विद्युत और विद्युत धारा
विद्युत ऊर्जा का एक रूप है, जो दैनिक जीवन में बल्ब, पंखा, टी.वी., हीटर, फ्रिज, प्रेस आदि चलाने के लिए आवश्यक है।
आवेश: किसी चालक को घर्षण द्वारा आवेशित किया जा सकता है। आवेश दो प्रकार के होते हैं:
- धन आवेश: इलेक्ट्रॉनों की कमी।
- ऋण आवेश: इलेक्ट्रॉनों की अधिकता।
जब धन और ऋण आवेशित चालकों को तार से जोड़ा जाता है, तो इलेक्ट्रॉन ऋण आवेशित चालक से धन आवेशित चालक की ओर जाते हैं। इस आवेश के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं।
विद्युत धारा की दिशा को वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की विपरीत दिशा (धन आवेश की दिशा) में माना है।
विद्युत धारा (I) = (प्रवाहित आवेश की मात्रा (Q)) / (समय (t))
विद्युत धारा का S.I. मात्रक ऐम्पियर (A) है। यदि 1 कूलॉम आवेश 1 सेकंड में प्रवाहित हो, तो धारा 1 ऐम्पियर होती है।
प्रकार:
- दिष्ट धारा (DC): एक दिशा में बहने वाली धारा, जैसे टॉर्च सेल से।
- प्रत्यावर्ती धारा (AC): दिशा बदलने वाली धारा, जैसे पावर स्टेशन से।
विद्युत धारा के स्रोत
विद्युत सेल: रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है। दो प्रकार:
- प्राथमिक सेल: पुनः आवेशित नहीं हो सकते, जैसे लेक्लांशी सेल, डेनियल सेल, शुष्क सेल, बटन सेल। इनका आंतरिक प्रतिरोध अधिक होता है।
- द्वितीयक सेल: पुनः आवेशित हो सकते हैं, जैसे सीसा संचायक सेल, नीले सेल। इनका आंतरिक प्रतिरोध कम होता है।
सेल का आवेशन: विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदलना।
सेल का निरावेशन: रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलना।
बैटरी: दो या अधिक सेलों का संयोग।
जनरेटर: यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।
विभवान्तर और विद्युत वाहक बल
विभवान्तर (Potential Difference): एकांक आवेश को चालक के एक सिरे से दूसरे सिरे तक ले जाने में व्यय ऊर्जा।
सूत्र: V = (व्यय ऊर्जा (जूल)) / (प्रवाहित आवेश (कूलॉम))
मात्रक: वोल्ट (V)। यदि 1 कूलॉम आवेश को ले जाने में 1 जूल ऊर्जा व्यय हो, तो विभवान्तर 1 वोल्ट है।
विद्युत वाहक बल (EMF): सेल या जनरेटर द्वारा प्रदान की गई ऊर्जा, जो विद्युत धारा को प्रवाहित करती है।
प्रतिरोध
प्रतिरोध (Resistance): चालक का वह गुण, जो विद्युत धारा के प्रवाह में अवरोध उत्पन्न करता है।
मात्रक: ओम (Ω)। यदि 1 वोल्ट विभवान्तर पर 1 ऐम्पियर धारा प्रवाहित हो, तो प्रतिरोध 1 ओम है।
विद्युत परिपथ
विद्युत परिपथ एक बंद पथ है, जिसमें विद्युत धारा प्रवाहित होती है। इसमें निम्नलिखित अवयव होते हैं:
- सेल: धारा का स्रोत। प्रतीक: [-|+]---[+-]
- तार: चालक, जैसे ताँबा। प्रतीक: —
- स्विच: परिपथ को खोलने/बंद करने के लिए। प्रतीक: —/—
- बल्ब: प्रकाश उत्पन्न करता है। प्रतीक: (X)
- अमीटर: धारा मापने के लिए। प्रतीक: (A)
- वोल्टमीटर: विभवान्तर मापने के लिए। प्रतीक: (V)
परिपथ में अवयव श्रेणीक्रम (series) या समानांतर क्रम (parallel) में जोड़े जा सकते हैं।
विद्युत धारा के प्रभाव
1. ऊष्मीय प्रभाव: चालक में धारा प्रवाह से ऊष्मा उत्पन्न होती है।
- उपयोग: विद्युत बल्ब में टंगस्टन तंतु द्वारा प्रकाश। टंगस्टन का गलनांक अधिक होने से यह पिघलता नहीं।
- अन्य उपयोग: हीटर, प्रेस, टोस्टर।
2. रासायनिक प्रभाव: कुछ द्रवों (जैसे नमक का घोल, अम्ल, क्षार) में धारा प्रवाह से रासायनिक विघटन।
- उपकरण: वोल्टामीटर।
- उपयोग: विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन, जैसे बैटरी चार्जिंग।
3. चुम्बकीय प्रभाव: चालक में धारा प्रवाह से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।
- उपयोग: अमीटर, वोल्टमीटर, विद्युत मोटर, इलेक्ट्रोमैग्नेट।
विद्युत चालक और रोधी
विद्युत चालक: जिनमें धारा प्रवाहित हो सकती है, जैसे ताँबा, ऐलुमिनियम, चाँदी, ग्रेफाइट, पारा।
विद्युत रोधी: जिनमें धारा प्रवाहित नहीं होती, जैसे रबर, प्लास्टिक, सूखा कपड़ा, लकड़ी, काँच।
घरेलू विद्युत उपकरणों में सावधानियाँ
- फ्यूज: कम गलनांक वाला तार, उच्च वोल्टता से उपकरणों की सुरक्षा करता है।
- उचित तारों का उपयोग, जो अधिक धारा सह सकें।
- नंगे तारों को न छूना।
- प्लग में पृथ्वी तार (अर्थिंग) का उपयोग।
- उपकरणों को बंद करके मरम्मत करना।
अमीटर और वोल्टमीटर
अमीटर: विद्युत धारा मापने का यंत्र।
- जोड़ने का तरीका: परिपथ में श्रेणीक्रम में।
- प्रतिरोध: बहुत कम (आदर्श अमीटर का प्रतिरोध शून्य)।
वोल्टमीटर: विभवान्तर मापने का यंत्र।
- जोड़ने का तरीका: परिपथ में समानांतर क्रम में।
- प्रतिरोध: बहुत अधिक (आदर्श वोल्टमीटर का प्रतिरोध अनंत)।