जन्तुओं की संरचना व कार्य

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विस्तृत नोट्स

जन्तुओं की बाह्य संरचना का सामान्य परिचय

जन्तुओं की बाह्य संरचना उनके शरीर के बाहरी भागों, जैसे त्वचा, अंग, और विशेष संरचनाओं (जैसे पंख, शल्क) को संदर्भित करती है, जो उनके पर्यावरण और कार्यों के लिए अनुकूलित होती हैं।

जीवाणु, यूग्लीना, अमीबा, पैरामीशियम, क्लेमाइडोमोनास आदि एक कोशकीय होते हैं, इन्हें सूक्ष्मजीव कहते हैं।

समुद्र में पाया जाने वाला ब्लू व्हेल सबसे बड़ा जंतु है।

कशेरुकी प्राणियों में मनुष्य सर्वोच्च प्राणी माना जाता है।

उदाहरण: मछली के शल्क जल-रोधी होते हैं, पक्षियों के पंख उड़ने में मदद करते हैं।

जन्तुओं के विभिन्न अंगों के कार्य

जन्तुओं के विभिन्न अंग विशिष्ट कार्य करते हैं, जैसे पाचन, श्वसन, उत्सर्जन, और प्रजनन।

पाचन तंत्र

शरीर की वृद्धि एवं ऊर्जा के लिए भोजन की आवश्यकता होती है।

हमारे भोजन में प्रोटीन, वसा, मंड, विटामिन, एवं लवण होते हैं।

प्रोटीन, मंड, तथा वसा पानी में घुलनशील होते हैं।

अघुलनशील भोज्य पदार्थों को सरल तथा घुलनशील अवस्था में बदलने की क्रिया को पाचन कहते हैं।

मुख गुहा, भोजन नली (ग्रास नली), अमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, मलाशय, एवं गुदा यह सभी पाचन अंग कहलाते हैं।

पाचक अंग और पाचक ग्रंथियाँ मिलकर पाचन तंत्र बनाती हैं।

अग्नाशय से इंसुलिन उत्पन्न होता है, जो कि शर्करा (ग्लूकोज) को नियंत्रित करता है।

एक कोशिकीय संरचना वाले सूक्ष्मजीव जैसे अमीबा, पैरामीशियम में भोजन का पाचन कोशिका में होता है।

केंचुआ, तिलचट्टा आदि जंतुओं में आहार नाल तो होती है, परंतु आहार नाल के सभी भाग नहीं होते हैं।

मछली, मेंढक, छिपकली, तथा सभी स्तनधारी जंतुओं में पूर्ण विकसित आहार नाल होती है।

उदाहरण: मनुष्य में छोटी आंत पोषक तत्वों को अवशोषित करती है, अमीबा में भोजन कोशिका में पचता है।

श्वसन तंत्र

ऑक्सीजन युक्त वायु को अंदर खींचना अंतःश्वसन (निश्वसन) है।

कार्बन डाइऑक्साइड युक्त वायु को बाहर निकालना उच्छ्वसन (निःश्वसन) है।

मछलियों में श्वसन क्रिया क्लोम (गिल/गलफड़ों) के द्वारा होती है।

कीट पतंगों, तिलचट्टा, मक्खी, तितली आदि में वायु नलिकाओं द्वारा श्वसन होता है।

पक्षियों में फेफड़ों से संबंधित वायु कोषों द्वारा श्वसन होता है।

स्तनधारी जैसे मनुष्य में फेफड़ों द्वारा श्वसन होता है।

नासिका, नासा मार्ग, ग्रसनी, श्वास नली, श्वास नलिकाएँ, तथा फेफड़ों को सम्मिलित रूप से श्वसन तंत्र कहा जाता है।

उदाहरण: मछली के गलफड़े पानी से ऑक्सीजन लेते हैं, मनुष्य के फेफड़े हवा से ऑक्सीजन अवशोषित करते हैं।

रक्त परिसंचरण तंत्र

हृदय के मुख्य दो कक्ष होते हैं: आलिंद तथा निलय।

मनुष्य के हृदय में कुल 4 कक्ष होते हैं: 1. दायाँ आलिंद, 2. बायाँ आलिंद, 3. दायाँ निलय, 4. बायाँ निलय।

एक स्वस्थ व्यक्ति का हृदय 1 मिनट में 72 बार धड़कता है।

1 वर्ष से कम आयु के बच्चों में हृदय की धड़कन 100 बार प्रति मिनट होती है।

आयु बढ़ने के साथ-साथ हृदय की धड़कन धीमी होती जाती है।

उदाहरण: मनुष्य का हृदय रक्त को पूरे शरीर में पंप करता है।

उत्सर्जन तंत्र

कुछ अपशिष्ट पदार्थ द्रव के रूप में निकलते हैं, इसे बाहर निकालने का कार्य विशेष अंगों द्वारा किया जाता है, जिन्हें उत्सर्जी अंग कहते हैं।

मनुष्य में वृक्क (किडनी) सेम की बीज के आकार के होते हैं।

वृक्क में रक्त छनता है।

वृक्क रक्त से यूरिया निकालकर मूत्र वाहिनी व मूत्राशय की सहायता से मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालने का कार्य करता है।

मनुष्य में वृक्क, मूत्र वाहिनियाँ, मूत्राशय, और मूत्र मार्ग उत्सर्जी हैं, इन अंगों से मिलकर उत्सर्जन तंत्र का निर्माण होता है।

वयस्क एवं स्वस्थ मनुष्य के गुर्दे का भार लगभग 150 ग्राम होता है।

एक वयस्क व्यक्ति सामान्यतः 24 घंटों में 1 से 1.8 लीटर मूत्र बाहर निकालता है, जिसमें 95% जल, 2.5% यूरिया, और 2.5% अन्य अपशिष्ट पदार्थ होते हैं।

वृक्क के निष्क्रिय हो जाने पर कृत्रिम वृक्क द्वारा रक्त को नियमित रूप से छानकर उसमें से अपशिष्ट पदार्थों को निकाला जाता है, इस क्रिया को डायलिसिस कहते हैं।

उदाहरण: किडनी रक्त से यूरिया को मूत्र के रूप में बाहर निकालती है।

प्रजनन तंत्र

प्रत्येक जीवधारी में अपने समान संतान उत्पन्न करने की क्षमता होती है, जीवधारी के इस लक्षण को प्रजनन कहते हैं।

जिन अंगों की सहायता से प्रजनन क्रिया होती है, उन्हें जननांग (प्रजनन अंग) कहते हैं।

कुछ जंतु में नर एवं मादा जनन अंग अलग-अलग पाए जाते हैं, इन्हें एकलिंगी जंतु कहते हैं, जैसे कुत्ता, बिल्ली, मनुष्य आदि।

मनुष्य में मुख्य नर जनन अंग वृषण और मादा जनन अंग अंडाशय होते हैं।

कुछ ऐसे भी जंतु हैं, जिनमें नर एवं मादा जननांग एक ही जंतु में होते हैं, उन्हें द्विलिंगी जंतु कहते हैं, जैसे केंचुआ।

अमीबा जैसे एक कोशिकीय जंतु में अलग से प्रजनन अंग नहीं होता है।

उदाहरण: केंचुआ द्विलिंगी है, मनुष्य एकलिंगी है।

तंत्रिका तंत्र

शरीर में घटित होने वाली समस्त क्रियाओं के नियमन और नियंत्रण के लिए तंत्रिका तंत्र पाया जाता है।

मनुष्य के तंत्रिका तंत्र में 3 मुख्य भाग होते हैं: 1. मस्तिष्क, 2. रीढ़ रज्जू, 3. तंत्रिकाएँ।

सूक्ष्म जंतुओं जैसे अमीबा तथा स्पंजों के शरीर में कोई तंत्रिका तंत्र नहीं होता है, परंतु समस्त शरीर द्वारा संवेदना ग्रहण की जाती है।

हाइड्रा, एस्केरिस, केंचुआ आदि जंतुओं में तंत्रिका तंत्र पाया जाता है, परंतु तंत्रिका तंत्र पूर्ण विकसित नहीं होता है।

हमारे शरीर में कुछ क्रियाएँ अपने आप होती हैं, जिन पर हमारी इच्छा का कोई प्रभाव नहीं होता है, यह क्रियाएँ अनैच्छिक क्रिया कहलाती हैं, जैसे गर्म वस्तु अचानक छू जाने पर हम अपना हाथ तुरंत हटा लेते हैं।

अधिकतर कार्यों को हम दिमाग से सोच-समझकर अपनी इच्छा अनुसार करते हैं, ऐसी सभी क्रियाएँ ऐच्छिक क्रियाएँ कहलाती हैं, जैसे पढ़ना, लिखना, बात करना आदि।

उदाहरण: मस्तिष्क ऐच्छिक क्रियाओं जैसे लिखने को नियंत्रित करता है, रीढ़ रज्जू अनैच्छिक प्रतिक्रियाओं में सहायता करती है।

ज्ञानेन्द्रियाँ

हमारे शरीर में कान, आँख, नाक, जीभ, तथा त्वचा पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ होती हैं।

कान (श्रवणेन्द्रिय)

कान को श्रवणेन्द्रिय कहा जाता है।

कान सुनने तथा शरीर का संतुलन बनाने में सहायक होते हैं।

कान के मुख्यतः 3 भाग होते हैं: 1. बाह्य कर्ण, 2. मध्य कर्ण, 3. आंतरिक कर्ण।

बाह्य कर्ण और मध्य कर्ण ध्वनि तरंगों को ग्रहण कर आंतरिक कर्ण तक पहुँचाने का कार्य करते हैं।

आंतरिक कर्ण का संबंध श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क से होता है।

उदाहरण: कान हमें संगीत सुनने और संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।

आँख (दृश्येन्द्रिय)

आँख को दृश्येन्द्रिय भी कहा जाता है।

मनुष्य की आँखें कपाल (खोपड़ी) में नेत्र कोटरों में स्थित होती हैं।

बाहर से आँखों का केवल 1/5 भाग दिखाई देता है।

आँखों की सुरक्षा में पलकें तथा भौहें सहायक होती हैं।

मनुष्य की आँख में एक पारदर्शी उत्तल लेंस होता है।

किसी वस्तु का वास्तविक प्रतिबिंब रेटिना (दृष्टि पटल) पर बनता है।

व्यक्ति की मृत्यु के बाद 8 घंटे के अंदर पुतली निकालकर संरक्षित कर ली जाती है और 72 घंटे में किसी भी व्यक्ति में प्रत्यारोपित की जा सकती है।

उदाहरण: आँखें हमें रंग और आकृतियाँ देखने में मदद करती हैं।

नाक (घ्राणेन्द्रिय)

नाक द्वारा गंध का अनुभव होता है, इसको घ्राणेन्द्रिय कहा जाता है।

कुत्तों और चींटियों की गंध ग्रहण शक्ति (सूंघने की शक्ति) सर्वाधिक होती है।

उदाहरण: कुत्ते गंध के आधार पर भोजन या खतरे का पता लगाते हैं।

जीभ (स्वादेन्द्रिय)

हमारी जीभ, मीठे, कड़वे, खट्टे, नमकीन, कसैले स्वाद वाले खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशील होती है, इसे स्वादेन्द्रिय भी कहा जाता है।

स्वाद संबंधी संवेदना जीभ के अलग-अलग भागों में स्थित स्वाद कलिकाओं से प्राप्त होती है।

मेढ़क की जीभ शिकार पकड़ने में सहायता करती है।

उदाहरण: जीभ हमें खाने का स्वाद, जैसे मीठा या खट्टा, पहचानने में मदद करती है।

त्वचा (स्पर्शेन्द्रिय)

त्वचा को स्पर्शेन्द्रिय कहा जाता है।

त्वचा द्वारा ज्यादा ठंडा, गर्म, कठोर, मुलायम, चिकना, तथा खुरदरा आदि का पता चलता है।

नेत्रहीन व्यक्ति अक्षरों को छूकर पहचान लेते हैं, इस पद्धति को ब्रेल पद्धति कहते हैं।

उदाहरण: त्वचा हमें गर्म बर्तन का स्पर्श या ठंडी हवा का अनुभव कराती है।

कंकाल तंत्र

जंतुओं के शरीर को निश्चित आकार देने के लिए कुछ विशेष रचनाएँ होती हैं, इन रचनाओं को कंकाल तंत्र कहते हैं।

जंतुओं में कंकाल दो प्रकार का होता है:

  • त्वचा के ऊपर पाए जाने वाले कंकाल को बाह्य कंकाल कहते हैं, जैसे बाल, नाखून, सींग, खुर आदि।
  • त्वचा के भीतर पाए जाने वाले अस्थि एवं उपास्थि को अंतः कंकाल कहते हैं।

मनुष्य के शरीर में कुल 206 अस्थियाँ होती हैं।

शिशु के शरीर में कुल 213 अस्थियाँ पाई जाती हैं।

एक्स-रे द्वारा हमें शरीर की सभी अस्थियों के आकार-प्रकार का पता चलता है।

मनुष्य के अंतः कंकाल को दो भागों में बाँटा जाता है: 1. अक्षीय कंकाल, 2. अनुबंधीय कंकाल।

अक्षीय कंकाल में खोपड़ी, कशेरुक दंड, तथा उरोस्थि की हड्डियाँ आती हैं।

मनुष्य की खोपड़ी में कुल 28 अस्थियाँ होती हैं।

खोपड़ी की हड्डियों के दो भाग होते हैं: चेहरे की हड्डियाँ और कपाल।

कपाल 8 हड्डियों से मिलकर बना होता है, इसके अंदर मस्तिष्क सुरक्षित रहता है।

चेहरे में नाक, कान, आँख, जबड़े की हड्डी आती हैं।

चेहरे में 20 अस्थियाँ होती हैं।

वयस्क के मेरुदंड (रीढ़ की हड्डी) में कुल 26 हड्डियाँ होती हैं।

शिशुओं के मेरुदंड में कुल 33 हड्डियाँ होती हैं।

मेरुदंड रीढ़ रज्जु की सुरक्षा करता है।

मनुष्य में वक्ष में 12 जोड़ी लंबी और घुमावदार अस्थियाँ मिलकर पसली पिंजर बनाती हैं।

पसलियाँ वक्ष के पीछे रीढ़ की हड्डी से और आगे की ओर उरोस्थि से जुड़ती हैं।

इनका कार्य शरीर के अंदर पाए जाने वाले अंगों जैसे हृदय तथा फेफड़ों को सुरक्षित रखना है।

अक्षीय कंकाल व अनुबंधीय कंकाल को जोड़ने वाली अस्थियाँ मेखलाएँ कहलाती हैं।

मेखलाएँ तथा हाथ-पैर की हड्डियाँ अनुबंधीय कंकाल के अंतर्गत आती हैं।

अनुबंधीय कंकाल में कुल 126 अस्थियाँ होती हैं।

अनुबंधीय कंकाल तंत्र हड्डियों का ढाँचा होता है, इनकी हड्डियाँ एक-दूसरे से विभिन्न प्रकार से आपस में जुड़ी होती हैं, इन जोड़ों को संधि कहते हैं।

हमारे शरीर के कुछ अंग जैसे कान, नाक, जो कठोर नहीं होते हैं, इन्हें आसानी से मोड़ा जा सकता है, इन्हें उपास्थि कहते हैं।

शरीर की संधियों में भी उपास्थियाँ पाई जाती हैं।

कंकाल शरीर को एक निश्चित आकृति एवं आकार प्रदान करता है।

कंकाल शरीर को सुंदर बनाता है।

कंकाल शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है।

रीढ़ की अस्थियाँ रीढ़ रज्जु की सुरक्षा करती हैं।

खोपड़ी की अस्थियाँ मस्तिष्क की सुरक्षा करती हैं।

कंकाल प्रचलन में सहायता करता है।

कान की हड्डी स्टेपीज मानव शरीर की सबसे छोटी हड्डी होती है।

जांघ की हड्डी फीमर मानव शरीर की सबसे लंबी हड्डी होती है।

उदाहरण: खोपड़ी मस्तिष्क को सुरक्षा देती है, पसलियाँ हृदय और फेफड़ों की रक्षा करती हैं।

जन्तुओं में गति

जन्तुओं में गति विभिन्न संरचनाओं और तंत्रों द्वारा होती है, जो उनके पर्यावरण के लिए अनुकूलित होती हैं।

केंचुआ सूक (सीटी) की सहायता से गमन करता है।

अमीबा कूटपाद द्वारा गमन करता है।

पैरामीशियम रोम जैसी संरचना सिलिया की सहायता से गमन करता है।

उड़ने के लिए पक्षियों में एक जोड़ी पंख पाए जाते हैं।

पंख अग्रपादों के रूपांतरण हैं।

पक्षियों में पंख की भाँति पुच्छ भी होती है, जो उड़ते समय दिशा परिवर्तन करने में सहायता करती है।

उदाहरण: अमीबा कूटपाद से रेंगता है, चील अपने पंखों से उड़ती है।

सारांश (एक पंक्ति के तथ्य)

  1. जीवाणु, यूग्लीना, अमीबा, पैरामीशियम आदि एक कोशकीय सूक्ष्मजीव हैं।
  2. ब्लू व्हेल सबसे बड़ा जंतु है।
  3. मनुष्य कशेरुकी प्राणियों में सर्वोच्च माना जाता है।
  4. भोजन में प्रोटीन, वसा, मंड, विटामिन, और लवण होते हैं।
  5. पाचन अघुलनशील भोजन को घुलनशील बनाने की क्रिया है।
  6. पाचन तंत्र में मुख, भोजन नली, अमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत शामिल हैं।
  7. अग्नाशय इंसुलिन बनाता है, जो शर्करा को नियंत्रित करता है।
  8. अमीबा में पाचन कोशिका के अंदर होता है।
  9. मछली और मनुष्य में पूर्ण विकसित आहार नाल होती है।
  10. अंतःश्वसन ऑक्सीजन युक्त वायु को अंदर खींचना है।
  11. उच्छ्वसन कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालना है।
  12. मछलियों में गलफड़ों द्वारा श्वसन होता है।
  13. कीटों में वायु नलिकाओं द्वारा श्वसन होता है।
  14. पक्षियों में वायु कोष श्वसन में मदद करते हैं।
  15. मनुष्य में फेफड़े श्वसन के लिए होते हैं।
  16. श्वसन तंत्र में नासिका, श्वास नली, और फेफड़े शामिल हैं।
  17. मनुष्य के हृदय में चार कक्ष होते हैं।
  18. स्वस्थ व्यक्ति का हृदय 72 बार प्रति मिनट धड़कता है।
  19. वृक्क रक्त से यूरिया को मूत्र के रूप में निकालता है।
  20. वयस्क व्यक्ति 1-1.8 लीटर मूत्र प्रतिदिन निकालता है।
  21. डायलिसिस कृत्रिम वृक्क द्वारा रक्त छानने की प्रक्रिया है।
  22. प्रजनन जीवधारी की संतान उत्पन्न करने की क्षमता है।
  23. कुत्ता और मनुष्य एकलिंगी जंतु हैं।
  24. केंचुआ द्विलिंगी जंतु है।
  25. तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क, रीढ़ रज्जू, और तंत्रिकाएँ होती हैं।
  26. अनैच्छिक क्रियाएँ स्वतः होती हैं, जैसे हाथ हटाना।
  27. ऐच्छिक क्रियाएँ इच्छा से होती हैं, जैसे पढ़ना।
  28. कान सुनने और संतुलन में सहायक हैं।
  29. कान के तीन भाग: बाह्य, मध्य, और आंतरिक कर्ण।
  30. आँख में रेटिना पर प्रतिबिंब बनता है।
  31. नाक गंध का अनुभव करती है।
  32. कुत्तों की गंध ग्रहण शक्ति सर्वाधिक होती है।
  33. जीभ स्वाद कलिकाओं द्वारा स्वाद पहचानती है।
  34. मेढ़क की जीभ शिकार पकड़ने में मदद करती है।
  35. त्वचा स्पर्श, ठंडा, गर्म आदि का अनुभव करती है।
  36. ब्रेल पद्धति नेत्रहीनों के लिए छूकर पढ़ने की विधि है।
  37. कंकाल तंत्र शरीर को आकार और सुरक्षा देता है।
  38. बाह्य कंकाल में बाल, नाखून, सींग शामिल हैं।
  39. अंतः कंकाल में अस्थियाँ और उपास्थियाँ होती हैं।
  40. मनुष्य में 206 अस्थियाँ होती हैं।
  41. खोपड़ी में 28 अस्थियाँ होती हैं।
  42. मेरुदंड में वयस्क में 26 हड्डियाँ होती हैं।
  43. पसलियाँ हृदय और फेफड़ों की सुरक्षा करती हैं।
  44. अनुबंधीय कंकाल में 126 अस्थियाँ होती हैं।
  45. संधियाँ हड्डियों को जोड़ती हैं।
  46. उपास्थि नरम और लचीली होती है।
  47. स्टेपीज सबसे छोटी हड्डी है।
  48. फीमर सबसे लंबी हड्डी है।
  49. केंचुआ सूक द्वारा गमन करता है।
  50. पक्षियों के पंख उड़ने में मदद करते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. सबसे बड़ा जंतु कौन सा है?





2. एक कोशकीय सूक्ष्मजीव का उदाहरण है?





3. पाचन क्या है?





4. पाचन तंत्र में शामिल नहीं है?





5. अग्नाशय से क्या उत्पन्न होता है?





6. मछलियों में श्वसन कैसे होता है?





7. कीटों में श्वसन के लिए क्या होता है?





8. मनुष्य के हृदय में कितने कक्ष होते हैं?





9. वृक्क का मुख्य कार्य क्या है?





10. डायलिसिस क्या है?





11. प्रजनन क्या है?





12. केंचुआ किस प्रकार का जंतु है?





13. तंत्रिका तंत्र का मुख्य कार्य क्या है?





14. अनैच्छिक क्रिया का उदाहरण है?





15. कान का कार्य क्या है?





16. आँख में प्रतिबिंब कहाँ बनता है?





17. नाक को क्या कहा जाता है?





18. जीभ का कार्य क्या है?





19. ब्रेल पद्धति का उपयोग कौन करता है?





20. कंकाल तंत्र का कार्य क्या है?





21. मनुष्य में कितनी अस्थियाँ होती हैं?





22. खोपड़ी में कितनी अस्थियाँ होती हैं?





23. पसलियाँ किसकी सुरक्षा करती हैं?





24. उपास्थि कहाँ पाई जाती है?





25. सबसे छोटी हड्डी कौन सी है?





26. सबसे लंबी हड्डी कौन सी है?





27. अमीबा गमन के लिए क्या उपयोग करता है?





28. पक्षियों में उड़ने के लिए क्या होता है?





29. पक्षियों में पुच्छ का कार्य क्या है?





30. मेढ़क की जीभ का कार्य क्या है?