फसल उत्पादन

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विस्तृत नोट्स

फसल उत्पादन: परिचय

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ लगभग 70% आबादी कृषि पर निर्भर है। मानव जीवन की मूल आवश्यकताएँ रोटी, कपड़ा, और मकान हैं। प्राचीन काल में मानव अपनी भोजन की आवश्यकता की पूर्ति के लिए जंगलों में भटकता था और जंतुओं को मारकर या उपलब्ध फल-फूल खाकर अपनी भूख मिटाता था। लगभग 10,000 ईसा पूर्व में नदी किनारों पर बसने के बाद मानव ने खाद्य पदार्थ उगाने के तरीके खोजे, जिससे कृषि की शुरुआत हुई। सभ्यता के विकास के साथ-साथ कृषि में सुधार हुआ, और अनाज, फल, और सब्जियों के पौधे उगाए जाने लगे। किसी स्थान पर उगाए गए एक ही प्रकार के उपयोगी पौधों के समूह को फसल कहते हैं, जैसे गेहूँ, आलू, प्याज, टमाटर, फल, और फूलों की फसलें।

फसलें मौसम के आधार पर तीन प्रकार की होती हैं:

  • खरीफ फसल: जून से अक्टूबर तक, जैसे मक्का, चावल, मूँगफली।
  • रबी फसल: नवंबर से अप्रैल तक, जैसे गेहूँ, सरसों, चना, आलू।
  • जायद फसल: मार्च से जून तक, जैसे मूंग, उड़द।

मिट्टी की तैयारी

फसल बोने का पहला चरण मिट्टी की तैयारी है, क्योंकि पौधे मिट्टी से जल और पोषक तत्व प्राप्त करते हैं। मिट्टी के प्रकार:

  • बलुई मिट्टी: इसमें बालू की मात्रा अधिक होती है। यह तरबूज, खीरा, मक्का, बाजरा के लिए उपयुक्त है।
  • चिकनी मिट्टी: इसमें बालू कम और कण छोटे होते हैं। यह धान, सनई, कपास के लिए उपयुक्त है।
  • दोमट मिट्टी: बलुई और चिकनी मिट्टी का मिश्रण। गेहूँ, चना, मटर, टमाटर के लिए उपयुक्त।

पेड़-पौधों की पत्तियों, कीट-पतंगों, और गोबर के सड़ने से बना ह्यूमस मिट्टी को उपजाऊ बनाता है। मिट्टी की जुताई हल से की जाती है, जिससे बड़े कण छोटे हो जाते हैं और मिट्टी पोली हो जाती है। ऊथली जुताई हैरो से की जाती है, जो मिट्टी में वायु संचरण बढ़ाती है और खरपतवार नष्ट करती है। मिट्टी को समतल करने के लिए लकड़ी का पाटा चलाया जाता है, जिससे नमी सुरक्षित रहती है।

बीजों का चयन और बुआई

स्वस्थ और रोगमुक्त बीज अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक हैं। बीजों का चयन मिट्टी और फसल की आवश्यकता के आधार पर किया जाता है। बुआई के लिए डिबलर और बीज बेधक (सीड ड्रिल) का उपयोग होता है, जो बीजों को समान दूरी और निश्चित गहराई पर बोते हैं। इससे पक्षियों द्वारा बीज खराब होने की संभावना कम होती है। पौधों के बीच उचित दूरी सुनिश्चित की जाती है ताकि उन्हें पर्याप्त सूर्य प्रकाश, जल, और पोषक तत्व मिलें। धान उत्तर प्रदेश की प्रमुख फसल है।

मृदा के पोषक तत्व और उर्वरक

पौधे मिट्टी से जल और खनिज लवण (पोषक तत्व) प्राप्त करते हैं। पोषक तत्व तीन प्रकार के हैं:

  • मुख्य पोषक तत्व: कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन (जल और वायु से); नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम (मिट्टी से)।
  • गौण पोषक तत्व: कैल्सियम, मैग्नीशियम, सल्फर (कम मात्रा में)।
  • सूक्ष्म पोषक तत्व: लोहा, ताँबा, जिंक (अति सूक्ष्म मात्रा में)।

उर्वरक मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं। रासायनिक उर्वरक (जैसे यूरिया) नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटैशियम प्रदान करते हैं। रोगाणुनाशक (कीटनाशक) फसलों को कीटों और रोगों से बचाते हैं।

नाइट्रोजन चक्र और स्थिरीकरण

नाइट्रोजन सभी खाद्य पदार्थों का आवश्यक घटक है, लेकिन पौधे इसे वायुमंडल से सीधे ग्रहण नहीं कर सकते। नाइट्रोजन स्थिरीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें वायुमंडलीय नाइट्रोजन को घुलनशील नाइट्रेट्स में बदला जाता है। यह निम्न तरीकों से होता है:

  • सूक्ष्मजीवों द्वारा: एजोटोबैक्टर और राइजोबियम (दलहन की जड़ों में) नाइट्रोजन को नाइट्रेट्स में बदलते हैं।
  • तड़ित और वर्षा द्वारा: बिजली की चमक से नाइट्रोजन ऑक्साइड बनता है, जो वर्षा के साथ घुलकर नाइट्रेट्स बनाता है।
  • रासायनिक उर्वरक द्वारा: कारखानों में नाइट्रोजन को उर्वरकों में बदला जाता है।

नाइट्रोजन चक्र: पौधे नाइट्रेट्स को अवशोषित करते हैं, जो भोजन के रूप में जंतुओं तक पहुँचता है। मृत पौधों और जंतुओं का अपघटन सूक्ष्मजीवों द्वारा होता है, और नाइट्रोजन पुनः वायुमंडल में लौटती है।

सिंचाई

फसलों को निश्चित समय पर जल प्रदान करना सिंचाई कहलाता है। बलुई मिट्टी की जल धारण क्षमता कम होती है, जबकि चिकनी और दोमट मिट्टी की अधिक। सिंचाई फसल और मिट्टी की प्रकृति के आधार पर की जाती है।

कटाई और मड़ाई

पकी फसल को काटना कटाई कहलाता है, जो हँसिया या दराँती से की जाती है। दानों को भूसे से अलग करना मड़ाई कहलाता है। कंबाइन मशीन से कटाई और मड़ाई एक साथ होती है। गेहूँ के लिए थ्रेशर और धान के लिए पैडी थ्रेशर का उपयोग होता है। छोटे किसान फटककर बीज अलग करते हैं।

अनाज का भण्डारण

अनाज को कीटों और कवकों से बचाने के लिए उन्नत भंडारों, धातु के बर्तनों, या साइलो में संग्रहित किया जाता है। अनाज (कम पानी) को कमरे के तापमान पर और फल-सब्जियाँ (अधिक पानी) को 0°C–1°C पर रखा जाता है। भारतीय खाद्य निगम (FCI) बड़े पैमाने पर भंडारण करता है। भंडारण के लाभ:

  • वर्ष भर खाद्यान्न उपलब्धता।
  • दूर-दराज क्षेत्रों में आपूर्ति।
  • कीटों और कवकों से सुरक्षा।
  • प्राकृतिक आपदा में आपूर्ति।

फसल सुधार और हरित क्रांति

1960 में शुरू हुई हरित क्रांति ने आधुनिक यंत्रों (ट्रैक्टर, ट्यूबवेल), उन्नत बीजों, कीटनाशकों, और उर्वरकों के उपयोग से फसल उत्पादन बढ़ाया। फसल समुन्नति में उन्नत किस्मों का विकास शामिल है, जैसे:

  • गेहूँ: सोनालिका, कल्याण सोना।
  • धान: जया, पद्मा, पूसा-215।
  • मक्का: गंगा, रंजीत।

जंतुओं से प्राप्त भोज्य पदार्थ

पशुपालन: जंतुओं की वैज्ञानिक देखभाल। दुधारू पशु (गाय, भैंस) दूध प्रदान करते हैं, जो कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, और विटामिन से भरपूर होता है। गाय की नस्लें: साहिवाल, सिन्धी (देशी); होल्स्टीन, फ्रेजियन (विदेशी)。 भैंस की नस्लें: मुर्रा, मेहसाना। संकरण से उन्नत नस्लें विकसित की जाती हैं।

मुर्गीपालन: अंडे और मांस के लिए मुर्गी-बतख पालना। अंडे प्रोटीन और विटामिन से भरपूर होते हैं। ऊष्मायन काल (21 दिन) में मुर्गी अंडों को सेती है। उन्नत मुर्गी नस्लें: व्हाइट लेग हॉर्न, आइलैंड रेड।

मत्स्य पालन: बड़े पैमाने पर मछली पालना। अलवण मछली (रोहू, कतला) तालाबों में और लवण मछली (टूना, कॉड) समुद्र में पाई जाती हैं। मछली का तेल विटामिन A और D का स्रोत है।

सारांश (एक पंक्ति के तथ्य)

  1. भारत एक कृषि प्रधान देश है।
  2. लगभग 70% भारतीय आबादी कृषि पर निर्भर है।
  3. मानव की मूल आवश्यकताएँ रोटी, कपड़ा, मकान हैं।
  4. 10,000 ईसा पूर्व में नदी किनारों पर कृषि शुरू हुई।
  5. फसल एक ही प्रकार के उपयोगी पौधों का समूह है।
  6. खरीफ फसल जून से अक्टूबर तक बोई जाती है।
  7. रबी फसल नवंबर से अप्रैल तक बोई जाती है।
  8. जायद फसल मार्च से जून तक बोई जाती है।
  9. मिट्टी की तैयारी फसल उत्पादन का पहला चरण है।
  10. बलुई मिट्टी में बालू की मात्रा अधिक होती है।
  11. चिकनी मिट्टी में कण छोटे होते हैं।
  12. दोमट मिट्टी बलुई और चिकनी मिट्टी का मिश्रण है।
  13. ह्यूमस मिट्टी को उपजाऊ बनाता है।
  14. जुताई से मिट्टी के बड़े कण छोटे हो जाते हैं।
  15. हैरो से ऊथली जुताई की जाती है।
  16. पाटा मिट्टी को समतल करता है।
  17. बलुई मिट्टी तरबूज और मक्का के लिए उपयुक्त है।
  18. चिकनी मिट्टी धान और कपास के लिए उपयुक्त है।
  19. दोमट मिट्टी गेहूँ और चना के लिए उपयुक्त है।
  20. स्वस्थ बीज अच्छी पैदावार के लिए आवश्यक हैं।
  21. डिबलर बीजों को गहराई पर बोता है।
  22. सीड ड्रिल समान दूरी पर बीज बोता है।
  23. उचित दूरी से पौधों को पर्याप्त प्रकाश मिलता है।
  24. धान उत्तर प्रदेश की प्रमुख फसल है।
  25. पौधे मिट्टी से जल और पोषक तत्व लेते हैं।
  26. मुख्य पोषक तत्व: नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम।
  27. गौण पोषक तत्व: कैल्सियम, मैग्नीशियम, सल्फर।
  28. सूक्ष्म पोषक तत्व: लोहा, ताँबा, जिंक।
  29. नाइट्रोजन सभी खाद्य पदार्थों का आवश्यक घटक है।
  30. नाइट्रोजन स्थिरीकरण नाइट्रोजन को नाइट्रेट्स में बदलता है।
  31. एजोटोबैक्टर नाइट्रोजन स्थिरीकरण में मदद करता है।
  32. राइजोबियम दलहन की जड़ों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करता है।
  33. तड़ित से नाइट्रोजन ऑक्साइड बनता है।
  34. रासायनिक उर्वरक मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं।
  35. नाइट्रोजन चक्र वायुमंडल में नाइट्रोजन को स्थिर रखता है।
  36. सिंचाई फसलों को जल प्रदान करती है।
  37. बलुई मिट्टी की जल धारण क्षमता कम होती है।
  38. चिकनी मिट्टी की जल धारण क्षमता अधिक होती है।
  39. खरपतवार फसल की उत्पादकता कम करते हैं।
  40. कटाई पकी फसल को काटने की प्रक्रिया है।
  41. मड़ाई दानों को भूसे से अलग करती है।
  42. कंबाइन कटाई और मड़ाई एक साथ करता है।
  43. थ्रेशर गेहूँ की मड़ाई करता है।
  44. पैडी थ्रेशर धान की मड़ाई करता है।
  45. अनाज को साइलो में संग्रहित किया जाता है।
  46. फल-सब्जियाँ 0°C–1°C पर संग्रहित होती हैं।
  47. FCI बड़े पैमाने पर अनाज भंडारण करता है।
  48. भंडारण से प्राकृतिक आपदा में आपूर्ति संभव है।
  49. हरित क्रांति 1960 में शुरू हुई।
  50. हरित क्रांति ने आधुनिक यंत्रों का उपयोग बढ़ाया।
  51. फसल समुन्नति उन्नत किस्मों का विकास है।
  52. गेहूँ की उन्नत किस्म: सोनालिका।
  53. धान की उन्नत किस्म: जया।
  54. मक्का की उन्नत किस्म: गंगा।
  55. पशुपालन जंतुओं की वैज्ञानिक देखभाल है।
  56. दुधारू पशु दूध प्रदान करते हैं।
  57. दूध में प्रोटीन और विटामिन होते हैं।
  58. गाय की देशी नस्ल: साहिवाल।
  59. गाय की विदेशी नस्ल: होल्स्टीन।
  60. भैंस की नस्ल: मुर्रा।
  61. संकरण से उन्नत नस्लें विकसित होती हैं।
  62. मुर्गीपालन अंडे और मांस के लिए होता है।
  63. ऊष्मायन काल 21 दिन का होता है।
  64. व्हाइट लेग हॉर्न मुर्गी की उन्नत नस्ल है।
  65. अच्छे अंडे पानी में डूब जाते हैं।
  66. मत्स्य पालन बड़े पैमाने पर मछली पालना है।
  67. अलवण मछली: रोहू, कतला।
  68. लवण मछली: टूना, कॉड।
  69. मछली का तेल विटामिन A और D का स्रोत है।
  70. रासायनिक उर्वरक नाइट्रोजन प्रदान करते हैं।
  71. खरपतवार नष्ट करने से पैदावार बढ़ती है।
  72. सिंचाई फसल की आवश्यकता पर निर्भर करती है।
  73. भंडारण से खाद्यान्न की हानि रुकती है।
  74. हरित क्रांति ने उत्पादन में वृद्धि की।
  75. पशुपालन दूध और मांस की आपूर्ति करता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. भारत की कितनी आबादी कृषि पर निर्भर है?





2. फसल की परिभाषा क्या है?





3. खरीफ फसल कब बोई जाती है?





4. बलुई मिट्टी किस फसल के लिए उपयुक्त है?





5. ह्यूमस मिट्टी को क्या बनाता है?





6. जुताई का उद्देश्य क्या है?





7. बीज बेधक (सीड ड्रिल) का लाभ क्या है?





8. धान किस राज्य की प्रमुख फसल है?





9. मुख्य पोषक तत्व कौन सा है?





10. नाइट्रोजन स्थिरीकरण क्या है?





11. राइजोबियम कहाँ पाया जाता है?





12. नाइट्रोजन चक्र का उद्देश्य क्या है?





13. सिंचाई का अर्थ है:





14. खरपतवार क्या हैं?





15. कटाई का अर्थ है:





16. मड़ाई का कार्य क्या है?





17. कंबाइन मशीन का उपयोग क्या है?





18. अनाज का भंडारण किसमें किया जाता है?





19. फल-सब्जियों को किस तापमान पर संग्रहित करते हैं?





20. भारतीय खाद्य निगम (FCI) का कार्य क्या है?





21. हरित क्रांति कब शुरू हुई?





22. गेहूँ की उन्नत किस्म कौन सी है?





23. पशुपालन का अर्थ है:





24. दूध में कौन सा पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होता है?





25. गाय की देशी नस्ल कौन सी है?





26. मुर्गीपालन का उद्देश्य क्या है?





27. ऊष्मायन काल कितने दिन का होता है?





28. मुर्गी की उन्नत नस्ल कौन सी है?





29. अलवण मछली का उदाहरण है:





30. मछली का तेल किसका स्रोत है?