ऊर्जा के स्रोत: परिचय
ऊर्जा: कार्य करने की क्षमता। यह विभिन्न रूपों में उपलब्ध है, जैसे प्रकाश, ऊष्मा, गतिज, रासायनिक, और विद्युत ऊर्जा।
ऊर्जा के स्रोत उपलब्धता के आधार पर दो प्रकार के होते हैं:
- सीमित (अनवीकरणीय) स्रोत: जो एक बार उपयोग के बाद पुनर्जनन नहीं कर सकते, जैसे कोयला, पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस। इनके निर्माण में करोड़ों वर्ष लगते हैं।
- असीमित (नवीकरणीय) स्रोत: जो प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं और समाप्त नहीं होते, जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, जैव मात्रा, भूतापीय ऊर्जा।
जीवाश्म ईंधन: कोयला और पेट्रोलियम उत्पाद (पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल, प्राकृतिक गैस) जीवाश्म ईंधन हैं। ये पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के अवशेषों से लाखों-करोड़ों वर्षों में बनते हैं।
वर्तमान में मानव की लगभग 80% ऊर्जा आवश्यकता जीवाश्म ईंधन से पूरी होती है।
सीमित (अनवीकरणीय) ऊर्जा स्रोत
कोयला: पेड़-पौधों के पृथ्वी के अंदर दबने और ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में उच्च दाब व ताप पर परिवर्तन से बनता है।
पेट्रोलियम: समुद्री जीवों और पौधों के अवशेषों से बनता है। इसे आसवन विधि (प्रभाजी आसवन) द्वारा शोधित कर पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल आदि प्राप्त किए जाते हैं।
प्राकृतिक गैस: मेथेन-प्रधान गैस, तेल कूपों से प्राप्त।
ये स्रोत सीमित हैं क्योंकि इनके पुनर्जनन में लाखों वर्ष लगते हैं, और ये पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं (जैसे, CO₂ उत्सर्जन)।
असीमित (नवीकरणीय) ऊर्जा स्रोत
सौर ऊर्जा: सूर्य से प्राप्त प्रकाश और ऊष्मीय ऊर्जा। यह मौसम और जलवायु परिवर्तन का आधार है।
- सौर कुकर: काले पृष्ठ द्वारा सौर ऊष्मा को एकत्रित कर भोजन पकाने में उपयोग।
- सौर सेल: सिलिकॉन से बनी युक्ति, जो प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलती है। एक सौर सेल 0.5 वोल्ट और 0.6 ऐम्पियर उत्पन्न करता है।
- सौर पैनल: कई सौर सेलों का संयोजन, अधिक विद्युत उत्पादन के लिए।
- उपयोग: स्ट्रीट लाइट, घरेलू उपकरण, अंतरिक्ष यान।
पवन ऊर्जा: वायु की गतिज ऊर्जा, जो सूर्य के असमान तापन से उत्पन्न संवहनी धाराओं (पवन) से प्राप्त होती है।
- पवन चक्की: विद्युत उत्पादन के लिए। भारत में तमिलनाडु और गुजरात में पवन फार्म हैं।
- पवन की चाल पर्वतीय और तटीय क्षेत्रों में अधिक होती है।
जल ऊर्जा: प्रवाहित जल की गतिज ऊर्जा।
- जल विद्युत संयंत्र: बांधों (जैसे रिहंद, भाखड़ा-नंगल, टिहरी) में टरबाइन चलाकर विद्युत उत्पादन।
ज्वार-भाटा ऊर्जा: समुद्री तरंगों की गतिज ऊर्जा से विद्युत उत्पादन। यह नवीकरणीय और पर्यावरण-अनुकूल है।
जैव मात्रा (बायोमास): जीव-जंतुओं के मलमूत्र, गोबर, कृषि अपशिष्ट।
- बायोगैस: गोबर गैस प्लांट में गोबर की रासायनिक ऊर्जा को गैस में बदला जाता है। उपयोग: खाना पकाना, प्रकाश।
नाभिकीय ऊर्जा: नाभिक के विखंडन से प्राप्त ऊर्जा।
- नियंत्रित विखंडन: परमाणु भट्टी में ऊष्मा से भाप बनाकर टरबाइन चलाई जाती है, जो विद्युत जनित्र से विद्युत उत्पन्न करती है।
- अनियंत्रित विखंडन: तेज अभिक्रिया, परमाणु बम जैसा विस्फोट।
- भारत में नाभिकीय संयंत्र: कलपक्कम, कुडानकुलम (तमिलनाडु), तारापुर (महाराष्ट्र), रावतभाटा (राजस्थान), कैगा (कर्नाटक), काकरापार (गुजरात), नरोरा (उ.प्र.)।
भूतापीय ऊर्जा: पृथ्वी के आंतरिक ताप से प्राप्त ऊर्जा। उदाहरण: गीजर, गर्म पानी के स्रोत।
जीवन में ऊर्जा की आवश्यकता
ऊर्जा दैनिक जीवन के लिए आवश्यक है:
- घरेलू: खाना पकाना, प्रकाश, उपकरण चलाना।
- औद्योगिक: मशीनरी, उत्पादन।
- परिवहन: वाहन, रेल, विमान।
- कृषि: सिंचाई, मशीनें।
जीवाश्म ईंधन की कमी और पर्यावरणीय प्रभावों (जैसे ग्रीनहाउस प्रभाव, वायु प्रदूषण) के कारण नवीकरणीय स्रोतों की आवश्यकता बढ़ रही है।
ऊर्जा संरक्षण
ऊर्जा संरक्षण: ऊर्जा की बर्बादी कम करना और इसका कुशल उपयोग।
- उपाय: ऊर्जा-कुशल बल्ब (LED), उपकरण बंद करना, सौर ऊर्जा का उपयोग, सार्वजनिक परिवहन।
- महत्व: पर्यावरण संरक्षण, संसाधन संरक्षण, लागत में कमी।