।
विशेषताएँ:
- पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट्स बिल के विरोध में बम फेंके गए।
- ‘इंकलाब जिंदाबाद’ और ‘साम्राज्यवाद का नाश हो’ के नारे लगाए गए।
- भगत सिंह, सुखदेव, और राजगुरु को 23 मार्च 1931 को फाँसी दी गई।
- प्रतियोगी तथ्य: इसने क्रांतिकारी आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया।
7. सविनय अवज्ञा आंदोलन
विवरण: 1930 में गांधीजी द्वारा शुरू, ब्रिटिश कानूनों का अहिंसक उल्लंघन।
विशेषताएँ:
- नमक कर और अन्य अन्यायपूर्ण कानूनों का उल्लंघन।
- डाँडी नमक सत्याग्रह इसका प्रतीक था।
- लाखों भारतीयों ने जेल यात्राएँ कीं।
- प्रतियोगी तथ्य: इसने विश्व स्तर पर ब्रिटिश शासन की आलोचना को बढ़ाया।
8. साइमन कमीशन
विवरण: 1928 में भारत में संवैधानिक सुधारों के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा गठित कमीशन।
विशेषताएँ:
- सात ब्रिटिश सांसदों का कमीशन, कोई भारतीय सदस्य नहीं।
- ‘साइमन गो बैक’ के नारे के साथ देशव्यापी विरोध।
- लाला लाजपत राय पर लाठीचार्ज, उनकी मृत्यु (1928)।
- प्रतियोगी तथ्य: कमीशन की सिफारिशों से 1935 का गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट बना।
9. डाँडी यात्रा
विवरण: 12 मार्च से 6 अप्रैल 1930 तक गांधीजी द्वारा नमक सत्याग्रह।
विशेषताएँ:
- साबरमती आश्रम से डाँडी तक 240 मील की पैदल यात्रा।
- 6 अप्रैल को गांधीजी ने समुद्र तट पर नमक बनाकर कानून तोड़ा।
- देशभर में नमक सत्याग्रह फैला।
- प्रतियोगी तथ्य: इसने सविनय अवज्ञा आंदोलन को विश्व प्रसिद्ध बनाया।
10. खान अब्दुल गफ्फार खाँ
विवरण: ‘सीमांत गांधी’ के नाम से प्रसिद्ध, उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत के पठान नेता।
विशेषताएँ:
- 1929 में खुदाई खिदमतगार (लाल कुर्ती) संगठन की स्थापना।
- अहिंसक तरीके से स्वाधीनता आंदोलन में भाग लिया।
- पेशावर में ब्रिटिश शासन का विरोध।
- प्रतियोगी तथ्य: उन्हें 1987 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
11. प्रथम गोलमेज सम्मेलन
विवरण: 12 नवंबर 1930 को लंदन में भारतीय संवैधानिक सुधारों के लिए आयोजित।
विशेषताएँ:
- कांग्रेस ने बहिष्कार किया, बी.आर. अम्बेडकर और अन्य भारतीय नेता शामिल हुए।
- संघीय ढांचे और प्रांतीय स्वायत्तता पर चर्चा।
- प्रतियोगी तथ्य: कोई ठोस परिणाम नहीं, किंतु द्वितीय सम्मेलन का आधार बना।
12. गाँधी-इरविन समझौता
विवरण: 5 मार्च 1931 को गांधीजी और वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच समझौता।
विशेषताएँ:
- सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित किया गया।
- राजनीतिक बंदियों की रिहाई और नमक बनाने की अनुमति।
- गांधीजी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।
- प्रतियोगी तथ्य: यह समझौता अस्थायी था, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने पूर्ण स्वराज की मांग नहीं मानी।
13. पूना पैक्ट
विवरण: 24 सितंबर 1932 को गांधीजी और बी.आर. अम्बेडकर के बीच समझौता।
विशेषताएँ:
- दलितों के लिए अलग निर्वाचक मंडल की मांग रद्द की गई।
- हिंदुओं में दलितों के लिए 148 आरक्षित सीटें स्वीकार की गईं।
- गांधीजी ने यरवदा जेल में उपवास किया।
- प्रतियोगी तथ्य: इसने दलितों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया।