चुम्बक और चुम्बकीय पदार्थ
चुम्बक: ऐसे पदार्थ जो लोहे या लोहे से बनी वस्तुओं को अपनी ओर खींचते हैं, चुम्बक कहलाते हैं।
चुम्बकीय पदार्थ: जो पदार्थ चुम्बक की ओर आकर्षित होते हैं, जैसे लोहा, निकिल, कोबाल्ट।
अचुम्बकीय पदार्थ: जो चुम्बक की ओर आकर्षित नहीं होते, जैसे लकड़ी, प्लास्टिक, ताँबा।
उदाहरण: लोहे का बुरादा चुम्बक द्वारा आकर्षित होता है।
चुम्बक के प्रकार
चुम्बक दो प्रकार के होते हैं:
- प्राकृतिक चुम्बक: प्रकृति में स्वतंत्र रूप से पाए जाते हैं, जैसे मैग्नेटाइट। इन्हें इच्छानुसार आकृति नहीं दी जा सकती।
- कृत्रिम चुम्बक: मानव द्वारा निर्मित, विभिन्न आकृतियों और शक्ति के बनाए जा सकते हैं।
कृत्रिम चुम्बक के प्रकार:
- स्थायी चुम्बक: चुम्बकत्व स्थायी होता है। सामग्री: लोहा, निकिल, कोबाल्ट। उदाहरण: दंड चुम्बक, नाल चुम्बक।
- अस्थायी चुम्बक: चुम्बकत्व अस्थायी होता है। सामग्री: नर्म (मुलायम) लोहा।
उदाहरण: दंड चुम्बक, नाल चुम्बक, चुम्बकीय सुई, चुम्बकीय कम्पास।
चुम्बक के गुण
- आकर्षण: चुम्बक चुम्बकीय पदार्थों को आकर्षित करता है, अचुम्बकीय को नहीं।
- दिशा निर्देश: स्वतंत्र रूप से लटकाए गए चुम्बक के सिरे उत्तर-दक्षिण दिशा में स्थिर होते हैं।
- ध्रुव: चुम्बक में दो ध्रुव होते हैं—उत्तरी और दक्षिणी। इन्हें अलग नहीं किया जा सकता।
- प्रतिकर्षण और आकर्षण: समान ध्रुव (उत्तरी-उत्तरी, दक्षिणी-दक्षिणी) में प्रतिकर्षण, असमान ध्रुव (उत्तरी-दक्षिणी) में आकर्षण।
- चुम्बकीय शक्ति: ध्रुवों पर सबसे अधिक, मध्य में सबसे कम।
चुम्बकीय क्षेत्र और बल रेखाएँ
चुम्बकीय क्षेत्र: चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र, जिसमें चुम्बकीय प्रभाव अनुभव होता है।
चुम्बकीय बल रेखाएँ: काल्पनिक वक्र, जिनकी स्पर्श रेखा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा दर्शाती है।
- गुण: उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की ओर, बाहर की ओर।
- विशेषता: कभी आपस में नहीं काटतीं।
- लोहे की चादर चुम्बकीय प्रभाव को रोकती है।
- चुम्बक से दूर जाने पर क्षेत्र की तीव्रता कम होती है।
चुम्बकत्व का विद्युत धारा से सम्बन्ध
1820 में हेंस क्रिश्चियन ऑस्टेड ने खोजा कि किसी चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर इसके चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।
यह विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव है।
उपयोग:
- इलेक्ट्रोमैग्नेट: नर्म लोहे की छड़ पर तार लपेटकर विद्युत धारा प्रवाहित करने पर अस्थायी चुम्बक बनता है।
- विद्युत मोटर, जनरेटर, ट्रांसफॉर्मर।
विद्युत घण्टी
विद्युत घण्टी विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव पर कार्य करती है।
संरचना:
- इलेक्ट्रोमैग्नेट: नर्म लोहे की छड़ पर तार की कुंडली।
- आर्मेचर: नर्म लोहा, जो इलेक्ट्रोमैग्नेट की ओर आकर्षित होता है।
- स्प्रिंग: आर्मेचर को वापस खींचती है।
- घण्टी: धातु की प्लेट, जो ध्वनि उत्पन्न करती है।
- संपर्क बिंदु: परिपथ को पूरा/टूटने देता है।
कार्यप्रणाली: धारा प्रवाह पर इलेक्ट्रोमैग्नेट आर्मेचर को खींचता है, घण्टी बजती है, परिपथ टूटता है, स्प्रिंग आर्मेचर को वापस खींचती है, और प्रक्रिया दोहराई जाती है।
पृथ्वी का चुम्बक की भांति व्यवहार
पृथ्वी एक विशाल चुम्बक की तरह व्यवहार करती है।
- चुम्बकीय ध्रुव: पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी चुम्बकीय ध्रुव भौगोलिक ध्रुवों से भिन्न हैं।
- चुम्बकीय क्षेत्र: पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र कम्पास की सुई को उत्तर-दक्षिण दिशा में संरेखित करता है।
- उपयोग: नौवहन, दिशा निर्धारण।
चुम्बक के उपयोग
- कम्पास: दिशा निर्धारण।
- इलेक्ट्रोमैग्नेट: क्रेन, रेलवे सिग्नल।
- विद्युत उपकरण: मोटर, जनरेटर, लाउडस्पीकर।
- चिकित्सा: MRI मशीन।
- दैनिक उपयोग: रेफ्रिजरेटर दरवाजा, खिलौने।