प्रकाश का अपवर्तन
प्रकाश की किरण जब एक समांगी पारदर्शी माध्यम से दूसरे समांगी पारदर्शी माध्यम में तिरछा प्रवेश करती है, तो वह दोनों माध्यमों को अलग करने वाले पृष्ठ पर मुड़ जाती है। इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
परिभाषाएँ:
- आपतन बिंदु पर अभिलंब (Normal): दोनों पारदर्शी माध्यमों को अलग करने वाले पृष्ठ पर आपतन बिंदु के लंबवत रेखा।
- आपतित किरण (Incident Ray): पारदर्शी माध्यमों को अलग करने वाले पृष्ठ की ओर आने वाली प्रकाश किरण।
- अपवर्तित किरण (Refracted Ray): दूसरे माध्यम में पृष्ठ से दूर जाने वाली प्रकाश किरण।
- आपतन कोण: आपतित किरण और अभिलंब के बीच का कोण।
- अपवर्तन कोण: अपवर्तित किरण और अभिलंब के बीच का कोण।
प्रकाश का व्यवहार:
- प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाने पर अभिलंब से दूर हटता है।
- प्रकाश विरल माध्यम से सघन माध्यम में जाने पर अभिलंब की ओर मुड़ता है।
- अभिलंब पर आपतन होने पर किरण विचलित नहीं होती और निर्गत किरण आपतित किरण के समानांतर होती है।
अपवर्तन के नियम
प्रकाश का अपवर्तन दो नियमों का पालन करता है:
- आपतित किरण, अपवर्तित किरण, और आपतन बिंदु पर अभिलंब एक ही तल में होते हैं।
- स्नैल का नियम: आपतन कोण की ज्या (sin i) और अपवर्तन कोण की ज्या (sin r) का अनुपात नियत होता है।
स्नैल का नियम: (sin i) / (sin r) = नियतांक
यह नियतांक पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक (Refractive Index) कहलाता है।
अपवर्तनांक (n) = (निर्वात में प्रकाश की चाल) / (माध्यम में प्रकाश की चाल)
अपवर्तनांक एक अनुपात है, इसलिए इसका कोई मात्रक नहीं होता। उदाहरण: वायु के सापेक्ष शीशे का अपवर्तनांक nग होता है।
दैनिक जीवन में अपवर्तन के उदाहरण
- पानी में पेंसिल का टेढ़ा दिखना।
- तालाब की गहराई वास्तविक से कम प्रतीत होना।
- तारों का टिमटिमाना (वायुमंडल में अपवर्तन के कारण)।
लेंस और उनके प्रकार
जब दो वक्र पृष्ठों या एक वक्र पृष्ठ और समतल पृष्ठ के बीच समांगी पारदर्शी माध्यम (जैसे कांच) भरा होता है, तो इसे लेंस कहते हैं। लेंस दो प्रकार के होते हैं:
- उत्तल लेंस (Convex Lens): बीच में मोटा और किनारों पर पतला। यह समानांतर किरणों को मुख्य अक्ष की ओर मोड़ता है, इसलिए इसे अभिसारी लेंस कहते हैं।
- अवतल लेंस (Concave Lens): बीच में पतला और किनारों पर मोटा। यह समानांतर किरणों को मुख्य अक्ष से दूर फैलाता है, इसलिए इसे अपसारी लेंस कहते हैं।
उत्तल लेंस द्वारा प्रतिबिंब: वस्तु की स्थिति के आधार पर छोटा, बराबर, या बड़ा; वास्तविक या आभासी।
अवतल लेंस द्वारा प्रतिबिंब: हमेशा आभासी, सीधा, और वस्तु से छोटा।
उपयोग:
- उत्तल लेंस: आवर्धक चश्मा, कैमरा, दूरबीन, सूक्ष्मदर्शी, प्रोजेक्टर, सौर सेल, निकट/दूर दृष्टि दोष सुधार।
- अवतल लेंस: टेलीस्कोप, दरवाजे का छेद, फ्लैशलाइट, निकट दृष्टि दोष सुधार।
लेंस से संबंधित महत्वपूर्ण परिभाषाएँ
- वक्रता त्रिज्या: लेंस के प्रत्येक पृष्ठ के गोले की त्रिज्या। लेंस में दो वक्रता केंद्र और दो वक्रता त्रिज्याएँ होती हैं।
- प्रकाशिक केंद्र: मुख्य अक्ष पर वह बिंदु, जहाँ से गुजरने वाली किरणें विचलित नहीं होतीं।
- मुख्य फोकस: मुख्य अक्ष के समानांतर आपतित किरणें अपवर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती हैं या मिलती प्रतीत होती हैं।
- फोकस दूरी: मुख्य फोकस और प्रकाशिक केंद्र के बीच की दूरी।
प्रकाशिक यंत्र: सूक्ष्मदर्शी और दूरदर्शी
सूक्ष्मदर्शी: सूक्ष्म वस्तुओं को बड़ा दिखाने वाला यंत्र। दो प्रकार:
- सरल सूक्ष्मदर्शी: एक उत्तल लेंस, जैसे घड़ीसाज द्वारा पुर्जे देखने के लिए।
- संयुक्त सूक्ष्मदर्शी: दो उत्तल लेंस, सूक्ष्म जीवों या कोशिकाओं के अध्ययन के लिए।
दूरदर्शी: दूर की वस्तुओं को बड़ा और स्पष्ट दिखाने वाला यंत्र। उपयोग: खगोलीय पिंडों (तारे, ग्रह) का अवलोकन।
मानव नेत्र
मानव नेत्र गोलाकार होता है, जिसमें निम्नलिखित भाग होते हैं:
- कार्निया: सामने का उभरा पारदर्शी भाग, प्रकाश को अपवर्तित करता है।
- आइरिस: कार्निया के पीछे का अपारदर्शी पर्दा, पुतली का आकार नियंत्रित करता है।
- पुतली: आइरिस में छिद्र, प्रकाश प्रवेश का नियमन करता है।
- नेत्र लेंस: उत्तल लेंस, प्रकाश को रेटिना पर केंद्रित करता है।
- रेटिना: सबसे अंदर की पारदर्शी झिल्ली, जहाँ प्रतिबिंब बनता है।
- पीत बिंदु: रेटिना का मध्य भाग, जहाँ प्रतिबिंब सबसे स्पष्ट होता है।
प्रकाश किरणें कार्निया से गुजरकर नेत्र लेंस पर आपतित होती हैं, जो रेटिना पर उल्टा और वास्तविक प्रतिबिंब बनाती हैं। मस्तिष्क इस प्रतिबिंब को सीधा देखता है। स्वस्थ नेत्र की न्यूनतम स्पष्ट दृष्टि दूरी 25 सेमी होती है।
दृष्टि दोष और निवारण
- निकट दृष्टि दोष (मायोपिया): दूर की वस्तुएँ स्पष्ट नहीं दिखतीं, क्योंकि प्रतिबिंब रेटिना से पहले बनता है। निवारण: अवतल लेंस।
- दूर दृष्टि दोष (हाइपरमेट्रोपिया): निकट की वस्तुएँ स्पष्ट नहीं दिखतीं, क्योंकि प्रतिबिंब रेटिना के पीछे बनता है। निवारण: उत्तल लेंस।
मानव नेत्र और कैमरे की तुलना
मानव नेत्र और फोटोग्राफिक कैमरा दोनों में समानताएँ हैं:
- दोनों में उत्तल लेंस होता है।
- प्रकाश को केंद्रित कर प्रतिबिंब बनाते हैं (रेटिना/फिल्म)।
- प्रकाश की मात्रा नियंत्रित होती है (पुतली/एपर्चर)।
अंतर: नेत्र में प्रतिबिंब मस्तिष्क द्वारा व्याख्या किया जाता है, जबकि कैमरे में स्थायी प्रतिबिंब फिल्म पर बनता है।
प्रिज्म द्वारा प्रकाश का अपवर्तन और वर्णक्रम
जब श्वेत प्रकाश की किरणें प्रिज्म से गुजरती हैं, तो वे आधार की ओर झुकती हैं और सात रंगों में विभाजित हो जाती हैं। इस रंगीन पट्टी को वर्णक्रम कहते हैं। इस घटना को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते हैं।
वर्णक्रम के रंग (VIBGYOR):
- बैंगनी (Violet)
- जामुनी (Indigo)
- नीला (Blue)
- हरा (Green)
- पीला (Yellow)
- नारंगी (Orange)
- लाल (Red)
प्रकाश का प्रकीर्णन
प्रकाश का प्रकीर्णन तब होता है जब प्रकाश धूल या वायु के सूक्ष्म कणों से टकराकर सभी दिशाओं में फैलता है।
विशेषताएँ:
- लाल रंग का प्रकीर्णन न्यूनतम, बैंगनी का अधिकतम।
- लाल रंग की तरंगदैर्घ्य अधिक होने के कारण इसे दूर से देखा जा सकता है।
उदाहरण:
- आकाश का नीला दिखना।
- सूर्योदय/सूर्यास्त पर सूर्य का लाल दिखना।
- खतरे के संकेत में लाल रंग का उपयोग।