परमाणु: पदार्थ की मूलभूत इकाई
पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बना है, और परमाणु पदार्थ की मूलभूत इकाई है। सभी पदार्थों के परमाणु एक समान नहीं होते; अलग-अलग पदार्थों में अलग-अलग प्रकार के परमाणु पाए जाते हैं। परमाणु इतने सूक्ष्म होते हैं कि उन्हें नग्न आँखों से नहीं देखा जा सकता।
- दो या दो से अधिक परमाणु आपस में मिलकर अणु बनाते हैं।
- समान प्रकार के परमाणु मिलकर तत्व का अणु बनाते हैं (उदाहरण: O₂)।
- असमान प्रकार के परमाणु मिलकर यौगिक का अणु बनाते हैं (उदाहरण: H₂O)।
डॉल्टन का परमाणु सिद्धांत
अंग्रेज वैज्ञानिक जॉन डॉल्टन ने 1808 में परमाणु की संरचना और गुणों के बारे में एक सुव्यवस्थित सिद्धांत प्रस्तुत किया, जिसे डॉल्टन का परमाणुवाद (Dalton's Atomic Theory) कहा जाता है।
- पदार्थ या तत्व अनेक सूक्ष्म कणों (परमाणुओं) से बना है।
- परमाणुओं को न तो नष्ट किया जा सकता है और न ही बनाया जा सकता है।
- परमाणु अविभाज्य होता है।
- एक ही तत्व के परमाणु भार, आकार, और अन्य गुणों में समान होते हैं, लेकिन दूसरे तत्व के परमाणुओं से भिन्न होते हैं।
- परमाणु सरल (पूर्णांक) अनुपात में संयुक्त होते हैं।
- सीमाएँ: डॉल्टन का सिद्धांत यह नहीं बताता कि परमाणु की आंतरिक संरचना कैसी है। बाद में यह सिद्ध हुआ कि परमाणु अविभाज्य नहीं हैं और इनमें उपपरमाणविक कण होते हैं।
परमाणु का संगठन
परमाणु को विभाजित किया जा सकता है और इसकी एक निश्चित संरचना होती है। परमाणु में तीन मुख्य उपपरमाणविक कण (मूल कण) होते हैं: इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, और न्यूट्रॉन।
- इलेक्ट्रॉन: सर जे.जे. थॉमसन ने कैथोड किरणों के अध्ययन से इलेक्ट्रॉन की खोज की। यह ऋणावेशित कण है, जिसका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के 1/1837 भाग के बराबर होता है।
- प्रोटॉन: गोल्डस्टीन ने 1886 में प्रोटॉन की खोज की, और रदरफोर्ड ने इसे नाम दिया। यह धनावेशित कण है, जिसका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के बराबर होता है।
- न्यूट्रॉन: जेम्स चैडविक ने 1932 में न्यूट्रॉन की खोज की। यह विद्युत उदासीन कण है, जिसका द्रव्यमान प्रोटॉन के बराबर होता है।
जे.जे. थॉमसन का परमाणु मॉडल
जे.जे. थॉमसन ने परमाणु को एक ठोस गोले के रूप में प्रस्तुत किया, जिसका व्यास लगभग 10⁻¹⁰ मीटर होता है।
- परमाणु धनावेशित (प्रोटॉनों के कारण) होता है, जिसमें ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन धँसे रहते हैं।
- इलेक्ट्रॉन परमाणु के धनावेश को संतुलित करते हैं, जिससे परमाणु विद्युत उदासीन रहता है।
- उपमा: इस मॉडल को "प्लम पुडिंग मॉडल" या "तरबूज मॉडल" कहा जाता है, जिसमें इलेक्ट्रॉन पुडिंग में बेर (plums) की तरह बिखरे रहते हैं।
- सीमाएँ: यह मॉडल परमाणु के नाभिक और इलेक्ट्रॉनों की गति की व्याख्या नहीं करता।
रदरफोर्ड का नाभिकीय मॉडल
रदरफोर्ड ने α-कण प्रकीर्णन प्रयोग के आधार पर परमाणु का नाभिकीय मॉडल प्रस्तुत किया।
- परमाणु का सम्पूर्ण धनावेश और लगभग सारा द्रव्यमान नाभिक (Nucleus) में केन्द्रित होता है।
- नाभिक का आयतन परमाणु की तुलना में बहुत कम होता है।
- इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर खाली स्थान में चक्कर लगाते हैं।
- प्रयोग में अधिकांश α-कण पन्नी से सीधे निकल गए, क्योंकि परमाणु का अधिकांश भाग खोखला है।
- कुछ α-कण नाभिक के पास से गुजरने पर विचलित हुए, क्योंकि दोनों पर धनावेश था।
- नाभिक से सीधे टकराने वाले α-कण वापस मुड़ गए।
- सीमाएँ: यह मॉडल इलेक्ट्रॉनों की स्थिरता और उनकी कक्षाओं की व्याख्या नहीं करता।
नील्स बोर का परमाणु मॉडल
नील्स बोर ने रदरफोर्ड के मॉडल की कमियों को दूर करने के लिए एक नया मॉडल प्रस्तुत किया।
- परमाणु का समस्त द्रव्यमान और धनावेश नाभिक में होता है।
- इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर निश्चित कक्षाओं (orbits) में चक्कर लगाते हैं।
- प्रत्येक कक्षा में एक निश्चित संख्या तक इलेक्ट्रॉन हो सकते हैं।
- इलेक्ट्रॉन अपनी कक्षा में चक्कर लगाते समय ऊर्जा का उत्सर्जन या अवशोषण नहीं करते।
- जब इलेक्ट्रॉन एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाता है, तो वह ऊर्जा अवशोषित या उत्सर्जित करता है।
- महत्व: बोर का मॉडल हाइड्रोजन परमाणु के स्पेक्ट्रम की व्याख्या करता है।
परमाणु संख्या और द्रव्यमान संख्या
परमाणु की संरचना को समझने के लिए परमाणु संख्या और द्रव्यमान संख्या महत्वपूर्ण हैं।
- परमाणु संख्या (Z): किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या।
- परमाणु उदासीन होता है, इसलिए प्रोटॉनों की संख्या = इलेक्ट्रॉनों की संख्या।
- द्रव्यमान संख्या (A): नाभिक में प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों की कुल संख्या।
- द्रव्यमान संख्या (A) = प्रोटॉनों की संख्या (Z) + न्यूट्रॉनों की संख्या (n)।
समस्थानिक
किसी तत्व के वे परमाणु जिनकी परमाणु संख्या समान होती है, लेकिन द्रव्यमान संख्या भिन्न होती है, समस्थानिक कहलाते हैं।
- हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक हैं: प्रोटियम (¹H₁), ड्यूटीरियम (¹H₂), और ट्राइटियम (¹H₃)।
- इनके नाभिक में एक प्रोटॉन होता है, लेकिन न्यूट्रॉनों की संख्या क्रमशः 0, 1, और 2 होती है।
- उपयोग: समस्थानिकों का उपयोग चिकित्सा, अनुसंधान, और परमाणु ऊर्जा में होता है।
आयनों का बनना
जब परमाणु इलेक्ट्रॉन ग्रहण या त्याग करता है, तो वह आवेशित हो जाता है और आयन बनता है।
- धनायन: जब परमाणु एक या अधिक इलेक्ट्रॉन खो देता है, तो प्रोटॉनों की संख्या अधिक होने से धनावेशित हो जाता है (उदाहरण: Na⁺)।
- ऋणायन: जब परमाणु एक या अधिक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है, तो इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक होने से ऋणावेशित हो जाता है (उदाहरण: Cl⁻)।
- परमाणु विद्युत उदासीन होता है क्योंकि प्रोटॉनों और इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है।
संयोजकता
किसी तत्व की संयोजकता वह संख्या है, जो दर्शाती है कि उसका एक परमाणु हाइड्रोजन के कितने परमाणुओं से संयोग करता है या विस्थापित करता है।
- उदाहरण: HCl में क्लोरीन की संयोजकता 1 है, क्योंकि यह हाइड्रोजन के एक परमाणु से संयोग करता है।
- H₂O में ऑक्सीजन की संयोजकता 2 है, क्योंकि यह हाइड्रोजन के दो परमाणुओं से संयोग करता है।
- महत्व: संयोजकता रासायनिक बंधन और यौगिक निर्माण को समझने में मदद करती है।