सूक्ष्म जीवों का सामान्य परिचय
ऐसे जीव जिन्हें नग्न आँखों से नहीं देखा जा सकता और जिन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र की आवश्यकता पड़ती है, सूक्ष्म जीव कहलाते हैं। सूक्ष्म जीव सर्वव्यापी होते हैं, अर्थात् ये हवा, पानी, मिट्टी, पौधों, और जंतुओं के शरीर के अंदर और बाहर सभी जगह पाए जाते हैं। उदाहरण: एन्टअमीबा हिस्टोलिटिका मनुष्य की आंत में परजीवी के रूप में पाया जाता है और पेचिश रोग उत्पन्न करता है।
सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति और विशेषताएँ
सूक्ष्म जीव विभिन्न वातावरणों में पाए जाते हैं, जैसे मिट्टी, जल, वायु, और जीवित प्राणियों के शरीर में। उनकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- आकार: सूक्ष्म जीव अत्यंत छोटे होते हैं, जिन्हें केवल सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है।
- संरचना: कुछ सूक्ष्म जीव एककोशिकीय (जैसे, जीवाणु, प्रोटोजोआ) होते हैं, जबकि अन्य बहुकोशिकीय (जैसे, कुछ शैवाल) हो सकते हैं।
- गति: कुछ जीवाणुओं में कशाभिका (धागे जैसी संरचनाएँ) होती हैं, जो गति में सहायक होती हैं।
- वातावरण: ये ठंडे, गर्म, नम, या शुष्क वातावरण में जीवित रह सकते हैं।
सूक्ष्म जीवों का वर्गीकरण
सूक्ष्म जीवों को सामान्यतः पाँच समूहों में बाँटा जाता है:
समूह | विशेषताएँ | उदाहरण |
---|---|---|
जीवाणु | एककोशिकीय, कशाभिका द्वारा गति, नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक | लैक्टोबेसिलस, राइजोबियम |
विषाणु | सबसे सूक्ष्म, न्यूक्लिक अम्ल और प्रोटीन से बने, केवल जीवित कोशिका में सक्रिय | HIV, वैरिसेला जोस्टर |
प्रोटोजोआ | एककोशिकीय, परजीवी, रोग उत्पन्न करते हैं | एन्टअमीबा हिस्टोलिटिका, प्लाज्मोडियम |
कवक | एककोशिकीय या बहुकोशिकीय, भोजन और दवा में उपयोगी | पेनिसिलियम, मशरूम |
शैवाल | एककोशिकीय या बहुकोशिकीय, प्रकाश संश्लेषण करते हैं | क्लोरेला, साइनोबैक्टीरिया |
जीवाणु: एककोशिकीय जीव, जिनमें कुछ में कशाभिका होती है। उदाहरण: साइनोबैक्टीरिया (नील-हरित शैवाल), जो पहले शैवाल समूह में थे, अब मोनेरा समूह में हैं और नाइट्रोजन स्थिरीकरण करते हैं। स्पाइरुलीना भोजन के रूप में उपयोगी है।
विषाणु: सबसे सूक्ष्म, न्यूक्लिक अम्ल और प्रोटीन से बने। इनकी खोज दमित्री इवानोव्स्की ने 1892 में की थी। ये केवल जीवित कोशिकाओं में सक्रिय होते हैं।
प्रोटोजोआ: एककोशिकीय परजीवी, जैसे एन्टअमीबा हिस्टोलिटिका (पेचिश)।
कवक: एककोशिकीय (जैसे, यीस्ट) या बहुकोशिकीय (जैसे, मशरूम)। पेनिसिलियम से पेनिसिलिन दवा बनती है।
शैवाल: प्रकाश संश्लेषण करते हैं। क्लोरेला से क्लोरेलिन दवा बनती है।
उपयोगी सूक्ष्म जीव: प्रभाव और बचाव
सूक्ष्म जीव कई क्षेत्रों में उपयोगी हैं:
- कृषि: राइजोबियम और एजेटोबैक्टर नाइट्रोजन स्थिरीकरण करते हैं, जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
- खाद्य उत्पादन: लैक्टोबेसिलस दूध को दही में बदलता है। यीस्ट ब्रेड, पनीर, और सिरका बनाने में उपयोगी है।
- दवा: पेनिसिलियम से पेनिसिलिन और क्लोरेला से क्लोरेलिन बनता है।
- भोजन: मशरूम, एगैरिकस, और मारकेला (गुच्छी) सब्जी के रूप में उपयोगी हैं।
हानिकारक प्रभाव और बचाव:
- खाद्य संदूषण: सूक्ष्म जीव खाद्य पदार्थों को खराब करते हैं।
- बचाव:
- स्टरलाइजेशन: खाद्य पदार्थों को सूक्ष्म जीवों से मुक्त करने की विधि।
- पाश्चुरीकरण: लुई पाश्चर (1866) द्वारा खोजी गई विधि, दूध में किण्वन रोकती है।
- रेफ्रिजरेशन: 5°C–10°C पर सूक्ष्म जीवों की वृद्धि नियंत्रित होती है।
सूक्ष्म जीवों से होने वाले रोग, सूक्ष्मजीव, सूक्ष्मजीव का प्रकार
क्र.सं. | मानव रोग | सूक्ष्मजीव | सूक्ष्मजीव का प्रकार |
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1 | एड्स | ह्यूमन इम्यूनोडिफिशियंसी वायरस (HIV) | वायरस |
2 | कोरोनावायरस (कोविड-19) | SARS-CoV-2 | वायरस |
3 | डेंगू | डेंगू वायरस | वायरस |
4 | इन्फ्लूएंजा | इन्फ्लूएंजा वायरस | वायरस |
5 | चिकनगुनिया | चिकनगुनिया वायरस | वायरस |
6 | खसरा | मीजल्स वायरस | वायरस |
7 | रेबीज | रेबीज वायरस | वायरस |
8 | क्षय रोग (टीबी) | माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस | जीवाणु |
9 | हैजा | विब्रियो कॉलेरे | जीवाणु |
10 | टाइफाइड | साल्मोनेला टाइफी | जीवाणु |
11 | निमोनिया | स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया | जीवाणु |
12 | पेचिश | शिगेला | जीवाणु |
13 | टेटनस | क्लॉस्ट्रिडियम टेटानी | जीवाणु |
14 | कुष्ठ रोग | माइकोबैक्टीरियम लेप्रे | जीवाणु |
15 | मलेरिया | प्लास्मोडियम | प्रोटोजोआ |
16 | काला अजार | लीशमैनिया डोनोवानी | प्रोटोजोआ |
17 | अमीबियासिस | एंटअमीबा हिस्टोलिटिका | प्रोटोजोआ |
18 | एथलीट फुट | ट्राइकोफाइटन | कवक |
19 | कैंडिडिआसिस | कैंडिडा अल्बिकन्स | कवक |
20 | रिंगवर्म | माइक्रोस्पोरम | कवक |
लाभदायक सूक्ष्म जीव
क्र.सं. | सूक्ष्मजीव का नाम | उपयोग | सूक्ष्मजीव का प्रकार |
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1 | लैक्टोबैसिलस | दही और प्रोबायोटिक्स उत्पादन | जीवाणु |
2 | राइजोबियम | नाइट्रोजन स्थिरीकरण, मिट्टी की उर्वरता | जीवाणु |
3 | स्ट्रेप्टोमाइसेस | एंटीबायोटिक्स (स्ट्रेप्टोमाइसिन) उत्पादन | जीवाणु |
4 | एसिटोबैक्टर | सिरका उत्पादन | जीवाणु |
5 | लैक्टोकोकस लैक्टिस | पनीर और मक्खन उत्पादन | जीवाणु |
6 | एजोटोबैक्टर | मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण | जीवाणु |
7 | बैसिलस थुरिंजिएंसिस | जैव कीटनाशक (बीटी फसलों में उपयोग) | जीवाणु |
8 | नाइट्रोसोमोनास | नाइट्रोजन चक्र में नाइट्रिफिकेशन | जीवाणु |
9 | सैकेरोमाइसेस सेरेसिविए | ब्रेड, बीयर और वाइन किण्वन | कवक |
10 | पेनिसिलियम नोटेटम | एंटीबायोटिक (पेनिसिलिन) उत्पादन | कवक |
11 | ऐस्परजिलस नाइजर | साइट्रिक एसिड और एंजाइम उत्पादन | कवक |
12 | ट्राइकोडर्मा | जैव नियंत्रण, मिट्टी की उर्वरता | कवक |
13 | स्पाइरुलिना | पोषक पूरक, प्रोटीन स्रोत | शैवाल |
14 | क्लोरेला | जैव ईंधन, पोषक पूरक | शैवाल |
15 | नॉस्टॉक | नाइट्रोजन स्थिरीकरण, मिट्टी की उर्वरता | शैवाल |
पौधों के रोग: जैन्थोमोनास साइट्री नीबू में कैंकर, पक्सीनिया गेहूँ में कंडुआ, स्कलरोसियम रोल्फसाई गेहूँ में गेरुई, और फाइटोफ्थोरा इन्फेस्टेंस आलू में अंगमारी रोग उत्पन्न करते हैं।
टीकाकरण
टीकाकरण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की प्रक्रिया है, जिसमें कमजोर या मृत सूक्ष्म जीवों को शरीर में प्रवेश कराया जाता है। उदाहरण: पोलियो का टीका ड्रॉप के रूप में दिया जाता है। चेचक और चिकन पॉक्स जैसे रोगों के लिए टीके उपलब्ध हैं।
एड्स (AIDS)
पूरा नाम: Acquired Immuno Deficiency Syndrome।
कारक: Human Immunodeficiency Virus (HIV)।
संक्रमण के तरीके: असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित रक्त आधान, उपयोग किए गए रेजर/ब्लेड, या इंजेक्शन।
प्रभाव: HIV रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट करता है, जिससे अन्य रोग आसानी से प्रभावित करते हैं।
पता लगाना: ELISA टेस्ट।
बचाव: सुरक्षित यौन संबंध, एकल-उपयोग सुई, और जागरूकता।
विश्व एड्स दिवस: 1 दिसंबर।
एड्स वर्तमान में लाइलाज रोग है, लेकिन दवाओं से इसके प्रभाव को नियंत्रित किया जा सकता है।