दिव्यांगता: परिचय
यदि व्यक्ति में शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक रूप से कोई रोग नहीं है और वह सभी कार्यों को करने में सक्षम है, तो वह व्यक्ति स्वस्थ माना जाता है। किसी शारीरिक या मानसिक विकार के कारण एक सामान्य मनुष्य की तरह किसी कार्य को करने में परेशानी या न कर पाने की स्थिति को दिव्यांगता कहते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अक्षमता किसी व्यक्ति को अलग-अलग तरह से प्रभावित करती है। किसी अंग की कार्यक्षमता का सीमित होना, जिससे दिन-प्रतिदिन की गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं, उसे दिव्यांगता कहा जाता है। दिव्यांगता का अर्थ केवल अक्षमता नहीं, बल्कि एक अतिरिक्त शक्ति भी है, जो व्यक्ति को विशेष बनाती है।
दिव्यांगता के लक्षण और प्रकार
दिव्यांगता शारीरिक और मानसिक अक्षमताओं को शामिल करती है। इसके प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:
- दृष्टि बाधिता: देखने की क्षमता को दृष्टि या विजन कहते हैं। दृष्टि बाधित व्यक्ति पूर्ण या आंशिक रूप से देखने में अक्षम होता है।
- लोकोमोटर दिव्यांगता: हड्डियों, जोड़ों, या मांसपेशियों की अक्षमता, जिसके कारण चलने-फिरने में कठिनाई होती है। उदाहरण: पोलियो, रीढ़ की चोट, सेरेब्रल पैल्सी, फ्रैक्चर।
- मानसिक दिव्यांगता (बौद्धिक अशक्तता): सूझबूझ, तर्क, और ग्रहण क्षमता का अभाव। इसमें मानसिक बीमारियाँ शामिल हैं।
- श्रवण बाधिता: पूरी तरह या आंशिक रूप से ध्वनि सुनने में अक्षमता। इसके कारण बोलने में भी कठिनाई हो सकती है, क्योंकि बच्चा सुनकर ही बोलना सीखता है।
- डिस्लेक्सिया: पढ़ने से संबंधित विकार, जिसमें शब्द पहचानने, पढ़ने, याद करने, और उच्चारण में परेशानी होती है। यह मानसिक रोग नहीं है।
- डिसग्राफिया: लेखन विकार, जिसमें सुसंगत लेखन, स्पेलिंग, और वाक्य संरचना में कठिनाई होती है।
वर्तमान में 21 प्रकार की अक्षमताओं को दिव्यांगता की श्रेणी में रखा गया है।
दिव्यांगता के कारण
दिव्यांगता के दो मुख्य कारण हैं:
- जन्मजात दिव्यांगता: जन्म से मौजूद, जो आनुवंशिक कारणों, गर्भावस्था में संक्रमण, या हानिकारक दवाओं के दुष्प्रभाव से हो सकती है। उदाहरण: जन्मजात अंधापन, सेरेब्रल पैल्सी।
- उपार्जित दिव्यांगता: जीवनकाल में दुर्घटनाओं, आकस्मिक चोटों, या बीमारियों के कारण। उदाहरण: दुर्घटना से अंग का नुकसान, पोलियो।
चोट लगने पर प्राथमिक उपचार
किसी बीमार या घायल व्यक्ति को तत्काल दी जाने वाली चिकित्सा सहायता को प्राथमिक उपचार कहते हैं। यह चोट को गंभीर होने से रोकता है।
प्राथमिक उपचार पेटी में शामिल सामग्री:
- रुई, पट्टियाँ, गॉज, पिन, कैंची।
- डॉक्टरी थर्मामीटर, चम्मच, गिलास, साबुन, छोटा तौलिया।
- दवाएँ: पैरासिटामॉल (बुखार के लिए), डिटॉल, टिंचर, ग्लूकोज, ओ.आर.एस. (उल्टी/चक्कर के लिए), एंटीसेप्टिक क्रीम, पेन बाम, नमक, शक्कर।
प्राथमिक उपचार के नियम:
- दवाओं की निर्माण तिथि (Mfg. D) और उपयोग की अंतिम तिथि (Exp. D) जाँचें।
- बिना डॉक्टरी सलाह के दवाएँ न लें।
- हड्डी टूटने पर प्रभावित अंग को न हिलाएँ; पच्ची और पट्टियों से सहारा दें।
- घाव को डिटॉल या एंटीसेप्टिक क्रीम से साफ करें।
दिव्यांगता के प्रति राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयास
राष्ट्रीय प्रयास:
- भारतीय पुनर्वास परिषद (RCI): 1986 में स्थापित, 1992 में अधिनियमित। इसका उद्देश्य विशेष शिक्षा और दिव्यांगता प्रशिक्षण का मानकीकरण और निगरानी करना है।
- राष्ट्रीय संस्थान:
- शारीरिक विकलांग संस्थान, दिल्ली।
- राष्ट्रीय दृष्टि विकलांग संस्थान, देहरादून।
- राष्ट्रीय ऑर्थोपेडिक विकलांग संस्थान, कोलकाता।
- राष्ट्रीय मानसिक विकलांग संस्थान, सिकंदराबाद।
- राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुम्बई।
- राष्ट्रीय पुनर्वास और अनुसंधान संस्थान, कटक।
- राष्ट्रीय बहु-विकलांग सशक्तिकरण संस्थान, चेन्नई।
- उत्तर प्रदेश को 3 दिसंबर 2015 को विश्व दिव्यांग दिवस पर सर्वश्रेष्ठ राज्य का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।
अंतर्राष्ट्रीय प्रयास:
- पैरा ओलम्पिक: शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए खेल आयोजन, पहला आयोजन 1960 में रोम में।
- विश्व दिव्यांग दिवस: 3 दिसंबर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है, जागरूकता बढ़ाने के लिए।
सामाजिक दायित्व
समाज का दायित्व है कि दिव्यांग व्यक्तियों को सम्मान और समान अवसर प्रदान किए जाएँ।
- दिव्यांगों के प्रति सहानुभूति और सहायता।
- उनके लिए सुलभ बुनियादी ढाँचे का निर्माण, जैसे रैंप और लिफ्ट।
- विशेष शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था।
- सामाजिक भेदभाव और रूढ़ियों को समाप्त करना।
- दिव्यांगों को रोजगार और सामाजिक गतिविधियों में शामिल करना।